[नोट-प्रोफेसर देवराज जी का बधाई संदेश पढ़कर प्रसन्नता हुई। हम यहां स्पष्ट करना चाहते है कि समाचार, लेख, समीक्षा आदि प्रकाशित करना पत्रकारिता का कर्तव्य होता है। हमने भी यही किया है। हमारे लिए सबसे बड़ी प्रसन्नता की बात यह रही है कि तेलंगाना समाचार की ओर से चलाये जा रहे जन-संघर्ष के प्रति प्रो देवराज जी का नैतिक समर्थन मिलना और देना है। हम इस समर्थन को भारतरत्न की उपाधि से बढ़कर मानते है। क्योंकि तेलंगाना गठन के लिए लोगों ने बहुत बड़ा आंदोलन किया। केवल आंदोलन ही नहीं किया, बल्कि अपनी जान को न्यौछावर कर दिया। इस दौरान खुद मिट गये, लेकिन किसी को हानि नहीं पहुंचाया।
इस आंदोलन का साहित्य तेलुगु में बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। अर्थात अनेक बुद्धिजीवियों ने भी आंदोलन किया और पृथक के तेलंगाना आंदोलन के समर्थन में लेखन किया। ऐसा आंदोलन और लेखन देश के किसी भी हिस्से में नहीं हुआ। मैंने भी तेलंगाना के साथ हो रहे अन्याय के बारे में हिंदी में लेखन किया। जो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ। मेरी जानकारी मुताबिक, तेलंगाना आंदोलन के बारे में हिंदी में जितना लिखन हमने किया किसी और नहीं किया है। मेरा मानना है कि तेलंगाना आंदोलन करने वालों का सपना अब भी साकार नहीं हुआ है। इसीलिए तेलंगाना के लोगों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करना मैं अपना कर्तव्य मानता हूं। पहले मेरे पास खुद का अखबार नहीं था। आज तेलंगाना समाचार है। इसके बावजूद सभी दलों की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करना तेलंगाना समाचार की नीति है और रहेगी।]
आदरणीय राजन्ना जी,
अंतरराष्ट्रीय नव-वर्ष के उपलक्ष्य में आपको शुभकामनाएँ भेजता हूँ। प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा द्वारा भेजी गई मेरी डायरी का प्रकाशन आपने ‘तेलंगना समाचार’ में किया, इसके लिए आपके प्रति आभार प्रकट करता हूँ।
तेलंगाना समाचार के परिचय में मुझे निल्लु, निधुलु और नियमाकालु शब्दों की जानकारी के साथ ही उस राज्य के स्थापना-संघर्ष की वास्तविक पृष्ठभूमि के एक महत्वपूर्ण पक्ष का ज्ञान हुआ। इसी के साथ तेलंगाना समाचार के प्रति लगाव भी बढ़ा, क्योंकि आप इसका प्रकाशन निल्लु, निधुलु और नियमाकालु के लिए संघर्ष को सशक्त बनाने के भाव से ही कर रहे हैं।
यह मिशनरी पत्रकारिता का एक बड़ा उदाहरण होने के साथ ही अन्यों के लिए अनुकरणीय भी है। पत्रकारिता के माध्यम से चलाए जाने वाले आपके जन-संघर्ष के प्रति मेरा नैतिक समर्थन है। आपको इसके लिए शुभकामनाएँ भी देता हूँ।
प्रो ऋषभदेव शर्मा ने बताया कि पिछली जुलाई में उनके सम्मान-समारोह में आप भी शामिल थे और रुचिपूर्वक चित्र भी ले रहे थे… इसका अर्थ है कि मैंने आपको देखा है। इस बार आने पर मिलना भी चाहूँगा। आपको पुनः शुभकामनाएँ।
सादर
प्रो देवराज
पूर्व अधिष्ठाता, अनुवाद विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) संपर्क : dr4devraj@gmail.com/7599045113
प्रो देवराज जी का प्रकाशित समाचार:
प्रो देवराज जी संक्षिप्त परिचय-
मूलत: नजीबाबाद नगर (उत्तर प्रदेश, भारत) की धरती पर पले-बढ़े और वहीं साहू जैन महाविद्यालय के विद्यार्थी के रूप में हिंदी साहित्य में उच्च शिक्षा पूरी की। 1955 में जन्मे डॉ. देवराज ने आजीविका के लिए पहले दूरदर्शन में नौकरी की, उसके बाद अध्यापन से जुड़ गए। मणिपुर विश्वविद्यालय, इम्फाल (मणिपुर) में प्रोफेसर एवं मानविकी संकाय के अधिष्ठाता रहे। ढाई दशक से अधिक कार्य करने के बाद महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) द्वारा आमंत्रित किए गए। वहाँ प्रोफेसर और अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्ठाता तथा शोध अधिष्ठाता के रूप में कार्य किया। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार भी रहे।
मणिपुर विश्वविद्यालय, इम्फाल, असम विश्वविद्यालय, सिलचर त्रिपुरा विश्वविद्यालय, अगरतला के हिंदी अध्ययन मंडलों में विशेषज्ञ सदस्य रहे। राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
कविता, समालोचना, साहित्येतिहास, लोकसाहित्य, हिंदी-प्रचार आंदोलन आदि पर केंद्रित लेखन एवं संपादन। मणिपुरी काव्य-साहित्य के इतिहास पर हिंदी में पहली पुस्तक् का लेखन। अनुवाद के माध्यम से मणिपुरी साहित्य की हिंदी में पुस्तकाकार प्रस्तुति। बंगला के गजेंद्र कुमार मित्र तथा रवींद्रनाथ ठाकुर के उपन्यासों का हिंदी में अनुवाद्। प्रख्यात भारतविद आनंद के. कुमार स्वामी के लेखों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद्।
समकालीन हिंदी कविता के आंदोलन, ‘तेवरी’ के घोषणाकारों में से एक तथा उसके घोषणापत्र के लेखक। मणिपुर हिंदी परिषद, इम्फाल द्वारा प्रकाशित ‘महिप पत्रिका’ के प्रारंभकर्ता-सदस्य। एक दशक तक इस पत्रिका का संपादन भी किया। मणिपुर से ही प्रकाशित ‘युमशकैश’ पत्रिका के परामर्शदाता। केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की त्रैमासिकी ‘समन्वय पूर्वोत्तर’ के पहले मुख्य परामर्शदाता रहे। गंगतोक, (सिक्किम) से प्रकाशित पूर्वोत्तर भारत के प्रथम ऑनलाइन हिंदी जर्नल ‘कंचनजंघा’ के परामर्शदाता-मंडल के सदस्य्। मणिपुर में हिंदी कवि-सम्मेलन परंपरा के प्रारंभकर्ता। प्रथम पूर्वोत्तर हिंदी सम्मेलन के आयोजक्। अंतरराष्ट्रीय कला एवं संस्कृति परिषद, नजीबाबाद द्वारा संचालित ‘माता कुसुम कुमारी हिंदीतरभाषी हिंदी साधक सम्मान’ योजना और ‘साहित्यिक कुंभ’ के प्रारंभकर्ताओं में से एक।
‘पूर्वोत्तर अध्ययन परिषद’ के संस्थापक अध्यक्ष। ‘हिंदी लेखक मंच, मणिपुर’ के संस्थापक सचिव। साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था, ‘पूर्वा’ (इम्फाल) के संस्थापक्। मणिपुर हिंदी परिषद, इम्फाल, मणिपुर संस्कृत परिषद, इम्फाल, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली, राष्ट्रीय हिंदी परिषद, मेरठ के आजीवन सदस्य। शब्द भारती, गुवाहाटी के संरक्षक्। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय एवं वस्त्र मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समितियों के पूर्व सदस्य। केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अनुदान-समिति के पूर्व सदस्य व भाषा के पूर्व परामर्शदाता। वर्तमान में ‘भारतीय भाषाओं में सृजनधर्मिता’ योजना के संपादन में व्यस्त।
संपर्क : ई-मेल : dr4devraj@gmail.com मोबा. : 7599045113
डाक का पता : सी-112, अलकनंदा अपार्टमेंट्स, रामपुरी, पो. चंदेरनगर- 201 011,
जि. गाजियाबाद (दिल्ली एनसीआर), उ. प्र.