हैदराबाद: कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को उदयपुर में चिंतन शिविर को संबोधित किया। सोनिया गाधी का संबोधन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, नोटबंदी और देश में दंगों पर केंद्रित रहा है। सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में पूरी तरह से फूट डालकर चुनाव जीतना चाहती है। यह सरकार मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस से क्या साबित करना चाहती है? ऐसा लग रहा है कि इसका अर्थ इन लोगों ने लोगों को पीड़ित और प्रताड़ित करना हो गया है। देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। सरकार जवाहरलाल नेहरू के देश के प्रति योगदान को भुला रही है। महात्मा गांधी के हत्यारों को देश भक्त कहा जा रहा है। मोदी सरकार सीबीआई व अन्य संस्थानों का दुरुपयोग कर रही है। इक्विलिटी और सिक्युलरिज्म खत्म किया जा रहा है।
कांग्रेस के चिंतन शिविर के उद्घाटन भाषण में सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं के सामने लक्षमण रेखा खींचते हुए कहा कि यहां आप चाहे कुछ भी कहें, लेकिन बाहर एक ही संदेश जाए कि हम एक संगठन हैं। आप यहां खुलकर अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन बार यही संदेश जाना चाहिए कि संगठन एक है। सोनिया गांधी ने अनुशासन की लक्ष्मण रेखा खींचते हुए पार्टी के नेताओं से कर्ज उतारने की अपील की। कांग्रेस ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है और अब उसका कर्ज लौटाने की बारी है। हमें यह करना होगा कि यहां से जब निकलें तो नई ऊर्जा, नई प्रतिबद्धता और प्रेरणा के साथ निकलेंगे।
सोनिया ने कहा कि देश की जनता को एक बार फिर से कांग्रेस से बड़ी उम्मीदें हैं और हमें उनको पूरा करने दिखाना होगा। इस दौरान मोदी सरकार पर भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आज मुस्लिमों पर देश भर में अत्याचार हो रहे हैं। वे भी बराबर के शहरी हैं और उन्हें भी समान अधिकार हैं। कमजोर वर्ग के लोग आज उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। खासतौर पर दलितों को सजा दी जा रही है। मोदी सरकार के राज में देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और नोटबंदी के बाद से ही लगातार गिरावट का दौर जारी है। लोग अब यह मान चुके हैं कि हमें नौकरियां नहीं मिलने वाली हैं। एक तरफ नए रोजगार के अवसर पैदा नहीं किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ लोगों के कल्याण और विकास में योगदान के लिए बनी सरकारी कंपनियों को बेचा जा रहा है।
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि मोदी सरकार के देश की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई। बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हुए हैं और यूपीए सरकार की स्कीमों से ही उन्हें बचाया जा सका है। खासतौर पर दो स्कीमों का नाम लेना चाहूंगी- मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून। आज देश अलग हालातों में है। आज संवैधानिक संस्थाओं के सामने बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
सोनिया ने देश के हालात पर भी चिंता जताई। देश में एक खास वर्ग को निशाना बनाया रहा है। देश में आज भी कमजोर वर्गों पर हिंसक घटनाएं जारी हैं। खासतौर पर दलित समुदाय के लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहाकि देश की जनता शांति और भाईचारे से रहना चाहती है। यूपीए-2 ने फूड सिक्योरिटी व सूचना के अधिकार का कानून लोगों को दिया। इससे लोगों को राहत मिली है। हमने घरेलू रसोई गैस, पेट्रेल डीजल के दामों को नियंत्रित किया था, लेकिन आप देख रहे हैं कि महंगाई बढ़ती जा रही है।
सोनिया गांधी ने कहा कि हमारे संगठन से लचीलेपन की उम्मीद की जा रही है। हमारी पार्टी ने पूरे प्रभाव से काम किया है। हमसे हौसले व हिम्मत रखने की उम्मीद जताई जा रही है। हर संगठन को न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि बढ़ने के लिए परिवर्तन लाने होते हैं। हमें सुधारों की सख्त जरूरत है। हमें रोजाना के काम में बदलाव लाना है। यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमें कामयाबी सामूहिक प्रयास से ही हो पाएगा। सामूहिक प्रयास न तो टाले जा सकते हैं और न ही टाले जाएंगे।
सोनिया ने कहा कि हमारे लंबे व सुनहरे इतिहास में आज एक समय आया है कि हमारी निजी आंकक्षाओं को पार्टी से अलग रखना है। पार्टी ने हमें सब कुछ दिया है। अब कर्ज उतारने का वक्त है। मैं सबसे आग्रह करती हूं कि आप अपने विचार खुलकर रखें, मगर बाहर सिर्फ एक ही संदेश जाना है। संगठन की मजबूती दृढ निश्चय का संदेश होगा। यह निश्चय बरकरार रखना है। हाल में मिली नाकामयाबी से हम बेखबर नहीं है। न ही हम उस संघर्ष की कठिनाइयों से भी बेखबर नहीं है। लोगों की हमसे जो उम्मीदें है उनसे हम अनजान नहीं है। सामूहिक रूप से यह प्रण लेने के लिए एकत्र हुए हैं। हम पार्टी को उसी भूमिका में लाएंगे जो पार्टी ने निभाई है। देश की जनता जो उम्मीद करती है हम उसी भूमिका में आएंगे। (एजेंसियां)