APHC ने पदों की भर्ती मुद्दे पर कहा- “पूंछ के साथ कुत्ता नहीं खेलता, कुत्ता ही पूंछ के साथ खेलता है”

हैदराबाद : ग्रुप-1 पदों की भर्ती के लिए जारी अधिसूचना में उल्लेख नहीं किए गए मुद्दों और परिशिष्ट में जारी फॉर्म-1 में खेल कोटा को एपीपीएससी की ओर से इनकार किये जाने के विरोध में एक व्यक्ति ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति डीवीएस सोमयाजुलु की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह परिशिष्ट में दिए गए फॉर्म-1 के आधार पर खेल कोटे के तहत आरक्षण से इनकार नहीं कर सकती। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अहम बातें कही। “पूंछ के साथ कुत्ता नहीं खेलता, कुत्ता ही पूंछ के साथ खेलता है।”

साथ ही APPSC ने फॉर्म-1 के प्रावधानों के अनुसार काम नहीं किया है। अधिसूचना और सरकारी जीओ के नियमों के अनुसार ही कार्य करेंगे। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को प्रतिभाशाली खेल विभाग में लेने पर विचार करने का APPSC को निर्देश दिया है। अनुच्छेद 309 के अनुसार राज्य अधीनस्थ नियम भी स्पष्ट करते हैं कि ‘प्रतिभाशाली खिलाड़ी’ की परिभाषा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके प्रतिभागियों तक सीमित नहीं किया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवीएस सोमयाजुलु ने हाल ही में इस आशय का फैसला सुनाया।

ग्रुप-1 पदों के लिए आवेदन करने वाले टेनिस खिलाड़ी जे वेंकट बालाजी केंद्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने की योग्यता है। मगर APPSC ने प्रीलिम्स और मेन्स में उनके स्पोर्ट्स सर्टिफिकेट ऑफ क्वालिफिकेशन को खारिज कर दिया है। अधिसूचना के साथ संलग्न फॉर्म-1 में खेल विषय को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लिया है इसलिए उसे आरक्षण लागू नहीं होता है। इस बात को लेकर बालाजी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें पेश करने वाले वरिष्ठ वकील बी आदिनारायण राव ने हाईकोर्ट को बताया कि अधिसूचना में यह उल्लेख नहीं है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले ही खेल कोटे के तहत ग्रुप-1 पद के लिए योग्य है। साथ ही तर्क दिया जाता है कि परिशिष्ट के रूप में जारी किए गए फॉर्म-1 में योग्यता निर्दिष्ट करना कानून के विरुद्ध है। जीवो 74 के अनुसार ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने से लेकर राज्य और अंतर-जिला स्कूल खेलों में भाग ले चुके सभी खेल कोटा के लिए पात्र है।

जस्टिस डीवीएस सोमयाजू की पीठ ने आदिनारायण राव की इन दलीलों पर सहमति जताई। साथ ही कहा कि राज्य अधीनस्थ नियमों में भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी का मतलब केवल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना नहीं है। मुख्य अधिसूचना में निहित शर्तों को APPSC की ओर से जारी किये गये नोट/फॉर्म के प्रावधान पार नहीं कर सकते है।

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