हैदराबाद: भारतीय निर्वाचन आयोग ने देश के 16वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने के लिए तैयार है। चुनाव आयोग के अनुसार राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने की तारीख 15 जुलाई होगी। 18 जुलाई को मतदान होगा। 21 जुलाई को मतगणना होगी। मतदान संसद भवन और विधानसभा में होगा। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नये राष्ट्रपति को 25 जुलाई को शपथ दिलाएंगे। हर 5 साल पर 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रति मिलता है। यह सिलसिला 1977 से चला आ रहा है। तत्कालीन राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया था। इसके चलते उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत के राष्ट्रपति का पद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पद है। भारत के 16वें राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए चुनाव की घोषणा करते हुए गौरवान्वित महसूस करता हूं। राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति को शपथ लेनी है।
नये राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को प्रेसिडेंट पद की शपथ ली। तब से हर 5 साल पर 25 जुलाई को भारत के नये राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होता आ रहा है। पिछली बार 17 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति चुनाव हुआ था और इसका परिणाम 20 जुलाई को आया था।
चुनाव आयोग राष्ट्रपति चुनाव के लिए विशेष इंक वाला पेन मुहैया कराएगा। चुनाव आयोग ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सांसदों को 1, 2, 3 लिखकर पसंद बतानी होगी। राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करने वाले निर्वाचन मंडल में राजनीतिक गठबंधनों की बात करें तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले UPA गठबंधन के पास 23 फीसदी के करीब वोट है और NDA गठबंधन के पास लगभग 49 फीसदी वोट हैं।
संविधान के अनुच्छेद 62 का संदर्भ देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए चुनाव उससे पहले संपन्न होना चाहिए। इस बार राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 708 से घटकर 700 रह जाने की उम्मीद है। हालांकि हर राज्य में सांसद और विधायक जब राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपने वोट का इस्तेमाल करते हैं तो इसकी वोट वैल्यू अलग होती है।
संसद के मनोनित सदस्य और विधान परिषद सदस्य राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान नहीं करते। राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्यों के विधायकों के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। (एजेंसियां)