हैदराबाद : तेलंगाना में एंथ्रेक्स रोग से हड़कंप मच गया है। हाल ही में वरंगल जिले के दुग्गोंडी मंडल के चापलबंडा गांव में एंथ्रेक्स से चार भेड़ों की मौत हो गई। इसके चलते पशुपालन विभाग हाई अलर्ट हो गई है। आसपास के इलाकों में सैकड़ों भेड़-बकरियों का टीकाकरण किया जा रहा है। अधिकारियों ने प्रदेश के अन्य हिस्सों में एंथ्रेक्स के लक्षण दिखाई नहीं देने पर भी लोगों से सतर्क रहने की सलाह दी है।
पशु चिकित्सकों ने सुझाव दिया है कि बकरी या भेड़ के मांस को खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि अधिकारियों ने उनका निरीक्षण किया या नहीं? यदि व्यापारियों के कहने पर विश्वास नहीं होता है तो एक बार उस क्षेत्र का निरीक्षण किया जाये जहां पर बकरी या भेड़ का वध किया गया है। पशुओं का वध करते समय निकलने वाला खून यदि तुरंत घट नहीं बनता है यानी उसका खून द्रव (तरल) रूप में दिखाई दे तो माना जाये कि वह पशु एंथ्रेक्स संक्रमित है। अधिकारियों ने आम लोगों, चरवाहों और व्यापारियों को चेतावनी दी है कि एंथ्रेक्स से संक्रमित बकरियों और भेड़ों के मांस को न खाये, न छूये और न बेचे।
राज्य के पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ रामचंदर ने बताया कि एक बार एंथ्रेक्स किसी क्षेत्र में फैल गया तो इसके कीटाणु 60 साल तक जीवित रहते हैं। अगर एंथ्रेक्स से मरे हुए पशुओं को सावधानी से दफनाया नहीं गया, तो उनमें से कीटाणु निकलकर सालों तक मिट्टी में जड़ जमाते हैं। इसलिए वहां का पानी, घास और हवा के माध्यम से आसपास के लोगों और पशुओं में एंथ्रेक्स फैलने का खतरा बना रहता है।
अधिकारियों ने आगे कहा है कि तेलंगाना में एंथ्रेक्स के लक्षण दिखाई दिये जाने के चलते मटन खाने वालों को सतर्क/सावधान रहना चाहिए। मुख्य रूप से सड़क के किनारे बेचने वाले मांस को कभी भी न खाये। कम से कम 100 डिग्री के तापमान पर अच्छी तरह से पका हुआ मास खाने की सलाह दी है। किसी भी परिस्थिति में बिना पका हुआ मांस नहीं खाना चाहिए।