हैदराबाद : ठीक सोलह महीने के बाद तेलंगाना के विधानसभा चुनाव होने वाले है। फिर भी तेलंगाना में चुनाव की गर्मी तेज हो गई है। तेलंगाना में बीजेपी अपने पैर जमाने की पूरी कोशिश में लगी है। मगर कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। कांग्रेस का हाल एक पंचर ट्यूब की तरह हो गई है। पंचर ठीक करते ही फिर पंचर निकल रहे हैं। इसी बीच तेलंगाना राष्ट्र समिति फिर से सत्ता में आने के लिए कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहती है।
हाल ही में कांग्रेस पार्टी के दो नेताओ ने इस्तीफा दिया है। कोमटिरेडी राजगोपाल रेड्डी पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा दिया है। वहीं वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता दासोजू श्रवण ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राजगोपाल रेड्डी 21 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बीजे में शामिल होने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि दासोजी श्रवण भी उसी दिन बीजेपी में शामिल हो सकते है। मगर इसी बीच दासोजी को ठंडा करने के लिए वरिष्ठ नेता उनसे बातचीत कर रहे है।
तेलंगाना में यह चर्चा जोरों पर कांग्रेस के कुछ और नेता व विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। अगर यह बात सच होती है तो पंचर ट्यूब कोई काम करने वाला नहीं है। अगर कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल होते हैं तो विधानसभा चुनाव में उसके प्रदर्शन पर काफी असर पड़ेगा। क्योंकि बीजेपी के चुनाव लड़ने से सत्ता विरोधी वोट विभाजित हो सकते है।
तेलंगाना बीजेपी के प्रमुख बंडी कुमार ने हाल ही में दावा किया है कि टीआरएस के 12 विधायक पार्टी में शामिल होने के लिए संपर्क में हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुनुगोडु में ही नहीं, बल्कि तेलंगाना में कई सीटों पर उपचुनाव हो सकते हैं। बंडी ने ‘प्रजा संग्राम पदयात्रा’ के दौरान दावा किया कि टीआरएस के विधायक इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। साथ ही कहा कि इस्तीफा देने वाले कई टीआरएस विधायकों का मानना है कि केसीआर के सरकार में उनका कोई भविष्य नहीं है। बंडी की यह बात सही होती है तो टीआरएस सरकार के खिलाफ विद्रोह काफी मजबूत है।
गौरतलब है 2018 के विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति को 88, कांग्रेस को 19 और बीजेपी को सिर्फ एक सीट पर विजयी हुए थे। तेलंगाना में 119 विधानसभा सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी चार कांग्रेस तीन सीटों पर मिली थीं। अब देखना है कि इस बार तेलंगाना में किस पार्टी की सरकार बनेगी।
विश्लेषकों का मानना है कि तेलंगाना में इस बार के चुनाव अन्य राज्यों के मुकाबिलें कुछ भिन्न और चमकाने वाले हो सकते हैं। अन्य दल भी काफी मजबूत होते जा रहे हैं। इन दलों को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मुख्य रूप से वाईएस शर्मिला और आरएस प्रवीण कुमार जितनी मेहनत कर रहे है, इतनी मेहनत कोई भी पार्टी नहीं कर रही है। अगर कर भी रही तो उसमें केवल दिखावा ज्यादा है। साथ ही तीन मल्लन्ना भी 7200 मूवमेंट के लिए तैयार है। यह मूवमेंट लोगों को काफी प्रभावित कर सकता है। अन्य ऐसे दल और नेता है जो इस बार चुनाव में अपना दाव चला सकते है।