कर्ज से परेशान माता-पिता को देख छात्रा ने कर ली आत्महत्या, मरने से पहले लिखा ऐसा दुख भरा पत्र

हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के एनटीआर जिले के नंदीगामा गांव में एक छात्रा की आत्महत्या किये जाने की घटना ने सभी को रुला दिया। स्थानीय रैतुपेट में प्रभाकर की बेटी हरिता वर्षिणी ने अपनी जान ले ली। परिवार पर बैंक का कर्ज होने और माता-पिता अब नहीं पढ़ा पाएंगे सोचकर उसने आत्महत्या कर ली। हरिता को हाल ही में एमएसईटी में 15 हजार रैंक आया। वह तेलंगाना एमसेट की भी तैयारी कर रही है। इस बीच छात्रा के आत्महत्या किये जाने से पूरे गांव में मातम छा गया है। उसने आत्महत्या से पहले एक पत्र भी लिखा है।

हरिता ने लिखा, “माँ हमारे लिए मौजूदा हालात में जीना भी मुश्किल है। मेरे कॉलेज की फीस और अपनी बहन की स्कूल फीस देने के लिए भी पैसे नहीं हैं। मेरी वजह से अपनी तबीयत खराब मत करो। मेरी बहन को अच्छा पढ़ाओ। उसे अच्छी नौकरी हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करे। मैंने आप पर बोझ नहीं डालने के लिए ऐसा किया है। आई एम सॉरी मॉम। मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं। मेरे बारे में मत रो। होशियार से रहना बहन। पापा कैसे पैसे भेजेंगे या नहीं पता नहीं। पैसे नहीं भेजते है तो घर का गुजारा मुश्किल हो जाता है। इसलिए मैं अपनी जान ले रही हूं।

अगर कोई पूछे तो बता दें कि एमसेट में रैंक नहीं आया। इसलिए मर गई। अपनी सेहत का ख्याल रखना। मेरी बहन से कहे कि वह अच्छी पढ़ाई करें। समय पर खाना और सोना। एक बार फिर सॉरी माँ। मैं कुछ नहीं कर पा रही हूं। मैं अभी पढ़ने की स्थिति में नहीं हूं। बहन को छात्रवृत्ति के पैसे से पढ़ाइए। उसे अच्छी बुद्धि है। अच्छी विदेश जा सकती है। अलविदा माँ, बहन और पिताजी को इस बारे में मत बताना। कुछ भी और बताओ। पिताजी को सच मत बताओ”

दूसरी ओर हर्षिता के घरवालों की दलील कुछ और ही है। हर्षिता के पिता प्रभाकर ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से करीब 3 लाख रुपये का कर्ज लिया है। गरीब परिवार होने के कारण वह समय पर कर्ज नहीं चुका पाया। बताया गया है कि बैंक के कर्मचारी कुछ दिनों से बैंक कर्ज को लौटाने के लिए परिवार पर दबाव डाल रहे थे। जब हर्षिता के पिता घर पर नहीं थे तब बैंक रिकवरी एजेंट आये और उसे स्कूल छोड़ने और मवेशियों की देखभाल करके कर्ज चुकाने के लिए डांटा।

उन्होंने तीन लाख रुपये कर्ज चुकाने के लिए हर्षिता को परेशान किया। इतना ही नहीं एजेंटों ने जो मन में आया वह छात्र से कहा है। उनकी बातें सुनकर हर्षिता दुखी हो गई। बताया गया कि जब घर में कोई नहीं थे तब उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हर्षिता की मां ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को बैंक स्टाफ भला-बुरा कहा है। इसी वजह से उसने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच कर रही है। बैंक कर्मचारी इन आरोप पर प्रतिक्रिया देना बाकी है।

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