हैदराबाद : फिल्म ‘इज्म’ (Ism) का सीन तेलंगाना में दोहराया गया। उस फिल्म के क्लाइमेक्स में वो सीन याद आता है जहां लोगों के खातों में पैसे जमा होते हैं। ऐसा ही सीन तेलंगाना के गांवों में हो रहा है। लेकिन वो किस्मत सब के लिए नहीं खुली है। कुछ किसानों को रकम मिल रही है यानी कुछ ही किसानों के खातों में रकम जमा हो रही है। यह स्पष्ट किए/हुए यह रकम कहां और कौन जमा कर रहा है। मालूम नहीं हो पा रहा है कि यह रकम कौन और क्यों किसानों के खातों में जमा हो रहा है। खातों में 10,000 रुपये से 50,000 रुपये तक नकद जमा किये जे रहे हैं।
किसानों के मोबाइल पर यह संदेश आया कि उनके खातों में पैसे जमा हो गए हैं। यह संदेश देखकर किसान हैरान हो गये। किसान तुरंत सदमे से उबरे और तुरंत एटीएम केंद्रों और बैंकों की ओर दौड़ लगाई। किसानों ने अपने खातों में जमा राशि को निकाल कर अपनी जेब में सुरक्षित रख लिया है। क्योंकि किसानों को संदेह है कि जमा रकम वापस भी चले जाने का खतरा है। यह जानकर अन्य किसानों ने भी अपने फोनों में संदेश चेक किए। कोई संदेश नहीं था। वो बैंक गये और जांच की तो उनमें से कुछ किसानों के खातों में रकम जमा थी। वो भी रकम खाते से निकाल लिये। लेकिन जिन्हें पैसा नहीं मिला वे काफी मायूस होकर लौट गए।
यह दिलचस्प और आश्चर्यजनक दृश्य तेलंगाना के वरंगल शहरी जिले के रायपर्थी मंडल के तीन गांव- ऊकल, गट्टिकल और जगन्नाथपल्ली में प्रकाश में आया है। अज्ञात व्यक्तियों से किसानों के बैंक खातों में पैसा जमा करना/होना अब चर्चा का विषय बन गया है। इन तीन गांवों के कई किसानों को उनके फोन पर संदेश प्राप्त हुए कि एपीजीवीबी, केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्राहकों के खातों में 10,000 से 50,000 रुपये जमा किए गए हैं। वे आश्चर्य चकित है कि पैसा उनके खातों में कहां से आ रहा है।
पैसे के बारे में कोई स्पष्टता नहीं होने के कारण कृषि विभाग के अधिकारी और बैंक अधिकारी सिर पकड़ ले रहे हैं। इस घटना को लेकर जिला कृषि विभाग की अधिकारी उषा दयाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि जिन्होंने लंबे समय से फसल बीमा लिया है शायद उन्हें नहीं पता कि यह पैसा बीमा के रूप में या किसी अन्य कारण से आ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उसने राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकार\शिकायत दर्ज कराई है।