समीक्षात्मक लेख : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के एक साल पूरे, क्या खोया और क्या पाया!

एक अकेले व्यक्ति ने भारत में असंभव को संभव कर दिखाया जो पहले कभी किसी ने नहीं किया! कन्याकुमारी से जम्मू-कश्मीर तक 4 हजार किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की! शायद युवा नेता राहुल गांधी देश भर में इतने किलोमीटर की यात्रा करने वाले पहले व्यक्ति है। तब तक कांग्रेस पार्टी को कई असफलताओं, कई हार, राजनीतिक रूप से सबसे खराब स्थिति का सामना करना पड़ा है और देश भर में कैडर निरुत्साहि हो गये।

भारत जोड़ो यात्रा

ऐसी स्थितियों के बीच राहुल गांधी ने महत्वाकांक्षी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 7 सितंबर 2022 को शुरू की। कांग्रेस को फिर से नई दिशा और सत्ता में लेकर आने के लिए की गई पदयात्रा को एक साल हो गये है। राहुल गांधी की पदयात्रा की शुरुआत के बाद से पार्टी और कैडर में क्या बड़े बदलाव हुए हैं? क्या यह पदयात्रा कांग्रेस के लिए लाभ दायक साबित हई या नहीं? इस एक साल के दौरान पार्टी में कैसे परिणाम हुए? आइये देखते हैं दिलचस्प बातें…

कांग्रेस में नई जान

वैसे भी हर तरफ से मार, अनगिनत हार, लगातार दो आम चुनावों में भारी हार और हर राज्य में हार होती जा रही है। ऐसे समय में जब पार्टी की वास्तविक स्थिति की चिंता में कैडर के प्रमुख नेताओं के चले जाने से कांग्रेस जीवन और मृत्यु का सामना कर रही थी। ऐसे लग रह था कि कांग्रेस का खेल खत्म और दुकान बंद हो गया है। इसी समय राहुल गांधी ने कांग्रेस खत्म नहीं हुई है। असली फिल्म तो अब शुरू हुई कहकर कांग्रेस में नई जान भरने के लिए पदयात्रा पर निकल पड़े। इस पदयात्रा ने देखते ही देखते कांग्रेस में ऑक्सीजन भर दी।

कुल 4,081 किलोमीटर

कन्याकुमारी से शुरू हुई जोड़ो यात्रा का पहला चरण 30 जनवरी को कश्मीर में सफलतापूर्वक पूरा हुआ। यात्रा ने 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 4,081 किलोमीटर की दूरी तय की। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु से शुरू हुई और केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश होते हुए जम्मू-कश्मीर तक जारी रही। राहुल ने सबसे ज्यादा चुनाव वाले कर्नाटक में 21 दिनों तक पदयात्रा की। वहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। कम से कम राहुल ने हिमाचल प्रदेश में एक दिन और दिल्ली में दो दिन की पदयात्रा की।

अप्रत्याशित प्रतिक्रिया

आंध्र प्रदेश में 4 दिन और तेलंगाना में 12 दिन तक पदयात्रा चली। कुल 145 दिनों तक चली इस यात्रा में 75 जिलों और 76 लोकसभा क्षेत्रों को कवर किया गया। 100 नुक्कड़ सभाएं हुईं, 275 जगहों पर पैदल संवाद हुआ, 100 से ज्यादा सभाएं हुईं। राहुल ने 12 बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस की विचारधारा स्पष्ट की। पार्टी को पटरी पर लाने के लिए शुरू की गई भारत जोड़ो यात्रा को अप्रत्याशित प्रतिक्रिया मिली। इस यात्रा से करोड़ों उम्मीदें लगा रखी कांग्रेस को पुनर्जीवन मिल गया।

कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को 7 सितंब को एक साल पूरा हो गया। इसके साथ ही देशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ आई। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि युवानेता राहुल गांधी की पदयात्रा ने कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा फायदा पहुंचाया है। दूसरे शब्दों में, पार्टी नेता दावा कर रहे हैं कि यात्रा से पहले कांग्रेस और यात्रा के बाद कांग्रेस की स्थिति वैसी ही है। सभी जानते हैं कि पदयात्रा के बाद उन्होंने इस अंतराल में आम आदमी बनने और जनता और गरीबों से सीधे जुड़ने के लिए कई कार्यक्रम चलाकर अतीत से अलग एक चलन स्थापित किया।

कांग्रेस में राहुल ने नया लहु संचार कर दिया

यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति की चपेट में आ रही कांग्रेस में राहुल ने नया लहु संचार कर दिया है। नफरत के खात्मे और देश की एकता तक पदयात्रा करने निकले राहुल को जबरदस्त सफलता मिली है। युवा नेता ने कार्यकर्ताओं में जोश भी भर दिया। देश में बढ़ती कट्टरता और असहिष्णु राजनीति को संबोधित करते हुए राहुल ने पूरी दुनिया को यह भी बताया कि आजीविका को नष्ट करने वाली आर्थिक व्यवस्थाओं का विकल्प क्या है।

राहुल परिपक्व

खासकर किसान विरोधी कानून, महंगाई, बेरोजगारी और निजीकरण जैसे मुद्दों को जनता के बीच जाकर समझाकर राहुल परिपक्व हुए हैं। देश में भाजपा को वैकल्पिक रास्ता दिखाने, केंद्र में सत्ता हासिल करने और राज्यों में पैर जमाने की प्रबल राजनीतिक आकांक्षा के साथ कांग्रेस ने यह पदयात्रा सफलतापूर्वक की है। हालांकि, इस यात्रा से भले ही राहुल ने अपनी छवि थोड़ी ऊंची कर ली हो, लेकिन पार्टी में समस्याएं सुलझ नहीं रही हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के नेताओं में कानाफूसी हो रही है। यह भी आरोप है कि संगठनात्मक पार्टी की स्थिति अब भी पहले जैसे ही है।

मतदाताओं के बीच विश्वास पैदा

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रभावी नेतृत्व की कमी की स्थिति में मतदाताओं के बीच विश्वास पैदा करने के प्रयास करने की सख्त जरूरत है। सत्तारूढ़ भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को उलटने के अलावा, पार्टी को वोट हासिल करने के लिए रणनीतियों पर काम करने की जरूरत है। हालाँकि, कांग्रेस गठबंधन में शामिल डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म पर टिप्पणी नकारात्मक लगती है।

आग को छूएंगे तो राख हो जाओगे

इस यात्रा से लोगों से जुड़ने में बहुत मदद मिली। जो लोग इतने सालों से राहुल को पप्पू-पप्पू कह कर आलोचना करते आ रहे थे, इस यात्रा से उन पर लगी मुहर पूरी तरह से हट गई है और उनके आलोचकों को पता चल गया है कि अगर वह पप्पू को नहीं बल्कि आग को छूएंगे तो राख हो जाओगे। और तो और कांग्रेस के अच्छे दिन आ गये। इसके बाद से सत्ता पक्ष को साफ कर दिया है कि राहुल को हल्के में नहीं लिया जा सकता। संसद के मंच पर उनकी आलोचनात्मक टिप्पणी और दिया गया भाषण कहां तक गया यह सभी जानते हैं।

राहुल की वैश्विक छवि

इसके अलावा, भारत जोड़ो ने राहुल की वैश्विक छवि को भी काफी बढ़ा दिया। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि उन्होंने नफरत के खिलाफ प्यार बढ़ाने का दरवाजा खोल दिया है। दरअसल, वह अब तक राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की पदयात्रा करने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। यदि कोई ऐसा करता है, तो यह एक निर्वाचन क्षेत्र, जिले या राज्य तक सीमित हो सकता है। पदयात्रा के तहत जहां भी बैठक हुई, वहां मीडिया द्वारा उठाए गए सवाल और भाजपा की विफलताओं को कवर करने में यात्रा सफल रही। खासकर इस यात्रा के बाद कर्नाटक में कांग्रेस को अप्रत्याशित जीत मिली. उसके बाद तेलंगाना समेत कई राज्यों में यह पहले की तरह मजबूत हो गई।

यह वाकई राहुल की जीत

तेलंगाना में बीजेपी में शामिल होने की सोच रखने वाले प्रमुख नेता कांग्रेस की ओर रूख कर है। यह सब राहुल की पदयात्रा से ही संभव हो पा रहा है। अब तक बीआरएस और बीजेपी टकराव की स्थिति में थी। अब सीन बदल गया है। अब कांग्रेस और बीआरएस के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। राहुल की पदयात्रा की लोकप्रियता के चलते कई दल और मुख्य नेता कांग्रेस के ‘इंडिया’ गठबंधन की नींव रखी है। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह वाकई राहुल की जीत है। राहुल वाईएसआरटीपी नेता वाईएस शर्मिला को भी अपनी पार्टी में आकर्षित करने में कामयाब रहे है। शर्मिला की पार्टी का जल्द ही कांग्रेस में विलय होने जा रही है। यूं कहा जाये कि राहुल गांधी की पदया यात्रा के बाद कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आये हैं।

भारत जोड़ो यात्रा से कर्नाटक में अच्छे परिणाम

पहले चरण की भारत जोड़ो यात्रा से कर्नाटक में अच्छे परिणाम आये है। 2024 के लोकसभा चुनाव सिर्फ 6 महीने दूर हैं। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीतियां तेज कर दी हैं। आलाकमान ने राहुल की गुजरात से मेघालय तक पदयात्रा के दूसरे चरण की जोरदार तरीके से योजना बनाई है। यात्रा के एक साल पूरे होने के मौके पर राहुल ने ट्विटर पर साफ किया कि उनकी यात्रा भारत में नफरत खत्म होने और देश को एकजुट रखने तक जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि एकता और प्रेम के लिए भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े करोड़ों कदम देश के बेहतर भविष्य की नींव बन गए हैं।

दूसरा चरण पश्चिम से पूर्व की ओर

पहला चरण की पदयात्रा दक्षिण से उत्तर की ओर और दूसरा चरण पश्चिम से पूर्व की ओर पूरा रहे इसके लिए पार्टी नेता एक रूट मैप तैयार कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो यात्रा इसी महीने शुरू हो जाएगी। इस चरण में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर कांग्रेस ज्यादा फोकस करने की संभावनाएं है। ​​असली बात यह है कि भले ही अब तक सब कुछ ठीक लग रहा है, लेकिन क्या यह पदयात्रा सफल होगी या नहीं? यह तो आगामी विधानसभा चुनावों में समाधान के बाद मिल जाएगा।

फिनाले तक इंतजार

इस साल मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव होंगे। एक तरह से यह 2024 के आम चुनाव का यह सेमीफाइनल है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी इन चुनावों में जितनी प्रभावी होगी, ‘फाइनल’ के लिए उसका आत्मविश्वास उतना ही अधिक होगा। यह पदयात्रा कितनी सफल रही? यह किस हद तक साथ दिया है, यह जानने के लिए हमें फिनाले तक इंतजार करना होगा।

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