सुश्री माधुरी ‘महाकाश’ की ‘हे नचिकेता’ एवं टकोमल किसलय’ लोकार्पित, इन वक्ताओं ने दिया संदेश

लखनऊ: कृषि सहकारी स्टाफ ट्रेंनिंग सेन्टर, सेक्टर 21 इंदिरा नगर लखनऊ में सुश्री माधुरी महाकाश की दो पुस्तकों ‘हे नचिकेता’ (महाकाव्य), एवं टकोमल किसलय’ (काव्य संग्रह), का विमोचन वरिष्ठ साहित्यकारों एवं गणमान्य जनों की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया। सर्वप्रथम परिषद मां सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन, मां आह्वान करते के पश्चात पार्षद गीत गायन हुआ। उसके बाद आचार्य केशरी प्रसाद शुक्ल ने नचिकेता प्रसंग और कठोपनिषद कथानक के गहन संदर्भों का वर्णन किया। तत्पश्चात विशिष्ट अतिथि प्रभुणारायण ने नचिकेता की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि आचार्य ओम नीरव ने ‘हे नचिकेता’ और ‘कोमल किसलय’ दोनों ग्रंथों को साहित्यिक विशिष्टताओं और उसके माधुर्य पक्ष पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात कृतिकार माधुरी महाकाश ने सृजन की परिस्थितियों और उसमें आने वाली विविध चरणों और अपनी अनुभूतियों का वर्णन किया। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ जयप्रकाश तिवारी ने शीर्षक से लेकर अन्तिम अध्याय तक के वैशिष्ट्य की गहन विवेचना प्रस्तुत किया तथा शीर्षक की दार्शनिक व्याख्या करते हुए शीर्षक में ही सम्पूर्ण आध्यात्मिक सार तत्व अंतर्निहित होने की बात कही।

ग्रंथ में कुल 56 बार ‘हे नचिकेता’ शब्द के प्रयोग को अंक विज्ञान से 5+6=11 को साहित्यिक मुहाबिरे ‘एक और एक ग्यारह’ की प्रकृति और पुरुष बताया तथा ‘नौ दो ग्यारह’ की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए जन यह बताया कि साहित्य में तो इसका अर्थ है कर्ता का भाग जाना, किंतु अध्यात्म में इसका अर्थ है अज्ञान का भाग जाना, नाश हो जाना और ज्ञान के नष्ट होने पर ज्ञान के आलोक में यत्र तत्र सर्वत्र ब्रह्म का ही दर्शन करना “ईशावास्य इदं शर्मं”, “सर्वम खलु इदं” ब्रह्म”। नचिकेता के तृतीय प्रश्न मृत्यु क्या है? का यही उत्तर है।

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प्रोफेसर हरिशंकर मिश्र ने सभी पूर्व वक्ताओं के कथन को समहित करते हुए उप अपनी विशिष्ट टिप्पणियां प्रस्तुत की। उन्होंने यह भी कहा कि माधुरी जी के पूर्व प्रकाशित महाकाव्य ‘शकुंतला माटी अक्षय वट की’ के लोकार्पण कार्यक्रम में भी मैं उपस्थित था। दोनों ही महाकाव्य हिंदी साहित्य की धरोहर है। साहित्य जगत में इसका उचित समादार होगा। अंत में परिषद के लखनऊ महानगर अध्यक्ष श्री निर्भय नारायण गुप्त ने पधारे हुए सभी साहित्य मनीषियों का आभार प्रस्तुत करते हुए लखनऊ के एक हास्य व्यंग्य साहित्यकार के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रखते हुए श्रद्धांजलि समर्पण के साथ इस समारोह के समापन की घोषणा की। समारोह सभागार साहित्यिक और आध्यात्मिक अनुरागियों से भरा हुआ था।

लोकार्पण कार्यक्रम में डॉ. ममता पंकज, (कार्यक्रम संचालक), आचार्य केशरी प्रसाद शुक्ल, (विषय प्रवर्तन), आचार्य ओम नीरव (प्राख्यात छंदाचार्य, कवि, समीक्षक / विशिष्ट अतिथि), कृतिकार कवयित्री माधुरी महकाश, प्रोफेसर हरिशंकर मिश्र, हिन्दी विभाग, लखनऊ वि. वि. लखनऊ, कार्यक्रम अध्यक्ष) श्री प्रभु नारायण श्रीवास्तव, (अध्यक्ष अखिल भारतीय मालवीय मिशन), श्री निर्भय नारायण गुप्त (अखिल भारतीय साहित्य परिषद, लखनऊ महानगर अध्यक्ष), डॉ. जयप्रकाश तिवारी (समीक्षक / मुख्य वक्ता), कवयित्री के पति दिनेश सिंह और अन्य उपस्थित थे।

‘रचनाशीलता का गणित’ और ‘मां चंद्रिका देवी की महिमा’ लोकार्पित

लखनऊ: कृष्ण नगर स्थित एस एस डी इण्टर कालेज में संपन्न इस इस कार्यक्रम में ‘रचनाशीलता का गणित’ और ‘मां चंद्रिकादेवी की महिमा’ का लोकार्पण हुआ।

कार्यक्रम में भारी संख्या में साहित्यानुरागी उपस्थित थे। मंच पर डॉ. जयप्रकाश तिवारी (कार्यक्रम अध्यक्ष), डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी पूर्व प्राचार्या महिला डिग्री कॉलेज, लखनऊ, (मुख्य अतिथि), ज्ञानेंद्र पांडेय “मधुरस” पूर्व वरिष्ठ कोषागार अधिकारी अमेठी/वरिष्ठ साहित्यकार एवं अवधि कवि (मुख्य वक्ता), वेद प्रकाश सिंह प्राचार्य इंटर कॉलेज अमेठी (वक्ता), दिलीप कुमार पाण्डेय, बेअदब लखनवी (दोनों लोकार्पित पुस्तकों के रचनाकार) तथा डॉ. शरद कुमार पांडेय “शशांक” संचालक रूप में उपस्थित थे।

सर्वश्री- मनमोहन बाराकोटी, तमाचा लखनवी, गोबर गणेश सहित लगभग 20 कवियों का काव्य पाठ हुआ। अन्त में एस. एस. डी. इण्टर कालेज के प्राचार्य रामानंद सैनी के आभार ज्ञापन और अतिथियों की बिदाई के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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