हिंदी भाषा संचेतना शिविर का 14 वां समापन समारोह संपन्न, इन वक्ताओं ने दिया यह संदेश

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र ने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, कॉलेज ऑफ प्रचारक विद्यालय, (बी.एड.), माचवरम, विजयवाडा के प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्रों के प्रशिक्षण के लिए 1 से 12 मार्च तक 14 वाँ हिंदी भाषा संचेतना शिविर आयोजित किया। इस शिविर का समापन बुधवार को हुआ।

समापन समारोह की अध्यक्षता प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने की। मुख्य अतिथि के रूप में बाल चिकित्सक, ग्लोबल हॉस्पिटल, विजयवाडा, आंध्र प्रदेश के डॉ. मोटूरि सुभाष चंद्र बोस, विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदी प्रचारक प्र. महाविद्यालय, विजयवाडा की प्राचार्या डॉ. के. चारूलता, स्नातकोत्तर विभाग, उच्च शिक्षा तथा शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, पी.जी. विभाग, द.भा.हिं.प्रचार सभा, विजयवाडा के आचार्य डॉ. पी. श्रीनिवास राव, पाठ्यक्रम संयोजक क्षेत्रीय निदेशक, प्रो. गंगाधर वानोडे उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के पाठ्यक्रम प्रभारी एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. फत्ताराम नायक थे। इस कार्यक्रम में कुल 86 (महिला-63, पुरुष-23) प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे ने हिंदी भाषा परिमार्जन- मौखिक अभिव्यक्ति, वाचन अभ्यास, वार्तालाप अभ्यास, हिंदी ध्वनियों का उच्चारण, ध्वनिविज्ञान के विविध पक्ष को विस्तार से बताया। इनके अलावा डॉ. फत्ताराम नायक ने शब्द निर्माण में उपसर्ग और प्रत्यय, पर्यायवाची एवं विलोम शब्द, मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ, भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय संस्कृति तथा भारतीय जीवन पद्धति, भारत के प्रमुख त्यौहार, योग शिक्षा एवं पर्यावरण शिक्षा का सामान्य परिचय किया। डॉ. सी. कामेश्वरी ने मानक हिंदी लेखन एवं प्रयोग, व्यावहारिक हिंदी संरचना, हिंदी शिक्षण में तकनीकी का प्रयोग, हिदी व्याकरण के विविध पक्ष की जानकारी दी।

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डॉ. जी. पद्मावती ने भारत के विभिन्न धर्म, भारतीय बहुतधर्मिकता और समन्वय, शिक्षा का अर्थ उद्देश्य एवं महत्व, शिक्षा के अभिकरणों का सामान्य परिचय, शिक्षा द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय चेतना का विकास की जानकारी दी। डॉ. पी. श्रीनिवास राव ने शिक्षण अधिगम प्रक्रिया, अन्य भाषा शिक्षण की विधियों का सामान्य परिचय विषय को संपन्न किया। डॉ. एम. जयलक्ष्मी ने भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय दर्शन एवं डॉ. बी. वाणी ने शिक्षा मनोविज्ञान की शिक्षक के लिए उपयोगिता विषय पर विशेष व्याख्यान दिया।

समापन समारोह के दौरान अत्यंत उत्साह के साथ छात्रों ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन कु. राधारानी जेना और कु. लक्ष्मीप्रिया पोढ़ ने किया। कु. प्रियंका मिश्र के मधुर तान पर अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। उसके बाद छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना, संस्थान गीत, स्वागत गीत से अतिथियों का स्वागत किया। जीवन कुमार महाराणा ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। छात्रों ने शिविर के प्रति अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अपनी प्रतिभा को उजागर करते हुए छात्रों ने देशभक्ति गीत, एक तेलुगु गीत, स्वरचित कविताएँ, समूह नृत्य, एकल नृत्य प्रस्तुत किए।

शिविर के अतिथि प्रवक्ताओं ने आशीर्वचन दिए। हैदराबाद से आईं डॉ. सी. कामेश्वरी, सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर, भवंस विवेकानंद कॉलेज, सिकंदराबाद ने छात्रों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि भविष्य में उन्नत स्थान प्राप्त करने के लिए दैनिक विकास आवश्यक है। प्रतिदिन कुछ नया सीखते हुए, कल की तुलना में अपने आज बेहतर बनाने को कहा। डॉ. एम. जयलक्ष्मी, असिस्टेंट प्रोफेसर, पी. बी. सिद्धार्थ कॉलेज ने छात्रों को शुभकामनाएँ दी। डॉ. बी. वाणी, हिंदी अध्यापक, हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय ने कहा कि इस तरह के शिविर पुनश्चरण होते हैं और वर्ष में एक बार ऐसे पाठ्यक्रम छात्रों और अध्यापकों के लिए भी आवश्यक होते हैं।

डॉ. जी. पद्मावती, हिंदी अध्यापक, हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय ने 12 दिन आयोजित इस कार्यक्रम के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र और अपने महाविद्यालय की प्राचार्या को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस अवधि में छात्रोपयोगी अनेक अंशों पर ध्यान केंद्रित किया गया और बड़ी कुशलता से इनका अध्ययन और अध्यापन हुआ। व्याकरण के सूक्ष्म से सूक्ष्म बिंदुओं को आत्मसात करने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ। छात्रों ने अपने लेखन कौशल का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करते हुए हस्तलिखित ‘कलिंग एक सांस्कृतिक परिदृश्य’ पत्रिका तैयार की जिसका लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो. सुनील कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने संदेश द्वारा अपनी शुभ कामनाएँ व्यक्त की। यह अत्यंत सौभाग्य की बात थी कि केंद्रीय हिंदी संस्थान के संस्थापक पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. मोटूरि सत्यनारायण के भतीजे डॉ. मोटूरि सुभाष चंद्र बोस मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने अपने संबोधन में अपने चाचा जी की स्मृति में, हिंदी के प्रति अपने लगाव को व्यक्त करते हुए अपनी आप बीती सुनाई।

हिंदी प्रचारक प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. के. चारुलता, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस शिविर के आयोजन से उन्हें खुशी का अनुभव हो रहा है और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से छात्र लाभान्वित होते हैं। इस कार्यक्रम में द.भा.हिं.प्र.सभा. विजयवाड़ा के स्नातकोत्तर विभाग के अध्यक्ष डॉ पी. श्रीनिवास राव भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने छात्रों को हार्दिक शुभ कामनाएँ देते हुए सोहनलाल द्विवेदी जी की कविता का स्मरण करते हुए, सतत प्रयासरत रहने को कहा।

कार्यक्रम के संयोजक प्रो. गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र ने अपने वक्तव्य में विद्यार्थियों को लगातार पढ़ने, लिखने, बोलने का अभ्यास करने को कहा। उच्चारण पर बल देते हुए हिंदी बोलने, भाषा को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि विदेशी छात्र अधिकाधिक संख्या में केंद्रीय हिंदी संस्थान में प्रवेश लेते हैं।

संचेतना शिविर के सभी प्रतिभागियों को अतिथियों के द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किए गए। पर-परीक्षा के आधार पर उत्तम अंक प्राप्त छात्रों को विशेष पुरस्कार दिए गए। कु. वर्षा साहु को प्रथम, शेख नगूर खासिम को द्वितीय, कु. बैशाखी पलेइ को तृतीय पुरस्कार और कु. लक्ष्मी प्रिया को प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त हुए। कु. प्रियंका मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ।

इस शिविर की एक और विशेषता मार्च 8 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में जहाँ प्राध्यापिकाओं ने अपनी सफलता की कहानियाँ बताईं तो छात्रों ने अपनी स्वरचित कविताओं और स्त्री शक्ति का समाज में अहम् भूमिका पर अपनी भावनाएँ व्यक्त की। भाषा संचेतना शिविर में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास के अध्यक्ष एवं कुलाधिपति श्री. वी. मुरलीधरन और मुख्य सचिव श्रीमती निर्मला जी की उपस्थिति से छात्रों, अध्यापकों के उत्साह को बढ़ावा मिला।

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