हैदराबाद (रिपोर्ट सरिता सुरणा): सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद के पटल पर ‘विश्व के सर्वाधिक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति’ डॉ जयन्ती प्रसाद नौटियाल जी का साक्षात्कार संस्थापिका सरिता सुराणा द्वारा लिया गया। उन्होंने सर्वप्रथम मां सरस्वती का स्मरण करते हुए नौटियाल जी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।
ऐसे विद्वान साहित्यकार के साक्षात्कार का विषय रखा गया था- ‘विश्व में हिन्दी भाषा पहले स्थान पर कैसे?’ साक्षात्कार के दौरान सरिता सुराणा ने नौटियाल जी से उनके शोध कार्य, शिक्षा और विभिन्न क्षेत्रों में किए गए उनके कार्यों से सम्बन्धित अनेक प्रश्न पूछे और डॉ नौटियाल ने उनके विस्तार से उत्तर दिए। उन्होंने दर्शकों को इस बात से अवगत कराया कि उन्होंने अपने शोध कार्य के द्वारा यह सिद्ध कर दिया है कि हिन्दी भाषा ही विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है।
उन्होंने बताया कि विश्व में भाषाओं की रैंकिंग तय करने वाली संस्था- एथ्नोलॉग भी अब यह मानने को तैयार हो गई है कि हिन्दी भाषा ही विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा और संसदीय राजभाषा समिति ने भी उनके शोध कार्य को प्रामाणिक बताया है।
अब यह हम हिन्दी भाषियों का कर्तव्य है कि हम इस तथ्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं और हिन्दी भाषा को विश्व में गौरवपूर्ण स्थान दिलाएं। इस दौरान उन्होंने दर्शकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के भी उत्तर दिए। साक्षात्कार हेतु अमूल्य समय प्रदान करने के लिए सरिता सुराणा ने नौटियाल जी का और सभी दर्शकों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
गौरतलब है कि नौटियाल जी का बायोडाटा विश्व में सबसे वृहद एवं अद्वितीय है, जो 7 खण्डों में, 4200 से अधिक पृष्ठों में प्रकाशित है, जिसमें उनकी 5030 उपलब्धियां दर्ज हैं। इन्होंने एम ए (हिन्दी), एम ए (अँग्रेजी) पी एच डी, डी.लिट, एम बी ए, एल एल बी सहित 81 डिग्री/डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स किए हैं। जिन्होंने 81 पुस्तकों के लेखन में योगदान दिया है, जिनकी अधिकांश पुस्तकें विश्वविद्यालयों में पाठ्य पुस्तक व संदर्भ पुस्तकों के रूप में चल रही हैं। जिन्होंने हिंदी साहित्य को 1800 से अधिक प्रकाशित रचनाओं से समृद्ध किया है।
हिंदी भाषा और साहित्य के लिए 112 अवॉर्ड, सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं। जिनके सेवा कार्यों और शोध के लिए 225 प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए हैं। राष्ट्र की 140 शीर्ष समितियों में जिन्होंने प्रतिनिधित्व किया है। शोध के क्षेत्र में भी जिनका उल्लेखनीय योगदान है, जिन्होंने 165 शोध कार्यों को संपन्न किया है। जिन्होंने राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में 686 व्याख्यान दिए हैं। जिन्होंने 150 प्रकार के बौद्धिक कार्यों में योगदान दिया है। जिन्हें 73 प्रकार के व्यवसायों/पदों पर कार्य करने का अनुभव है। जिनके विवरण 911 से अधिक वेबसाइटों पर उपलब्ध हैं। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी जिन्हें स्थान मिला है।