नवरात्रोत्सव शक्ति, विद्या और हुनर की आराधना का पर्व है। सदियों से इस पर्व को मनाया जा रहा है। वर्ष में दो बार पहला चैत्र नवरात्र और बार शारदीय नवरात्र के रूप में मनाया जाता है। जिसमें नौ दिन व्रत रखने का विधान है। मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्र को नौ दिनों तक मनाने के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस था, जिसने ब्रह्मा की कड़ी तपस्या कर अमर होने का वरदान मांगा। हालांकि, जन्म लेने वाले हर एक प्राणी को एक दिन इस संसार को छोड़ना पड़ता है, अतः उसे यह वरदान प्राप्त नहीं हुआ। जिसके बदले उसने अजेय होने का वरदान मांगा। कोई भी उसको चुनौती देने की स्थिति में नहीं था। इसे देख देवताओं ने माता का आह्वान किया और राक्षस के अंत की प्रार्थना की। जिसके बाद मां दुर्गा ने पूरे नौ दिन युद्ध कर देवताओं व अन्य सभी प्राणियों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई, तबसे नवरात्रि त्योहार मनाया जाता है।
घर परिवार में समृद्धि और खुशहाली के लिए मां दुर्गा की आराधना की जाती है। इस दौरान व्रत रखे जाते हैं। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा माना गया है।
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यह त्योहार दुर्गा माता द्वारा अपने संतानों की रक्षा, सुरक्षा की दात्री के रूप में मनाया जाता है। अतः उनको सर्वेश्वरी कहा गया। किसी भी तरह की अमंगल से भगवती रक्षा करती है।
मां दुर्गा के हाथ में इंगित ॐ परमात्मा का बोध कराता है। “ॐ” में सारी शक्तियां निहित हैं।
भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की। तब से अनीति, अत्याचार और अधर्म के नाश के प्रतीक के रूप इसे मनाया जाता है। बुराई की विनाशक और भक्तों को रक्षक कहलाई।
अगर कोई जिंदगी में अपना लक्ष्य को हासिल करना चाहता है तो मां दुर्गा की आराधना करें, कोई उसे नहीं रोक सकता है। इसलिए उसको शक्ति स्वरूपा माना गया है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। प्रथम शैलपुत्री च द्वितियम ब्रह्मचारिणी/ तृतीयं चंद्रघंटेती कूष्मांडेती चतुर्थकम/ पंचम स्कंद्मातेति षष्ठम कात्यायनीति च सप्तम कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम नवं सिद्धिदात्री च नव दुर्गाः प्रक्रीर्तिताः/ उकतान्येलानि नामानि ब्रहेव महात्मनाः //
नवरात्रि मां दुर्गा शक्ति की आराधना का पर्व है।
संदेश :
डंके की चोट पर पूरे ब्रह्मांड की तीन सर्वश्रेष्ठ देवियां (“ज्ञान की देवी मां सरस्वती जी”, “धन की देवी मां लक्ष्मी जी” और “शक्ति की मां दुर्गा जी”) हैं। नित्य प्रतिदिन हम इनकी अराधना करते हैं। फिर भी आए दिन महिलाओं की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया जाता है। उनका जीवन दूभर कर दिया। निर्भया, महिला डॉक्टर कोलकाता जो जन मानस के पटल पर आच्छादित है, जिसने पुरुष वर्ग को कटघरे में ला खड़ा किया है। यह एक शत प्रतिशत मृगतृष्णा है। (मृगतृष्णा एक ऐसी छवि है जो वास्तविक प्रतीत होती है लेकिन होती नहीं है।)
यथार्थ के धरातल पर आएं और मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने खड़े होकर महिलाओं की अस्मिता की रक्षा करने की शपथ लें। निम्न पंक्तियों-
“नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पगतल में
पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में”
को तहे दिल से स्वीकार करें, यही सच्ची नवरात्रि होगी।
दर्शन सिंह, मौलाली, हैदराबाद