मिधानि में हिंदी कार्यशाला, वक्ताओं ने दिया इन विषयों पर संंदेश

हैदराबाद: सोमवार को रक्षा मंत्रालय के उपक्रम मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानि) में मिधानि की राजभाषा कार्यान्वयन समिति के तत्वावधान में मिधानि के कर्मचारियों के लिए एक पूर्ण दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला चार सत्रों में संपन्न हुई।

डॉ रानी गीतेश काटे ने बोले…

प्रथम सत्र में दक्षिण केंद्र रेलवे की वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी डॉ रानी गीतेश काटे ने ‘राजभाषा के रूप में हिंदी का चयन एवं कार्यान्वयन’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान राजभाषा के रूप में हिंदी के चयन के औचित्य पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि हिंदी को संविधान सभा ने एकमत होकर राजभाषा के रूप में चुना था। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान भारतीय संस्कृति एवं भाषा के संबंध पर भी प्रकाश डाला। हिंदी और अंग्रेजी भाषा की सांस्कृतिक विचार धारा में अंतर को रेखांकित करते हुए प्रतिभागियों में हिंदी के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने का प्रयास किया। डॉ. काटे ने यह भी बताया कि हिंदी भारतीय जनता में आत्मविश्वास बढ़ाने का काम कर सकती है। इसके लिए प्रयोगकर्ता को चाहिए कि वे हिंदी बोलने और लिखने में हीन भावना को त्यागे।

सेवानिवृत्त सहायक निदेशक मु. कमालिद्दीन ने कहा…

द्वितीय सत्र में हिंदी शिक्षण योजना, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, सिकंदराबाद के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक मु. कमालिद्दीन ने ‘राजभाषा के कार्यान्वयन में उपयोगी प्रशासनिक शब्दावली’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने प्रशासनिक शब्दावली व संक्षिप्त टिप्पणियों के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रशासनिक शब्दावली व संक्षिप्त टिप्पणी से न केवल परिचय कराया बल्कि उनसे अभ्यास भी कराया।

गीता संदेश प्रबंधक श्रीहर्ष वैद्य दिया संदेश…

तृतीय सत्र में इस्कॉन हैदराबाद के गीता संदेश प्रबंधक श्रीहर्ष वैद्य ने ‘एक ऐसा जीवन जो अधिक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण हो’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान मनुष्य जीवन के अर्थ और उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि निंदक और शुभचिंतक को सुनें और सार्थक निर्णय लेने की क्षमता विकसित करें। जीवन में उत्साह, निश्चय और धैर्य का होना आवश्यक है।

इन तीनों तत्वों द्वारा किए जा रहे कार्य की सफलता निर्भर करती है। मन को ऐसा बनाने का प्रयास करें जो सार्थक और उद्देश्यपूर्ण निर्णय लेने में हमारी मदद कर सके। ताकि हम स्वयं अच्छे और बुरे समय में स्वयं की मदद कर सकें। उन्होंने बताया कि जब हम कृतज्ञता, तन्यकता, लचीलापन जैसे गुण विकसित कर लेते हैं तो जीवन में आने वाली अड़चनों को कार्यों को आसान बनाने वाले औजार बनाने में सक्षम हो सकते हैं। यह जरूरी है कि हमारे अपने संग-साथी सकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति हों।

डॉ. बी. बालाजी ने जानकारी दी…

चार सत्रों में चले कार्यशाला के आरंभ में उद्यम के उप प्रबंधक (हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार) डॉ. बी. बालाजी ने हिंदी कार्यशाला के आयोजन के आवश्यकता पर अपने विचार प्रस्तुत किए और चतुर्थ सत्र में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम में उल्लेखित राजभाषा संबंधी लक्ष्यों की जानकारी दी। कार्यालय में लागू हिंदी की विभिन्न योजनाओं का परिचय देकर प्रतिभागियों को राजभाषा हिंदी में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर उन्होंने गांधी जी के राष्ट्रभाषा (राजभाषा) चयन के आधार स्वरूप सुझाए गए मुख्य पांच बिंदुओं की ओर भी प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया। ये पांच बिंदु है- (1) अमलदारों के लिए वह भाषा सरल होनी चाहिए। (2) उस भाषा के द्वारा भारतवर्ष का आपसी धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार हो सकना चाहिए। (3) यह जरूरी है कि भारतवर्ष के बहुत से लोग उस भाषा को बोलते हों। (4) राष्ट्र के लिए वह भाषा आसान होनी चाहिए। और (5) उस भाषा का विचार करते समय किसी क्षणिक या अल्प स्थायी स्थिति पर जोर नहीं देना चाहिए।

इन लक्षणों पर चर्चा करते हुए डॉ. बालाजी ने बताया कि विद्वानों के मतानुसार हिंदी भाषा इन लक्षणों पर बिल्कुल खरी उतरती है। उन्होंने प्रतिभागियों को राजभाषा में काम करने के लिए कंप्यूटर पर हिंदी टंकण की मौलिक जानकारी भी दी और अभ्यास कराया।

कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों द्वारा राजभाषा में कार्य करने हेतु शपथ से हुआ। कार्यशाला के सफल आयोजन में हिंदी विभाग की श्रीमती डी रत्नाकुमारी, कनिष्ठ कार्यपालक (एनयूएस) का सक्रिय सहयोग रहा।

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