रजक समुदाय की साधना दिवाकर बनेगी कलेक्टर, प्रथम प्रयास में निकाली यूपीएससी की परीक्षा, बधाइयों की लंबी लाइन

कौशाम्बी ((नरेंद्र दिवाकर की रिपोर्ट) : वर्तमान समय में यूपीएससी की तैयारी करने के लिए तमाम कैंडिडेट्स ऑनलाइन कोचिंग, इंटरनेट और यूट्यूब आदि का सहारा लेते हैं। सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे कि क्या घर पर रहकर भी स्वंय से तैयारी कर यूपीएससी क्लियर कर पाना संभव है? जी हां ऐसा संभव कर दिखाया सिराथू तहसील के गांव महमदपुर, कोखराज कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) निवासी रजक समुदाय की साधना दिवाकर ने। आज आपको यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस अफसर बनने वाली साधना दिवाकर के बारे में बताते हैं। जिन्होंने अपनी पूरी तैयारी घर पर बैठकर एन सी ई आर टी की पाठ्यपुस्तकों, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, इंटरनेट आदि की मदद से प्रथम प्रयास में ही यूपीएससी में सफलता हासिल किया।

साधना दिवाकर सिराथू तहसील के महमदपुर, कोखराज की निवासी है जिन्होंने अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी की परीक्षा में 931वीं रैंक हासिल की है। उनके पिता गिरधारी लाल दिवाकर उत्तर प्रदेश परिवहन में कनिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत थे। जो सेवानिवृत्त होने के बाद इन दिनों प्रयागराज के मुंडेरा में रहते हैं। साधना की प्रारंभिक शिक्षा एमवी कॉन्वेंट सुलेमसराय से हुई है। साधना शुरू से ही पढ़ाई के प्रति समर्पित थी। उनके इसी समर्पण भाव ने उनको देश की सर्वोच्च सेवा में पहुंचाया। इंटर के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में किया।

साधना ने प्रयागराज में ही रहकर सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी घर से की। तीन बहन और तीन भाइयों में साधना सबसे छोटी हैं। पिता गिरधारी लाल ने बताया कि बड़ी बेटी अर्चना दिवाकर ने भी एमए व बीएड किया है। उनके पति नागेश दिवाकर कानपुर में खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं। मझली बेटी वंदना दिवाकर ने एमए तक पढ़ाई की है। पति अविनाश बस्ती में इंटर कॉलेज के प्रवक्ता हैं। बेटा अरुण दिवाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता, मझला बेटा विपिन कुमार फार्मासिस्ट है। छोटा बेटा पवन प्रयागराज की मेजा तहसील में लेखपाल के पद पर तैनात है।

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उनकी माता कुसुम देवी ने बताया कि मेरा और मेरे पति का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पढ़ाना ही रहा है। हमारे सभी बच्चे अपने अपने क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं। बिटिया साधना ने तो हमारी तपस्या को सार्थक कर हम सभी का गौरव बढ़ाया और सर ऊंचा कर दिया। घर के सभी सदस्यों सहित बहुओं ने भी इस मंजिल तक पहुंचने में बिटिया का खूब साथ दिया। पिता गिरधारी लाल ने कहा कि साधना ने जीवन भर की तपस्या सफल कर दी। एक छोटी सी नौकरी में 6 बच्चों को पढ़ाना और सारी व्यवस्था करने व देखभाल करने का काम मेरी पत्नी ने बखूबी किया। उनके साथ और बच्चों की शिक्षा के प्रति समर्पित भाव ने आज हमें गौरवान्वित किया।

इस दौरान साधना ने कहा कि आप अगर लड़कियों को सही से अवसर और समय मिले तो वे हर क्षेत्र में परचम लहराएंगी। लड़कियों को पढ़ाना और उन्हें अपना लक्ष्य खुद निर्धारित करने का अवसर दिया जाना चाहिए और घर वालों को उसकी इच्छा के हिसाब से पाठ्यक्रम चुनने और पढ़ने की आजादी देनी चाहिए। प्रायः देखा जाता है लड़कियों की इच्छा के विपरीत उनकी शादी जल्द कर दी जाती है जबकि वह पढ़ना चाह रही होती हैं। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने परिवार के सभी सदस्यों सहित गुरुजनों, शुभचिंतकों और अपने जीजा नागेश चौधरी को दिया। कहा कि मेरे जीजा जी ने हमेशा मुझे मार्गदर्शन देने, प्रेरित और प्रोत्साहित करने का काम किया।

साधना ने कहा कि मैंने हाईस्कूल के बाद से ही तय कर लिया था कि मुझे आईएएस बनना है, तभी से तैयारी में लग गई और पहले ही प्रयास में यह सफलता अर्जित की। यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं और उसे प्राप्त करने का जुनून है तो आपको कोई रोक नहीं सकता। आप जितने भी घंटे पढ़ाई करें उसे बहुत मनोयोग से करें। भले ही दिन में 6 घंटे पढ़ें पर पूरी तल्लीनता से पढ़ाई करें। महत्वपूर्ण यह नहीं कि पढ़ने के नाम पर 15 घंटे बैठे रहें। महत्वपूर्ण यह है कि अपने कितना पढ़ा? किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी स्वयं से बिना किसी कोचिंग के भी की जा सकती है। घर पर रहकर भी आईएएस की तैयारी की जा सकती है और कई सफल उम्मीदवारों ने ऐसा किया है। मैंने स्वयं भी ऐसा ही किया है। सही योजना, संसाधनों का चयन, महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट करें, नोट्स स्वयं तैयार करें, आत्मविश्वास बनाए रखकर और नियमित अभ्यास के साथ, कोई भी घर से तैयारी कर सकता है।

सोशल मीडिया की बात पर साधना ने कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया से दूर नहीं जा सकता क्योंकि तमाम नामी-गिरामी कोचिंग संस्थानों के पेज और एप्प बने हुए हैं जिनसे भी परीक्षा उपयोगी बहुत कुछ जानकारी मिल सकती है। लेकिन इसके लिए बहुत आत्म नियंत्रण की जरूरत होती है क्योंकि इस पर ध्यान भटकने में देर नहीं लगती और समय भी अधिक जाया होता है। मैं किसी भी प्रतियोगी को सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए सजेस्ट नहीं करूंगी। हां इंटरनेट, स्पेसिफिक एप्प एवं स्पेसिफिक यूट्यूब चैनल आदि का इस्तेमाल घर पर रहकर तैयारी करने वालों के लिए लाभदायक साबित होते हैं।

मुंडेरा स्थित आवास पर बधाई देने वालों और साधना और उनके माता-पिता का मुंह मीठा कराने वालों का तांता लगा हुआ है। लोग अपने तरीके से बुके, महान व्यक्तित्व के छायाचित्र, भारतीय संविधान आदि भेंट कर बधाई और शुभकामनाएं दी रहे हैं। इस अवसर पर बोलता प्रसाद दिवाकर, सुरेन्द्र चौधरी, सरोज देवी, प्रतिमा चौधरी, डॉ. विजय कनौजिया, डॉ. नरेन्द्र दिवाकर सहित कई लोग मौजूद रहे।

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