कादम्बिनी क्लब हैदराबाद: 370वीं मासिक गोष्ठी में ‘समकालीन कविता में प्रतीक विधान’ पर हुई सारगर्भित चर्चा

हैदराबाद: कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार को अवधेश कुमार सिन्हा (दिल्ली) की अध्यक्षता में गूगल मीट के माध्यम से क्लब की 370वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ। प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डॉ अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्ष) एवं मीना मुथा (कार्यकारी संयोजिका) ने आगे बताया कि सर्वप्रथम सस्मिता नायक द्वारा सुमधुर स्वर में सरस्वती बंदना की प्रस्तुति दी गई।

डॉक्टर अहिल्या मिश्र ने शब्द कुसुमों से सभी उपस्थित जनों के स्वागत में कहा कि तपती धूप में शीतलता का आनंद लेते हुए इस माह आभासी तकनीक के माध्यम से हम भेंट कर रहे हैं। आज डॉ स्मृति शुक्ला (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एवं साहित्यकार जबलपुर) ‘समकालीन कविता में प्रतीक विधान’ पर अपने विचार रखेंगी। डॉक्टर स्मृति सुधी समीक्षक हैं। आलोचना पर इनकी छह किताबें प्रकाशित हुई हैं। तत्पश्चात संगोष्ठी सत्र संयोजक अवधेश कुमार सिन्हा ने डॉक्टर स्मृति का स्वागत करते हुए कहा कि अच्छी चर्चा की संभावना है। समकालीन कविता क्या है? प्रतीक का विधान क्यों है? आदि प्रश्नों का निराकरण भी होगा।

डॉ स्मृति शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि कविता हम सभी को बाँधने का कार्य करती है। अपने समय की जटिल स्थितियों पर कुछ लिखना समकालीन काव्यधारा कहलाती है। उन्होंने कुछ विदेशी रचनाकारों का भी ज़िक्र किया। प्रतीकों में काव्यभाषा को रेखांकित करने का गुण है। अलग अलग कालखंडों में कई प्रसिद्ध कवियों ने प्रकृति के विषय में लिखा। प्रतीकों द्वारा उसका मानवीकरण किया। उन्होंने जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा और अज्ञेय का उल्लेख करते हुए डॉ अहिल्या मिश्र की कविताओं में प्रतीकों के प्रयोग पर चर्चा की और उनकी कविताओं के कुछ अंश भी पढ़े।

डॉ रमा द्विवेदी,  विनीता शर्मा, ज्योति नारायण, सुनीता लुल्ला, सरिता सुराणा ने भी प्रस्तुत विषय पर प्रश्न किये जिसका समाधान डॉक्टर स्मृति ने किया। डॉ अहिल्या मिश्र ने लिपि और भाषाओं के लोप पर अपनी चिंता व्यक्त करते करते हुए कहा कि सभ्यता के निर्माण में भाषाओं का सहयोग अनिवार्य है। लेखन तो बढ़ रहा है, पाठक वर्ग कैसे बढ़ेगा यह विचारणीय है। अवधेश कुमार सिन्हा ने सत्र के समापन पर कहा कि पाठक वर्ग सिमट रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि आप भी औरों को पढ़ें और सामने वाला भी आपको पढ़ेगा। उन्होंने संक्षिप्त समय में अपनी बात रखने के लिए डॉ स्मृति को धन्यवाद दी।

दूसरे सत्र में है डॉ अहिल्या मिश्र की अध्यक्षता में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें उमेश चन्द्र श्रीवास्तव, दर्शन सिंह, विनीता शर्मा, डॉ संगीता शर्मा, विनोद गिरि अनोखा, शिल्पी भटनागर, डॉक्टर रमा द्विवेदी, ज्योति नारायण, सुनीता लुल्ला, चंद्र प्रकाश दायमा, अवधेश कुमार सिन्हा, दीपा कृष्णदीप, तरुणा, मोहनी गुप्ता, वर्षा रानी, ममता जायस्वाल, डॉ स्मृति शुक्ला, भावना पुरोहित और मीना मुथा ने काव्य पाठ किया। 

डॉ अहिल्या मिश्र ने हास्य व्यंग्य की प्रस्तुति देते हुए कहा कि आज की चर्चा अच्छी रही। डॉ स्मृति ने सही कहा कि सौ पेज पढ़ो तब कहीं एक पेज लिखो। आज भी गीत, ग़ज़ल, कविताऐं, क्षणिकाएँ, श्रृंगारगीत, हायकु आदि विधाओं को सुन कर आनंद आया। अवसर पर भगवती अग्रवाल, मधु भटनागर, इंदु सिंह, किरण सिंह और रमाकान्त श्रीनिवास की उपस्थिति भी रही। सत्र का संचालन मीना  मुथा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन ज्योति नारायण ने किया और शिल्पी भटनागर ने कार्यक्रम का तकनीकी व्यवस्था का सुचारु संचालन किया।

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