Kendriya Hindi Sansthan: इन हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 477वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह

हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र द्वारा महाराष्ट्र राज्य के बीड जिले के माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 14 से 26 अक्टूबर तक 477वें नवीकरण पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पाठ्यक्रम का समापन समारोह शनिवार को संपन्न हुआ। समापन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व समकुलपति, हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद प्रो. आर. एस. सर्राजु उपस्थित थे।

इस दौरान पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे, विशिष्ट अतिथि डॉ. रणजीत भारती, डॉ. रचना चतुर्वेदी, अतिथि प्रवक्ता एवं कार्यालय अधीक्षक डॉ. एस. राधा मंच पर उपस्थित थे। इस नवीकरण पाठ्यक्रम में कुल पुरुष-25 हिंदी अध्यापक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया था। सर्वप्रथम मंचस्थ अतिथियों ने माँ सरस्वती के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलित किया। माँ सरस्वती वंदना, संस्थान गीत व स्वागत गीत सजग तिवारी के सहयोग से प्रस्तुत किया गया। जिजाऊ वंदना आठवले दत्तात्रय द्वारा प्रस्तुत की गई।

इस अवसर पर आभासी मंच से प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मुझे पूर्व विश्वास है कि इस नवीकरण पाठ्यक्रम के दौरान आपने जो कुछ पाया, जो कुछ सीखा, अभिव्यक्त किया, सामूहिक रूप में संपन्न किया, जो बोध आपको मिला, वह आप अपनी पाठशाला में जाकर अपने छात्रों को अवश्य देंगे। हिंदी को संपर्क भाषा से विश्व भाषा तक ले जाने का मार्ग सशक्त करने में जितना सहयोग हिंदी भाषियों का है, उससे सौ गुणा अधिक हिंदीतर भाषियों का रहा है।

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यह गौरव की बात है कि हम सब हिंदीतर भाषी हैं। हमें सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। यदि आपको कुछ नया करना है, जीवन में आगे बढ़ना है, निर्माण करना, तो उस निर्माण की पहली एवं महत्वपूर्ण अनिवार्य शर्त क्या है? वह है आपको देखनी की दृष्टि सकारात्मक बनानी होगी। इस पाठ्यक्रम को आपने सकारात्मक दृष्टि से स्वीकार किया होगा और बहुत कुछ सीखने को मिला होगा। शिक्षक यदि गलती नहीं करेगा तो छात्र भी गलती नहीं करेगा। इसलिए ऐसे प्रशिक्षणों की नितांत आवश्यकता होती है। शिक्षक यदि अद्यतन रहेगा तो छात्र भी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहेगा। शिक्षकों को अद्यतन करने के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान गत 65 सालों से ऐसे नवीकरण पाठ्यक्रम आयोजित करता आ रहा है।

मुख्य अतिथि प्रो. आर. एस. सर्राजु ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह दौर सूचना प्रौद्योगिकी का दौर है। एनईपी का दौर है। इससे पूर्व शिक्षक एवं विद्यार्थी के बीच के संबंधों को ज्यादा ध्यान दिया जाता था। किंतु अब उन दोनों के बीच एक और आयाम जुड़ गया है- वह है टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी)। आज दुनिया कृत्रिम बुद्धि की ओर जा रही है। संरचनात्मक भाषाविज्ञान पढ़ाने की ओर आज हम आगे बढ़ रहे हैं। अध्यापकों को इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से सीखने एवं सिखाने का कार्य कर धन्य अनुभव कर रहा है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. रणजीत भारती ने कहा कि जो कुछ आपने इस नवीकरण पाठ्यक्रम में सीखा है उसे सीधा अपने जीवन में लागू करें। हमें व्यक्तिनिष्ठ नहीं वस्तुनिष्ठ होना चाहिए। शिक्षक के लिए आवश्यक है कि वह अपने अंदर के विद्यार्थी को कभी मरने न दे। हमेशा पढ़ते रहें। शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। समाज को आपसे कई अपेक्षाएँ होती हैं। आप सबके आदर्श हैं। आपको उस पर खरा उतरना चाहिए।

अतिथि प्रवक्ता श्रीमती रचना चतुर्वेदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जो आपने इस नवीकरण पाठ्यक्रम में सीखा है, वह आपके शिष्यों को प्राप्त होना चाहिए। आपको सतत् प्रयत्नशील रहना है, नया करते रहना है, नया सीखना है। यही जीवन का मूल मंत्र है। उस पर विचार कर उसे अपने जीवन में लागू करें। डॉ. राधा ने अपने वक्तव्य में कहा कि अध्यापक का स्थान सर्वोपरि होता है। आप अध्यापक हैं। भाषा के अध्यापक हैं। भाषा के अध्यापक के नाते आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है क्योंकि आप भारतीय संस्कृति के संवाहक हैं। देश की संस्कृति, सभ्यता को संजोकर रखने में आपकी अहम भूमिका है।

कार्यक्रम संयोजक और क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने अपने अशीर्वचन में कहा कि शिक्षक को हमेशा विद्यार्थी बनकर अपने को अद्यतन करते रहना चाहिए एवं ज्ञान को समेटकर अपने छात्रों को देना चाहिए। महाराष्ट्र में हिंदी भाषा प्रचलित है। फिर भी मराठी भाषी एवं हिंदीतर भाषियों में मातृभाषा का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। इससे छुटकारा पाने के लिए हमें हर रोज कम-से-कम आधा घंटा दूरदर्शन पर समाचार सुनना चाहिए। उच्चारण कैसे कर रहे हैं सीखना चाहिए। मराठी भाषियों में हिंदी भाषा में वर्तनीगत अशुद्धियाँ पाई जाती हैं क्योंकि उनकी लेखन पद्धति अलग होती है। इसलिए उन्हें हिंदी पुस्तकें पढ़नी चाहिए। पुस्तक पढ़ते समय वर्तनी को देखें एवं उसे लिखने का प्रयास करें। इसी प्रकार अपने छात्रों से भी करवाएँ। जो कुछ आपने यहाँ सीखा उसका उपयोग आपको अपने जीवन में करना चाहिए।

इस अवसर पर प्रतिभागी श्री पवार रूपेश द्वारा कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की गई एवं श्री वाघमारे शिवाजी एवं श्री देवकत्ते बाळीराम राव ने पाठ्यक्रम प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। श्री किरवले बाबा साहेबने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। श्री कांबले, श्री शिंदे के समूह द्वारा ‘जय जय महाराष्ट्र माझा’ नामक महाराष्ट्र राज्य गीत प्रस्तुत किया गया। साथ ही लहू चौहान, जावके, उपाडे के समूह ने बंजारा समाज का लोक नृत्य प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर हस्तलिखित पत्रिका ‘बीड-चंपावती नगर’ का विमोचन अतिथियों के कर कमलों द्वारा किया। साथ ही पर-परीक्षण में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान एवं प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त करने वाले अध्यापकों को पुरस्कार वितरित किए गए। इसी दौरान सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस अवसर पर सुश्री शोभनीम, असिस्टेंट प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली केंद्र एवं सुश्री उमा शर्मा, केंद्रीय हिंदी निदेशालय उपस्थित थीं। श्री शेख मोहम्मद ने शेर सुनाया। सुखसे ज्ञानदेव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन लहू चौहान एवं कोलेकर विजय ने किया व तकनीकी सहयोग सजग तिवारी, संदीप कुमार व शेख मस्तान वली ने दिया।

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