एक नजर : ‘हमारे राम’ ने लूटा ड्रामा प्रेमियों का दिल, रावण-लक्ष्मण संवाद की हो रही है जमकर तारीफ (फोटो गैलरी)

रविवार (29 सितंबर, 2024) को माधापुर स्थित शिल्पकला वेदिका में ‘हमारे राम’ नाटक का मंचन हुआ। पूरा हॉल खचाखच भरा हुआ था। हैदराबाद में यह 91 वां मंचन था। हमें भी नाटक देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जो हमने देखा और जाना वहीं बताने का यह छोटा-सा प्रयास है। हमारे राम नाटक में अनेक बार आकाशवाणी संवाद के साथ आगे बढ़ते रहता है। वैसे तो रामायण के राम, लक्ष्मण, सीता, रावण और अन्य की भूमिका के बारे में सभी जानते हैं। इतना ही नहीं रामायण, महाभारत और अन्य पौराणिक कथा और धारावाहिक के बारे में हम सभी अच्छी तरह से परिचित है। रामानंद सागर की प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण को लोग अब भी नहीं भूले है। यह धारावाहिक कईं सालों तक टीवी पर प्रसारित हुआ है। इस धारावाहिक के प्रसारण के सयम तो पूरे देश में कर्फ्यू जैसा वातावरण रहता था।

ऐसे में इस तीन घंटे के ‘हमारे राम’ के बारे में जानने की काफी उत्सुकता थी कि आखिर इसमें क्या है? आपको बता दें कि इस नाटक में भगवान सूर्य – करण शर्मा, शूर्पणखा – दीप्ति कुमार, लव और कुश – कृष्ण राजपूत और आकाशदीप सिंह, विभीषण – भरत शर्मा, मंदोदरी / कैकेयी – अमृता परिहार, दशरथ – राहुल सिंह, लक्ष्मण – भानु प्रताप सिंह, हनुमान – दानिश अख्तर, सुग्रीव -राहुल रघुवंशी, जटायु -हरीश कोटवानी, रावण -आशुतोष राणा और वाल्मिकी -सचिन जोशी (Lord Surya — Karan Sharma, Shoorpanaka — Deepti Kumar, Luv and Kush — Krishna Rajput & Akashdeep Singh, Vibhishan — Bharat Sharma, Mandodari / Kaikeyi — Amrita Parihar, Dashrath — Rahul Singh, Lakshman — Bhanu Pratap Singh, Hanuman — Danish Akhtar, Sugreeva — Rahul Raghuvanshi, Jatayu — Harish Kotwani, Raavan -Ashutosh Rana And Valmiki — Sachin Joshi) ने मुख्य भूमिका निभाई हैं। सभी ने अपनी-अपनी भूमिका में जान डाल दी है। गौरव भरद्वाज इस नाटक के निर्देशक है, जबकि राहुल भुचर निर्माता और प्रबंध-निदेशक हैं। पार्श्व गायक कैलाश खेर, शंकर महादेवन और सोनू निगम के गीत इस नाटक की खास विशेषताएं हैं।

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अब नाटक की बात करते हैं। जैसे ही पर्दा उठता है तो श्रीराम का दरबार चलता रहता है। इसी समय दर्शकों के बीच में से लव-कुश- दोनों भाई अपने आदर्श पिता राम की महानता और प्रशंसा के गीत गाते हुए मंच पर आते हैं। तब तक मंच के नीचे खड़ी सीता भी मंच पर आ जाती है। इस दौरान राम और सीता के बीच जो संवाद होते है, तब तक लव-कुश चुपचाप सुनते हैं। सीता के संवाद वर्तमान नारी समुदाय के लिए प्रेरणादायक है। क्योंकि सीता को वन भेजने में राम का कोई दोष नहीं होता है। बताया गया है कि राम और सीता अपनी-अपनी जगह सही है। इतना सब कुछ संवाद होने पर फिर भी दोनों बेटों और आदर्श राम को छोड़कर सीता धरती (अग्नि) में समां जाती (सीता गायब हो जाती) है। यह दृश्य बहुत ही मार्मिक है। ऐसे लगता है कि शिल्पकला वेदिका मंच की धरती फट (दरार) गई है। यह दृश्य देखकर दर्शक भी सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर सीता कहां चली गई है।

इसके बाद राम अपने दो बेटे- लव-कुश के पास गले लगाने जाते हैं और अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाते है। लेकिन लव-कुश राम को हाथ लगाने नहीं देते हैं। क्योंकि इतने पूजनीय और आदर्श राम उनके साथ खेलने और मौजमस्ती के समय मां सीता को जंगल में क्यों छोड़ दिया है? बेटों को पिता के प्यार से क्यों वंछित कर दिया है? उन्हें इतना दुख क्यों पहुंचाया है? इन सवालों के राम के जवाब से लव-कुश संतुष्ट नहीं होते हैं। बाप और बेटों को समझने और समझाने के लिए सूर्यदेव को ही आना पड़ता है। सूर्यदेव का आगमन ऊपर से होता है। यह देखकर दर्शक झूम उठते है। सूर्यदेव संवाद के बाद मंच पर अंधेरा हो जाता है। तब ही दर्शकों के बीच में से रावण (आशुतोष राणा) का मंच पर आगमन होता है। इस दौरान पूरा हॉल तालियों से गूंज उठता है। हमारे राम नाटक का यह रावण ही प्राण है। इसके बाद अनेक दृश्य, आकाशवाणी संवाद और घटनाएं नाटक में आते-जाते रहते हैं।

इस नाटक में सबसे मुख्य और आकर्षक सूर्पणखा का अभिनय है। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच यह अभिनय जारी रहता है। यह सभी जानते है कि पूरे (रामायण) झगड़े (युद्ध) की जड़ ही सूर्पणखा है। लेकिन यहां पर जो संवाद होते है वह काबिले तारीफ है। इस अभिनय के लिए सूर्पणखा की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है। हनुमान का आगमन भी दर्शकों के बीच में से होता है। जब हनुमान राम से मिलने जाते है उनकी पूंछ को दर्शक न चाहते हुए हाथ लगाने की कोशिश करते है। क्योंकि हनुमान उनके पास ही खड़े होते हैं। हनुमान का अभिनय भी इस नाटक में चार चांद है।

इस नाटक में अनेक बार होने वाले राम-रावण के संवाद दर्शकों को बांधकर रखते हैं। दोनों के संवाद पर दर्शक बार-बार तालियां बजाते हैं। दोनों भी एक दूसरे की गलती और महानता के बारे में बताते हैं। यह संवाद ही इस नाटक को प्रसिद्धि पर ले जा रही है। यह संवाद इतने सुंदर और मधुर है कि केवल हॉल में बैठकर देखने-सुनने पर ही उसका आनंद लिया जा सकता है। इस नाटक में सबसे मुख्य बात यह है कि रावण की ओर से लक्ष्मण को देने वाला उपदेश है। दोनों को बीच होने वाले संवाद की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है। क्यों कि अब तक जितने भी नाटक और धारावाहिक प्रसारित हुए है उनमें रावण-लक्ष्मण के बीच होने वाले ऐसे संवाद देखने और सुनने को नहीं मिले हैं। इस संवाद में आशुतोष राणा ने पूरी जान डाल दी है। हमारा मानना है यदि ऐसे संवाद नहीं होते तो शायद यह नाटक नहीं चल पाता। इस नाटक के यह संवाद सभी को प्रेरणा देते हैं। पति-पत्नी, भाई, दोस्त और दुश्मन की परख करने का सुंदर संदेश देखने का मौका मिलता है। शायद इसीलिए हमारे राम को देखने के लिए लोगों की भीड़ हो रही हैं।

[नोट- दर्शकों की मांग को देखते हुए आयोजकों ने ‘हमारे राम’ नाटक का मंचन एक बार फिर से हैदराबाद में मंचित करने का फैसला लिया है। आगामी 12 जनवरी को शाम 6 बजे से माधापुर स्थित शिल्पकला वेदिका में इस नाटक का मंचन किया जाएगा। टिकटों की बिक्री शुरू हो चुकी है। इच्छुक नाटक प्रेमी टिकटों के लिए मोबाइल नंबर 9346024369 से संपर्क कर सकते हैं।]

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