हैदराबाद: भाग्यनगर निवासी और लेखिका (मूल रूप से बिहार के नवादा की ) डॉ राशि सिन्हा को कलश कारवां फाउंडेशन (बेंगलुरु) की ओर से आयोजित राष्ट्रीय स्तर के वार्षिक अधिवेशन में साहित्य के उनके अतुलनीय योगदान हेतु महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस वार्षिक अधिवेशन में डॉ सिन्हा ने देश के नामचीन साहित्यकारों के साथ बतौर विशिष्ट विशिष्ट अतिथि मंच भी साझा किया।
बंगलुरु में आयोजित इस राष्ट्रीय अधिवेशन में कर्नाटक के भीष्म पितामह कहे जाने वाले डॉ मनोहर भारती की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ राशि सिन्हा के अतिरिक्त मंच पर दिल्ली की साहित्यकार सविता चड्ढा (मुख्य अतिथि) एवं इलाहाबाद के राघवेन्द्र नारायण भी उपस्थित थे।
हिंदी, अंग्रेजी और मागधी इन तीनों भाषाओं में कलम चलाने वाली डॉ सिन्हा की अब तक 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैं और चार प्रकाशनाधीन हैं। डॉ सिन्हा को उनकी लेखनी के लिए अब तक बहुत सारे राष्ट्रीय एवंअंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किये जा चुके हैं।
दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत प्रीति राही जी के सरस्वती वंदना से हुई। राष्ट्रीय स्तर के इस अधिवेशन में मुंबई के ओमप्रकाश बबुआ, गाजियाबाद की बीणा मित्तल, भोपाल से प्रयास जोशी, मैसूर से श्री लाल जोशी, सविता मिश्रा मागधी, भार्गवी रविंद्रन, सुधा अहलूवालिया तथा बंगलुरु के साहित्यकार ज्ञानचंद्र मर्मज्ञ के अतिरिक्त देश भर के साहित्य सेवी शामिल थे। प्राची मिश्रा के सधे संचालन ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिये।
उक्त अवसर पर देश भर से आये विभिन्न साहित्यकारों की पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ। इसमें कलश कारवां फाउंडेशन के संस्थापक राही राज जी की दो पुस्तकें फना और पिता भी शामिल हैं। अपने उद्बोधन में राही राज की पुस्तकों पर अपना वक्तव्य रखते हुए डॉ. राशि ने उनकी लेखकीय संवेदनाओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें शुभकामनाएं प्रदान की। साथ ही कहा कि अहिंदी भाषी क्षेत्र में वे उनकी धर्मपत्नी प्रीती राही जी का हिंदी प्रेम और समर्पण निश्चित रूप से सराहनीय है।