हैदराबाद: कतर के अल बयात स्टेडियम में जारी फीफा विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में फ्रांस ने फाइनल में पहुंच गई है। इसके साथ ही मोरक्को का फाइनल में जगह बनाने का सपना चकनाचूर हो गया। फाइनल में अब फ्रांस की टक्कर अर्जेंटीना के साथ होगा। मोरक्को का टूर्नामेंट में अब तक का प्रदर्शन शानदार रहा। लेकिन फ्रांस के खिलाफ उसकी मजबूत दीवार धराशायी हो गई। मैच में फ्रांस ने 2-0 से जीत हासिल की। मोरक्को की टीम अब तक टूर्नामेंट में शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए आ रही थी। लेकिन सेमीफाइनल में उसका जादू नहीं चला।
दूसरी ओर मोरक्को का फीफा विश्व कप खेलने का सपना अधूरा रह गया। मोरक्को अफ्रीकी देशों की पहली टीम बनी है जिसने फीफा विश्व कप में सेमीफाइनल तक सफर तय किया। हालांकि वह फाइनल में नहीं पहुंच सका। लेकिन मोरक्को ने टूर्नामेंट में अपने सभी विरोधियों को कड़ी टक्कर दी। अब फ्रांस जब 18 दिसंबर को कतर के लुसैल स्टेडियम में फीफा विश्व कप के फाइनल में अर्जेंटीना से भिड़ेगा।
सेमीफाइनल खेलने उतरी फ्रांस की टीम ने शुरुआत से मोरक्को के खिलाफ आक्रामक खेल दिखाया। नतीजा यह हुआ कि खेल के पांचवें मिनट में ही टीम के लिए थियो हर्नांडेज गोल दागकर सनसनी मचा दी। इसके बाद भी फ्रांस का खेमा लगातार मोरक्को के गोल पोस्ट पर वार करता रहा। इस तरह पहले हाफ में फ्रांस की टीम 1-0 से आगे रही। खेल के दूसरे हाफ में फ्रांस ने 79वें मिनट में अपनी बढ़त को दोगुनी कर ली।
यह गोल रैंडल कोलो मुआनी ने फ्रांस के लिए किया। रैंडल सब्सीट्यूट के तौर पर मैदान पर में उतरे थे। उन्होंने मैदान पर आने के 44 सेकंड बाद ही गेंद को गोल पोस्ट में डाल दिया। इसके बाद फ्रांस ने मोरक्को को कोई मौका नहीं दिया फाइनल हूटर बजने तक 2-0 की अपनी बढ़त को बनाये रखा।
पहले हाफ के शुरुआत मिनट में गोल दागने के बावजूद फ्रांस का खेमा मोरक्को को कोई ढील नहीं देना चाहता था। यही कारण है कि पहले हाफ के खेल में फ्रांसीसी टीम ने कुल 10 शॉट्स दागे जिसमें उन्हें एक सफलता हासिल हुई। वहीं बात की जाए मोरक्को की तो उसने कुल पांच मौके बनाए जिसमें से दो टारगेट पर लगे लेकिन वह गोल पोस्ट के अंदर नहीं जा सका।
फिर भी दूसरे हाफ में मैदान पर उतरते ही मोरक्को की टीम ने आक्रमकता दिखाई लेकिन फ्रांस के डिफेंस को वह भेद नहीं पाए। इस दौरान फ्रांस ने पलटवार करना जारी रखा और दूसरे हाफ में भी वह एक गोल करने में सफल रहा। इस तरह 24 साल बाद विश्व कप फाइनल में पहुंचने वाला पहला डिफेंडिंग चैंपियन बन गया। (एजेंसियां)