सीपीआई-एम महासचिव सीताराम येचुरी का निधन, ऐसा रहा इस महान नेता का सफर

हैदराबाद: सीपीआई-एम महासचिव सीताराम येचुरी (72) का गुरुवार को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। भारत में वामपंथी राजनीति के युचरी एक दिग्गज थे। वे राजनीतिक विरोधियों के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों के लिए भी जाने जाते थे। अपनी पत्नी और पत्रकार सीमा चिश्ती, एक बेटा और एक बेटी परिवार छोड़ गये। 2015 में प्रकाश करात के बाद सीपीआई-एम के महासचिव के रूप में वे 2018 में एक और कार्यकाल के लिए फिर से चुने गए।

1992 से पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय सीपीआई-एम पोलित ब्यूरो के सदस्य 2005 से 2017 तक राज्यसभा के सदस्य भी थे। एक मिलनसार, मृदुभाषी और सौम्य, येचुरी एक बहुभाषी व्यक्ति थे, जिनमें शानदार वक्तृत्व कौशल था। वे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के प्रति अपने दोस्ताना स्वभाव के लिए जाने जाते थे। येचुरी का जन्म 12 अगस्त, 1952 को मद्रास (चेन्नई) में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुलु आंध्र प्रदेश राज्य सड़क निगम में इंजीनियर थे, जबकि उनकी माँ कल्पकलम एक सरकारी अधिकारी थीं।

युचरी ने हैदराबाद में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और ऑल सेंट्स स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की। बाद में वे दिल्ली चले गए, जहाँ उन्होंने अपनी उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी की और सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातन किया। येचुरी की राजनीतिक यात्रा तब शुरू हुई जब वे दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्नातकोत्कर कर रहे थे। छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में वे मार्क्सवादी विचारधारा से आकर्षित हुए और सीपीआई-एम की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के सदस्य बन गए।

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1975 में औपचारिक रूप से सीपीआई-एम में शामिल होने के बाद वे एक सक्रिय नेता बन गये। आपातकाल के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी और मज़दूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के लिए आवाज़ उठाई। जब उन्हें केंद्रीय समिति का सदस्य बनाया गया, तब उनकी उम्र सिर्फ़ 32 वर्ष थी। शुरुआत में कांग्रेस विरोधी विपक्षी मोर्चे के प्रमुख चेहरों में से एक के रूप में जाने जाने वाले येचुरी बाद में कांग्रेस को बाहर रखने के लिए जनता पार्टी के विभिन्न गुटों को एक साथ लाकर राष्ट्रीय राजनीति में गठबंधन बनाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में उभरे।

येचुरी ने अन्य मार्क्सवादी नेताओं के साथ मिलकर 1996 में जनता दल के एच.डी. देवेगौड़ा को प्रधानमंत्री बनाने के लिए गठबंधन बनाया, जब कांग्रेस को बहुमत नहीं मिल पाया था। जीके मूपनार की तमिल मनीला कांग्रेस में तत्कालीन पी. चिदंबरम के साथ येचुरी ने संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम के मसौदे को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने आईके गुजराल को देवेगौड़ा का उत्तराधिकारी बनने में मदद की। येचुरी 2004 में एक बार फिर एक प्रमुख चेहरा थे, जब वामपंथी गुट ने साझा न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बाहर से महत्वपूर्ण समर्थन दिया था। वे भाजपा को बाहर रखने के लिए कांग्रेस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के पक्ष में थे।

हालांकि 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर वाम मोर्चे ने यूपीए से समर्थन वापस ले लिया था, लेकिन येचुरी को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता था जो कांग्रेस के साथ घनिष्ठ सहयोग की वकालत करते थे। 2015 में येचुरी ने सीपीआई-एम के महासचिव का पद संभाला, जब पार्टी 2011 में अपने गढ़ पश्चिम बंगाल में सत्ता खोने के बाद चुनौतीपूर्ण दौर से गुज़र रही थी। येचुरी सीपीआई-एम के राजनीतिक भाग्य में गिरावट को रोक नहीं सके क्योंकि पार्टी ने अपना गढ़ त्रिपुरा भी खो दिया और हालांकि 2021 में केरल में अभूतपूर्व दूसरा कार्यकाल जीतकर इतिहास रच दिया, लेकिन राज्य के साथ-साथ पूर्व गढ़ पश्चिम बंगाल में भी इसे लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा।

ఏచూరి అంత్యక్రియలు ఉండవు

హైదరాబాద్ : కమ్యూనిస్టు పార్టీ దిగ్గజ నాయకుడు, సీపీఐ(ఎం) జాతీయ ప్రధాన కార్యదర్శి సీతారాం ఏచూరి కన్నుమూసిన విషయం తెలిసిందే. గురువారం ఢిల్లీలోని ఎయిమ్స్ వైద్యశాల‌లో తుదిశ్వాస విడిచారు. ఆయ‌న‌కు కొన్ని రోజుల నుంచి అక్కడే చికిత్స చేప‌డుతున్న విష‌యం తెలిసిందే. శ్వాస‌కోస స‌మ‌స్యతో బాధ‌ప‌డుతున్న ఏచూరి ఇవాళ మ‌ర‌ణించిన‌ట్లు ఆ పార్టీ ప్రక‌టించింది. ఇదిలా ఉండగా.. ఏచూరి అంత్యక్రియల విషయంలో సీపీఐఎం కీలక నిర్ణయం తీసుకుంది. అంత్యక్రియలు ఉండవని ప్రకటించించింది.

తన పార్థివదేహాన్ని మెడికల్ కాలేజీకి అప్పగించాలని గతంలోనే ఏచూరి కోరారు. దీంతో వైద్య పరిశోధనల కోసం సీతారాం ఏచూరి పార్థివదేహాన్ని కళాశాలకే కుటుంబసభ్యులు అప్పగించేందుకు అంగీకరించారు. దీంతో సీతారాం ఏచూరి కోరిక మేరకు ఆయన పార్థివదేహాన్ని ఎయిమ్స్‌కు అప్పగిస్తారని ఆ పార్టీ పొలిట్ బ్యూరో సభ్యులు రాఘవులు తెలిపారు. కాగా, వీపీ సింగ్ నేతృత్వంలోని నేష‌న‌ల్ ఫ్రంట్, యునెటెడ్ ఫ్రంట్ కూట‌మి ప్రభుత్వ ఏర్పాటులో ఏచూరి కీల‌క పాత్ర పోషించారు. ఆ స‌మ‌యంలో ప్రభుత్వానికి సీపీఎం బ‌య‌టి నుంచి మ‌ద్దతు ఇచ్చింది.

సీతారాం ఏచూరి మరణం, దేశ రాజకీయాలకు తీరని లోటు- ప్రధాని మోదీ

సీపీఎం జాతీయ ప్రధాన కార్యదర్శి, రాజకీయ కురువృద్ధుడు.. సీతారాం ఏచూరి మరణించిన సంగతి తెలిసిందే. గత కొంతకాలంగా.. ఊపిరితిత్తులకు సంబంధించిన సమస్యతో బాధపడుతున్న సీతారాం, గురువారం మధ్యాహ్నం 3 గంటల సమయంలో ఢిల్లీలోని ఎయిమ్స్ హాస్పిటల్ లో తన తుదిశ్వాస విడిచారు. కాగా, సీతారాం మృతి పట్ల పలువురు ప్రముఖులు, రాజకీయ నేతలు తమ సంతాపాన్ని తెలియజేస్తున్నారు.

సీతారాం ఏచూరి మరణం.. భారత రాజకీయాలకు తీరని లోటని భారత ప్రధాని నరేంద్ర మోదీ అన్నారు. ఈ సందర్భంగా ప్రధాని ‘ఎక్స్'(X) లో మాట్లాడుతూ.. “శ్రీ సీతారం ఏచూరి జీ మరణించడం చాలా బాధాకరమైన విషయం. ఆయన వామపక్షాలకు ఒక మార్గదర్శిగా ఉన్నారు. సమర్ధవంతమైన పార్లమెంటేరియన్ గా కూడా ఆయన మంచి గుర్తింపు తెచ్చుకున్నారు. ఈ విషాద సమయంలో ఇప్పుడు నా యొక్క ఆలోచనలన్నీ.. ఏచూరి కుటుంబ సభ్యులపైనే ఉన్నాయి.” అంటూ మోదీ ఎక్స్ లో వెల్లడించారు. (ఏజెన్సీలు)

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