[नोट-लेखक के कथनानुसार यदि मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी जेल में बद है तो उस देश की सरकार को दुनिया से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें तुरंत रिहा कर देना चाहिए। उत्तम लेख के लिए लेखक प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा के प्रति ‘तेलंगाना समाचार’ आभारी है]
ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को ‘ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई’ के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (2023) दिए जाने की घोषणा की गई है।
गौरतलब है कि फिलहाल नरगिस ईरान में 16 साल की जेल की सज़ा काट रही हैं। वे उस मुल्क के मानवाधिकार रिकॉर्ड की मुखर आलोचक रही हैं और उन्होंने मृत्युदंड को खत्म करने के लिए अभियान चलाया है। नरगिस को नोबेल मिलना ईरान और दुनिया भर में मानवाधिकार रक्षकों के लिए बेहद अहम है। इससे यह यकीन पुख्ता होता है कि उत्पीड़न के बावजूद कोई इंसान न्याय और समानता के लिए अपनी लड़ाई से दुनिया को आंदोलित कर सकता है।
सयाने बता रहे हैं कि नरगिस मोहम्मदी की सक्रियता 2000 के दशक की शुरूआत में शुरू हुई, जब वे ईरान में महिलाओं के अधिकारों के अभियान में शामिल हुईं। वे ‘वन मिलियन सिग्नेचर अभियान’ की संस्थापक सदस्य रहीं, जिसने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले कानून के समर्थन में 1.1 मिलियन से अधिक हस्ताक्षर इकट्ठा किए थे। 2009 में, उन्हें विवादित ईरानी राष्ट्रपति चुनाव के बाद लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन में सक्रिय भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया और छह साल जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 2015 में मेडिकल छुट्टी पर रिहा कर दिया गया था।
2016 में फिर से गिरफ्तार किया गया और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अपराधों’ के आरोप में 16 साल जेल की सजा सुनाई गई। जेल में रहने के दौरान उन्हें बार-बार चिकित्सा देखभाल से वंचित किया गया और उन्हें अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने मानवाधिकारों के समर्थन में बोलना जारी रखा और 2021 में सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए ईरानी सरकार को एक खुला ख़त लिखा।
इस तरह, उनका यह सम्मान उत्पीड़न के खिलाफ उनके साहस, दृढ़ संकल्प और संघर्ष की वैश्विक स्वीकृति का प्रमाण है। यह लोकतंत्र और मानवाधिकारों की लड़ाई में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता मिलने का भी प्रतीक है।
कहना ही होगा कि नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना कई वजहों से बेहद अहम और ऐतिहासिक घटना है। सबसे पहले तो, ईरान के किसी मानवाधिकार कार्यकर्ता के लिए नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करना एक दुर्लभ सम्मान है। यह असहमति को दबाने और मानवाधिकार रक्षकों पर अत्याचार करने के ईरानी सरकार के लंबे इतिहास का करारा जवाब है।
दूसरे, यह पुरस्कार लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए ईरानी लोगों के संघर्ष के समर्थन में एक शक्तिशाली संदेश है। ईरानी लोगों ने दशकों तक उत्पीड़न और दमन का सामना किया है, लेकिन उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखा है। नरगिस का सम्मान उनके साहस और दृढ़ संकल्प की अंतरराष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।
तीसरे, यह सम्मान लोकतंत्र और मानवाधिकारों की लड़ाई में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। याद रहे कि महिलाएँ अक्सर इन संघर्षों में सबसे आगे होती हैं और उन्हें भीषण चुनौतियों और क्रूरतम जोखिमों का सामना करना पड़ता है। इसलिए नरगिस का यह सम्मान मानवाधिकार आंदोलन में महिलाओं के योगदान का जश्न है।
अंततः, यह भी विचारणीय है कि नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के कई सकारात्मक प्रभाव सामने आ सकते हैं। सबसे पहले तो, इससे ईरान में मानवाधिकार की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान बढ़ने की उम्मीद की जानी चाहिए। इससे ईरानी सरकार पर अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार करने का दबाव पड़ सकता है।
दूसरे, इससे ईरान और दुनिया भर में अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को प्रेरणा मिलनी चाहिए और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जारी उत्पीड़न के खिलाफ सामाजिक न्याय और मानवीय समानता के अभियानों को बल मिलना चाहिए। तीसरे, लोकतंत्र और मानवाधिकारों की लड़ाई में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता तथा महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों के लिए समर्थन तो बढ़ना ही चाहिए।
– प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा