केंद्रीय हिंदी संस्थान : गोवा में 464वें नवीकरण पाठ्यक्रम का आयोजन, मुख्य अतिथि डॉ झिंगडे ने कहा- सभी भाषाएँ महत्वपूर्ण हैं

हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र द्वारा गोवा राज्य के माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए एससीईआरटी, गोवा में 9 से 20 अक्टूबर तक 464वें नवीकरण पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पाठ्यक्रम 87 हिंदी अध्यापकों (11 पुरुष तथा 76 महिला) ने पंजीकरण किया तथा नियमित उपस्थित रहकर प्रतिभागिता की।

इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के साथ-साथ पंकज सिंह यादव, अतिथि अध्यापक (अनुबंध), डॉ. संध्या दास, अतिथि अध्यापक ने कक्षाध्यापन कार्य संपन्न किया। डॉ. संदीप लोटलीकर, डॉ. प्रदीप जटाल तथा डॉ. रमिता गुरव ने विशेष व्याख्यान दिए। पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों से हस्तलिखित पत्रिका “गोमांत संहिता” की रचना करवाई गई। पाठ्यक्रम के अंत में पर-परीक्षण लिया गया। इसमें प्रथम पुरस्कार चैताली हरमलकर, द्वितीय पुरस्कार राजश्री गोसावी तथा तृतीय पुरस्कार सोनिया देसाई को प्राप्त हुआ।

20 अक्टूब को नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह आयोजित किया गया। समापन समारोह की अध्यक्षता क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. शैलेश झिंगडे तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में एससीईआरटी गोवा के समन्वयक सह-आचार्य डॉ. गोपाल प्रधान उपस्थित थे। इस दौरान अतिथि अध्यापक डॉ. संध्या दास तथा श्री पंकज सिंह यादव मंच पर उपस्थित थे। दीप प्रज्वलन तथा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। प्रतिभागियों के समूह ने संस्थान गीत तथा स्वागत गीत गाया।

क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने अतिथियों का स्वागत किया तथा परिचय दिया। प्रतिभागियों ने सभी अतिथियों को सम्मानित किया। इस दौरान प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम से संबंधित अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ प्रस्तुत कीं। पाठ्यक्रम पर आधारित स्वरचित कविता पाठ किया, देशभक्ति गीत गाएँ तथा लोकनृत्य प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि डॉ. शैलेश झिंगडे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी भाषाएँ महत्वपूर्ण हैं। भाषा के बिना कोई कार्य संभव नहीं है। कोई भी विषय पढ़ने के लिए भाषा योगदान महत्वपूर्ण है। सभी भाषा के अध्यापकों पर बहुत बड़ी जबाबदारी है। अपने आप को हमेशा अद्यतन रखिए। उच्चारण तथा लेखन अशुद्धियों में सुधार कीजिए। विशिष्ट अतिथि डॉ. गोपाल प्रधान ने कहा कि भाषा के अध्यापकों ने इस दौरान जो प्रशिक्षण प्राप्त किया है उससे उनके ज्ञान में वृद्धि हुई होगी, इसे निरंतर अभ्यास के द्वारा और परिमार्जित करें।

अतिथि अध्यापक डॉ. संध्या दास ने अपने आशीर्वचन वक्तव्य में कहा कि सभी अध्यापकों ने इस पाठ्यक्रम में विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त किया है, उसका प्रयोग अपने अध्यापन कार्य में करें। अतिथि अध्यापक पंकज सिंह यादव ने कहा कि छात्रों को साहित्यिक पाठ पढ़ाते समय इस पाठ्यक्रम में जिस तरह से आपको प्रशिक्षण दिया है उस तरह पाठ का विश्लेषण कर छात्रों में रुचि उत्पन्न करना चाहिए।

अध्यक्षीय उद्बोधन डॉ. गंगाधर वानोडे ने प्रतिभागियों को आशीर्वचन वक्तव्य देते हुए कहा कि अध्यापकों को हमेशा विद्यार्थी बनकर ज्ञान अर्जित करते रहना चाहिए। उच्चारण की त्रुटियों को दूर करने के लिए डीडी दूरदर्शन से प्रसारित समाचारों को रोज ध्यानपूर्वक सुनें तथा शुद्ध उच्चारण करने का अभ्यास करें। रोज आधा घंटा कोई भी हिंदी की पुस्तक पढ़ें और शब्दों की वर्तनी को ध्यान से देखें और लिखने का प्रयास करें तो समस्या का समाधान और सुधार जल्दी होगा।

समापन समारोह में प्रतिभागियों द्वारा रचित हस्तलिखित पत्रिका “गोमांत संहिता” का विमोचन मंचस्थ अतिथियों के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। पर-परीक्षण में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। तत्पश्चात प्रमाणपत्रों का वितरण किया गया। समापन समारोह का सफल संचालन हिंदी अध्यापक श्री वामन धारवाडकर, श्रीमती अनुपा भगत द्वारा किया गया तथा आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन हिंदी अध्यापिका ने किया।

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