पेंशनर दिवस विशेष: …ताकि बुढ़ापे के समय मझधार में नहीं छोड़ा जाये

पेंशनर दिवस रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला मासिक पेंशन के रूप में जो धन प्राप्त होता है उसके लिए विशेष बनाया गया है। क्योंकि देखा गया है कि पेंशन प्राप्त करने में बहुत धक्के खाने पड़ते हैं। और बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पेंशनर दिवस मनाया जाता है।

पेंशन नियमों के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली व्यवस्था है। इससे वृद्धावस्था में वित्तीय सुरक्षा हो जाती है तथा एक संतोष जनक स्‍थायित्‍व मिलता है। सेवानिवृत्ति के बाद कोई नियमित आय नहीं होती है। ऐसे में किसी दूसरे के ऊपर आश्रित होने के स्थान पर पेंशन से गुजारा भत्ता ठीक प्रकार चल जाता है।

कई स्थानों पर तो परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर होती है तो घर परिवार के सदस्य भी पेंशन आने के बाद ही घर का खर्चा ठीक प्रकार से चला पाते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद मिले हुए फंड से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए प्रतिष्ठापूर्वक जीवन को गुजराने के लिए अपने फंड से ब्याज की राशि प्राप्त करके जीवन स्तर को ऊंचा बनाएं रखने में मददगार साबित होती हैं।

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यही कारण है कि पेंशनर को किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं रहती और संतोष से जीवन गुजरा करता रहता है। इससे उनका स्वास्थ्य बेहतर रहने लगा है जिससे सेवानिवृत्ति लोगों की आयु में सुधार हुआ है।

भारत सरकार ने भी सामाजिक सुरक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना लागू की है। अनेक सरकारी कार्यालयों, सांसद, विधायक, सैनिक आदि अनेक विभागों में पेंशन की सुविधा है। समय समय पर महंगाई के बढ़ने पर महंगाई भत्ते में वृद्धि की जाती है। पति या पत्नी किसी के न रहने पर दूसरे को पेंशन की व्यवस्था होने से किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है और आर्थिक स्थिति ठीक रहती है।

उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 17-12-1982 को डी एस नकारा और अन्य बनाम भारत संघ द्वारा पेंशनभोगियों के समुदाय के अधिकारों को मान्यता देते हुए मामला दायर हुआ था। उसमें ऐतिहासिक निर्णय सर्वोच्च न्यायालय ने देते हुए कहा:

i. पेंशन न तो एक इनाम है और न ही नियोक्ता की मीठी इच्छा के आधार पर मुफ्त का मामला है,
ii. पेंशन एक अनुग्रह भुगतान नहीं है, लेकिन यह प्रदान की गई पिछली सेवाओं के लिए भुगतान है और
III. यह एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है जो उन लोगों को सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करता है, जो अपने जीवन के सुनहरे दिनों में नियोक्ता के लिए इस आश्वासन पर निरंतर मेहनत करते हैं कि उनके बुढ़ापे में उन्हें मझधार में नहीं छोड़ा जाएगा।

हर विभाग में अपनी अपनी यूनियन बनी हुई है, जो पेंशनर्स के समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयास करती है। समय-समय पर सेमिनार, रैली आयोजित करके अपनी मांगों को उठाती रहती है और सरकार के सम्मुख रखती रहती है। अनेक विभाग और यूनियन सेवानिवृत्त पेंशनरों के सम्मान में प्रतिवर्ष 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस मनाते हैं। और अनेक पेंशनरों को इस अवसर पर सम्मानित किया जाता है।

के पी अग्रवाल हैदराबाद

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