पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत ने दिया शरण, खालिदा जिया जेल से रिहा, देश के नाम दिया यह संदेश

ढाका/हैदराबाद : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया जेल से रिहा हो गई हैं। उन्होंने रिहाई के बाद लोगों को बधाई संदेश दिया है। खालिदा जिया ने कहा कि हमारे बहादुर बच्चों के संघर्ष के कारण देश आजाद हुआ है। खालिदा जिया ने उन लोगों का भी शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने उनके स्वास्थ्य और आजादी के लिए प्रार्थना की है।

गौरतलब है कि खालिदा जिया ने मार्च 1991 से मार्च 1996 तक और फिर जून 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं थी और बेनजीर भुट्टो के बाद मुस्लिम देश में दूसरी महिला प्रधानमंत्री थीं। वह बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी हैं। वह 1984 से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष हैं। इसकी स्थापना उनके पति ने 1978 में की थी।

खालिदा जिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में कहा कि इस जीत ने हमें एक नई शुरुआत दी है। हमें लोकतंत्र के लंबे समय से चले आ रहे मलबे और भ्रष्टाचार के ढेर से एक नया देश, एक समृद्ध बांग्लादेश बनाना है। छात्र और युवा हमारा भविष्य हैं। हम उनके सपनों को साकार करेंगे। मैं अपने बहादुर बच्चों को अपना हार्दिक धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने असंभव को संभव बनाने के लिए लड़ाई लड़ी है। मारे गये सैकड़ों शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।”

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बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख और दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी खालिदा जिया को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने शेख हसीना के पद से हटाए जाने के कुछ ही घंटों बाद रिहा करने का आदेश दिया। जिया को 2018 में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया था और उन्हें 17 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद वे उस साल चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गईं। खराब स्वास्थ्य के कारण वह अधिकांश समय अस्पताल में रहीं।

शेख हसीना के पद से हटाए जाने के बाद भी पिछले एक महीने से हिंसा जारी है। सोमवार को शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद से बांग्लादेश में अवामी लीग के 20 नेताओं के शव मिले हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता और देश के माइक्रोफाइनेंस के अग्रणी मोहम्मद यूनुस, जो सेना समर्थित अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं ने लोगों को शांति बनाए रखने का आह्वान किया है। शेख हसीना बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। उन्होंने सेना के 45 मिनट के अल्टीमेटम के बाद इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया। वह इस समय भारत में हैं। भारत ने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण से यह फैसला लिया गया है। (एजेंसियां)

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