हैदराबाद : महिला काव्य मंच, तेलंगाना की ओर से काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ अर्चना पाण्डेय ने किया। इस दौरान डॉ अर्चना पांडेय ने सभी कवयित्रियों ने स्वागत किया। इसके बाद सभी कवयित्रियों ने अपनी-अपनी कविता क्रम से पटल पर रखी।
डॉ सुरभि दत्त ने अपनी कविता-
जीवन के मधुर गीत का
माँ तुम हो सुन्दर छंद,
वाणी का मेरी माँ ;
तुम ही हो अलंकार,
डॉ पुष्पा सिंह और मोहिनी गुप्ता ने भी मातृ दिवस के अवसर पर माँ की महिमा का सुन्दर उल्लेख किया। वैशाली सिसोदिया ने पीले पत्ते नामक बेहतरीन रचना सुनवाई-
जब भी देखती थी कोई पीला पत्ता
अक्सर ही तोड़ देती थी
शायद फबते नही थे वो मुझे
इन हरे भरे पत्तों के बीच
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सोमाली यादव ने अपनी कविता बराबरी की बात-
साथ तुम अपना स्त्रीत्व लाना
मैं अपना पौरुष लाऊँगी
सौम्यता को तुम भूल ना जाना
मौकों पर मैं कठोर हो जाऊँगी
दोनों मिल जो बनाएंगे, वो दयार क्या होगा
स्त्री और पुरुष के रिश्ते में दोनों की अहम भुमिका दर्शाती है।
कार्यक्रम के अंत में डॉ अर्चना पांडेय ने अपनी ग़ज़ल सुनवाई-
चाक की मिट्टी सा है ढलना मुझे,
मां की ठंडी छाव में पलना मुझे।
सभी कवयित्रियों ने अपनी-अपनी रचना से मंच को गुंजायमान किया। धन्यवाद ज्ञापन के साथ काव्य गोष्ठी का समापन हुआ।