हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र पर 480वें नवीकरण कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह 9 दिसंबर को आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षेत्रीय निदेशक एवं पाठ्यक्रम संयोजक प्रो. गंगाधर वानोडे ने की।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के पूर्व प्रो. जय किशन, विशिष्ट अतिथि शिक्षण महर्षि ज्ञानदेव मोहेकर महाविद्यालय, कळंब, ता. कळंब, जिला उस्मानाबाद, महाराष्ट्र के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. दत्ता शिवराम साकोळे, पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक तथा अतिथि अध्यापक डॉ. दीपेश व्यास मंच पर उपस्थित थे।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। अतिथियों के स्वागत में गीत प्रस्तुत करके कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में कुल 31 (महिला-08, पुरुष-23) प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।
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इस अवसर पर तीन-चार प्रतिभागियों ने इस पाठ्यक्रम से उनकी क्या अपेक्षाएँ हैं। इसके बारे में मंतव्य व्यक्त किया। वे इस पाठ्यक्रम हिंदी में व्याकरण लेखन अशुद्धियों तथा पाठ्यपुस्तक पर चर्चा चाहते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ. दत्ता शिवराम साकोळे ने कहा कि हिंदी भाषा मनुष्य को मनुष्य बनाने का काम करती है। इससे मनुष्य में सद्गुण एवं संस्कार आते हैं।
मुख्य अतिथि डॉ. जय किशन ने कहा कि हिंदी अपने ही देश में अल्पसंख्यक के रूप में कार्य कर रही है। इसका मुख्य कारण राजनैतिक है, जिससे हिंदी आज भी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि हिंदी शिक्षक सभी विषय पढ़ा सकते हैं किंतु अन्य विषय के शिक्षक हिंदी नहीं पढ़ा सकते, यह इसके शिक्षक होने का बहुत बड़ा लाभ है।
पाठ्यक्रम संयोजक एवं अध्यक्ष प्रो. वानोडे ने कहा कि शिक्षकों को इसमें प्रशिक्षण लेने का अवसर मिले तो उन्हें इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर संस्था द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं इसकी रूपरेखा से सभी को अवगत कराया।
क्षेत्रीय निदेशक प्रो. वानोडे ने अध्यापकों को आश्वस्त किया कि वे उनके समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करेंगे। इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. वानोडे के साथ-साथ डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. दीपेश व्यास, डॉ. कामेश्वरी, डॉ. संध्या दास, डॉ. कमालुद्दीन तथा डॉ. राजीव कुमार सिंह अध्यापन का कार्य करेंगे।
कार्यक्रम के संचालक डॉ. फत्ताराम नायक ने सभी का परिचय कराते हुए विषय प्रवर्तन किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. दीपेश व्यास ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस पाठ्यक्रम में तकनीकी सहयोग श्री सजग तिवारी ने दिया।