हैदराबाद: डॉ बीआर अंबेडकर सार्वत्रिक विश्विद्यालय (Dr B R Ambedkar Open University) में आज बहुत ही खुशी का माहौल है। इससे पहले यहां पर अनेक कार्यक्रम हुए। पूरा विश्वविद्यालय परिसर रंग बिरंगी रोशनी से जगमगा उठा था, लेकिन ऐसा माहौल पहले कभी भी देखने को नहीं मिला। शायद भविष्य में देखने को मिलेगा या नहीं पता नहीं।
पूरे विश्वविद्यालय परिसर में सीनियर प्रोफेसर घंटा चक्रपाणी (तेलंगाना आंदोलन के दौरान टीवी चैनलों में चर्चा गोष्ठी के जरिए सभी को प्रभावित करने वाले और तेलुगु दैनिक ‘नमस्ते तेलंगाना’ के ‘घंटापथम’ स्तंभकार) व तत्कालीन तेलंगाना सरकार और माओवादी के बीच हुए शांति वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले) के तस्वीरों के पोस्टर लगे हैं। क्योंकि आज (31 जनवरी) चक्रपाणी सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
सोशल मीडिया में भी उनके नाम पर बधाई संदेशों का तांता लगा हुआ है। केवल संदेश नहीं, बल्कि उनके साथ उतारे गये पूराने फोटों को यादगार के तौर पर सहपाठी शेयर भी कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि प्रोफेसर घंटा चक्रपाणी के प्रति कर्मचारियों में कितना स्नेह भरा है। यह सब देखकर लग रहा है कि उनके प्रति लोगों का प्रेम समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है।
सेवानिवृत्ति हर कार्यलय में होने वाली एक प्रक्रिया है और हर किसी को इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। फिर भी समाज में एक व्यक्ति की एक संस्था से पहचान बनती है। ऐसे ही डॉ बीआर अंबेडकर सार्वत्रिक विश्विद्यालय में/ने चक्रपाणी को एक पहचान दी और दिलाई है। ऐसा व्यक्ति आज के बाद उनके बीच दिखाई नहीं दे तो दुख तो होता है। यही हाल आज विश्विद्यालय में दिखाई दे रहा है।
यह हमारा सौभाग्य है कि डेली हिंदी मिलाप के लिए दो-तीन बार चक्रपाणी का इंटर्व्यू लिया है। इसके अलावा उनकी पुस्तकों की समीक्षाएं भी छापी है। इतना ही उनके विभाग से संबंधित समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। यह हमें नहीं पता कि उनका जन्म कहां हुआ है। लेकिन तेलंगाना आंदोलन बढ़चढ़कर भाग लेने से स्पष्ट होता है कि वे तेलंगाना के निवासी है। जब कभी भी हम उनसे मिलते तो कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं- ‘कैसे हो राजन्ना।’ साथ ही अन्य लोगों को हमारा परिचय भी कराते आये हैं। इतना ही नहीं एक बार मेरी पत्नी छायादेवी भी उनसे मिली है।
ऐसे महान हस्ति सीनियर प्रोफेसर घंटा (घंटापथम) चक्रपाणी को आज फोन करके सेवानिवृत्ति पर बधाई दी और एक सवाल किया- सर आपको सेवानिवृत्ति पर कैसे लग रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा- ‘फुलफिलिंग’ (संतोषप्रद और आनन्दखदायक) लग रहा है। सही है इतना सब कुछ करने वालों को ऐसा ही लगता और लगना भी चाहिए। ऐसे कार्य करने वालों को समाज इंसान बनाती और पहचान दिलाती है। विश्वास है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी चक्रपाणी जी में समाज के लिए और कुछ कार्य करेंगे। क्योंकि तेलंगाना के लोगों के उनकी सेवाओं की बहुत जरूरी है।
कर्मचारी संघ के महासचिव का तेलुगु संदेश