हैदराबाद: बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर फरार हो गई। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्होंने शेख हसीना का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया। खालिता कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से घर में नजरबंद हैं।
शहाबुद्दीन ने संसद को भंग करने के बाद एक अंतरिम सरकार का गठन करने का भी ऐलान किया। हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी जिया को भ्रष्टाचार मामले में 2018 में जेल में डाल दिया गया था। माना जा रहा है कि नई सरकार में खालिदा जिया फिर प्रधानमंत्री बनेंगी। आइए जानते है कौन खालिता जिया और कैसे होगा भारत से संबंध।
खालिदा जिया मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं। 15 अगस्त 1945 को बंगाल के जलपाईगुड़ी में उसका जन्म हुआ था। जिया का राजनीतिक कॅरियर उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद यानी 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रही थी। उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की 1978 में स्थापना की थी। 1991 में वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। पाकिस्तान की बेनजीर भुट्टो के बाद वह मुस्लिम दुनिया की दूसरी महिला पीएम बनीं थी।
2001 से 2006 तक वह दूसरे कार्यकाल के दौरान भी पीएम रहीं। 2006 में उनकी सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जनवरी 2007 के चुनावों को राजनीतिक हिंसा और अंदरूनी कलह के कारण स्थगित कर दिया गया। इसके कारण कार्यवाहक सरकार पर सेना ने नियंत्रण कर लिया। अपने अंतरिम शासन के दौरान कार्यवाहक सरकार ने जिया और उनके दो बेटों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। जिया फिलहाल कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं। इस कारण वह कई बार चिकित्सा देखभाल के लिए विदेश यात्रा करती हैं।
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बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना का जाना भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। क्योंकि खालिदा जिया के शासन के दौरान कई तरह के तनाव भारत से रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि खालिदा जिया का झुकाव पाकिस्तान की ओर रहा है और उनकी पार्टी बीएनपी में कट्टरपंथी भरे हैं जो भारत के लिए समस्या है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के मनीष दाभाड़े कहा हैं, “विपक्षी नेता खालिदा जिया की बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के कट्टरपंथी और इस्लामवादी भारत के लिए मुख्य समस्या हैं। उन्होंने बांग्लादेश के विरोध प्रदर्शन को हाईजैक कर लिया था और भविष्य में कोई भी सरकार जिसमें वे शामिल हों वह भारत के लिए समस्या होगी, क्योंकि मूल रूप से वह चीन और पाकिस्तान समर्थक हैं।” (एजेंसियां)