कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है और कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन को गंगा स्नान भी कहा जाता है और इसी दिन गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इसलिए गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन राक्षस त्रिपुरासुर का वध भगवान शिव के द्वारा किया गया था और देवताओं को स्वर्ग का राज्य सौंप दिया था। फिर सभी देवताओं ने भगवान शिव का स्वागत दीए जलाकर किया। इसी खुशी में इस त्यौहार को मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दीपदान करने का मुख्य महत्त्व होता है। दीपदान सांय काल सूर्यास्त के बाद किया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन देवी देवता यह दृश्य देखने के लिए पृथ्वी पर उतर आते हैं। कहा जाता है कि देव दिवाली के दिन काशी की पवित्र भूमि में देवता आते हैं और इसीलिए वहां के घाट आदि को सजाया जाता है। काशी विश्वनाथ धाम को बहुत ही सुंदर व अलग ढंग से सजाया जाता है। वहां पर पर्यटन की संख्या निरंतर बढ़ रही है। काशी की छटा देखने लायक होती है।
काशी की देव दीपावली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां पर देश-विदेश से अनेकानेक पर्यटक घूमने आते हैं और वाराणसी घूम कर बाहर की महत्वपूर्ण चीजों का अवलोकन करते हैं। वहां के बाजारों में अलग ही रौनक दिखाई देती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दीपदान करने से उन्नति के रास्ता, सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है। परेशानियों का निराकरण और राहु केतु शनि के प्रभाव कम हो जाते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
देव दिवाली मंत्र –
ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा भी मनाई जाती है, जिसमें भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे जीवन में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है। कार्तिक पूर्णिमा को पवित्र नदियों में श्रद्धालु स्नान करते हैं। नदियों में स्नान करके श्रद्धालुओं को आस्था रहती है कि उनको पापों से मुक्ति मिल जाएगी। अक्षय पुण्य मिलता है। जिससे हर नदियों पर बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। इस दिन जलेबी का प्रयोग किया जाता है। इस दिन सत्यनारायण की पूजा एवं कथा का महत्व है। शिव की पूजा की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरू नानक देव जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।
के पी अग्रवाल हैदराबाद