शोषण के विरुद्ध बालकों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन
कौशाम्बी (डॉ नरेन्द्र दिवाकर की रिपोर्ट) : 19 अक्टूबर को कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में विट्ठल भाई पटेल शिक्षा सदन इंटर कॉलेज, उदहिन खुर्द, सिराथू में शोषण के विरुद्ध बालकों के अधिकार एवं अन्य कानून विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती पूर्णिमा प्रांजल, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जनपद न्यायालय कौशाम्बी ने बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम और शोषण के विरुद्ध बालकों के अधिकार पर बात करते हुए कहा कि प्रत्येक बच्चे को पोषण युक्त भोजन, कपड़े, आश्रय सम्मान के साथ जीवन जीने, अच्छा स्वास्थ्य, स्वच्छ हवा-पानी, साफ-सुथरे वातावरण का अधिकार है।
बालकों (लड़के और लड़की दोनों) को शोषण व हिंसा के विरुद्ध अधिकार, अपमानित किए जाने के विरुद्ध, शारीरिक व लैंगिक शोषण के विरुद्ध, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ या संगठन बनाने के स्वतंत्रता, आत्म निर्णय की स्वतंत्रता जैसे अधिकार भी प्राप्त हैं। सीखने, शिक्षा प्राप्त करने, आराम करने, खेलने-कूदने के साथ ही मानसिक, शारीरिक व संवेगात्मक विकास का अधिकार भारतीय संविधान, बालकों से संबंधित विभिन्न विधियों और बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत प्रदान किया गया है।
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बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के का विवाह प्रतिबंधित किया गया है। बच्चे देश की अमूल्य धरोहर और देश का भविष्य हैं। इसलिए इन्हें संवारने का प्रयास सभी को करना चाहिए। हम सबकी जिम्मेदारी है कि बच्चों के अधिकारों का हनन होने से रोकें और सभी सार्वजनिक एवं निजी संस्थाओं को चाहिए कि वे बच्चों के सर्वोत्तम हितों को अपने कार्य एवं क्रियाकलापों में प्राथमिकता दें।
प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण जीवन एवं बहुमुखी विकास का जन्मजात अधिकार है। इसके अन्तर्गत बच्चों की सुरक्षा, उनके स्वास्थ्य एवं उनकी शिक्षा का अधिकार सम्मिलित हैं जिनका उद्देश्य बच्चों के व्यक्तित्व, योग्यता व मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास है तथा सामाजिक सुरक्षा से पूर्ण लाभ प्राप्त करने का अधिकार भी इसमें सम्मिलित है।
किशोर न्याय देखभाल एवं संरक्षण अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम, एंटी ट्रैफिकिंग एक्ट, बाल कल्याण समिति, एंटी रैगिंग एक्ट तथा भारतीय न्याय संहिता (पूर्व में भारतीय दण्ड संहिता), कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (पूर्व में दण्ड प्रकिया संहिता) की धारा 125 के तहत उपलब्ध भरण पोषण के उपबंधों सहित अन्य अधिनियमों में बालकों व उनके अधिकारों से संबंधित तमाम प्रावधानों, उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना व विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं, पात्र व्यक्तियों, तहसील स्तर पर स्थापित लीगल एड फ्रन्ट ऑफिस और वैकल्पिक विवाद समाधान पद्धति की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का निर्माण 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य है बच्चों को इस अपराध से बचाना व समय पर न्याय दिलवाना। इस एक्ट के अन्तर्ग दोषी पाए गए व्यक्ति के लिए 3 साल से लेकर उम्रकैद व मृत्युदंड का भी प्रावधान है। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य, शिक्षक, कर्मचारी व सैकड़ों की संख्या में छात्र-छत्राएं मौजूद रहे।