हैदराबाद (सुनीता लुल्ला) : सुप्रसिद्ध साहित्यिक संस्था साहित्य सेवा समिति की 90 वीं मासिक काव्य गोष्ठी रविवार को सुप्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ सुमन लता की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम का तकनीकी संचालन किया हमारी परम सहयोगी और सक्रिय सदस्य सुश्री गीता अग्रवाल ने। हमेशा तरह कार्यक्रम दो सत्रों में प्रस्तुत किया गया।
चर्चा और काव्य गोष्ठी
कार्यक्रम का आरंभ समिति की महामंत्री सुनीता लुल्ला के सरस्वती वंदना गायन के साथ हुआ। तत्पश्चात सुनीता लुल्ला ने ही सभी आगत सम्मानित सदस्यों का यथोचित स्वागत् भाषण भी किया और संचालिका गीता अग्रवाल ने आज के विषय पर पूर्व पीठिका के लिए चंद्रप्रकाश दायमा को आमंत्रित किया।
सनातनी त्योहारः सामाजिक संदर्भ के आईने में
आज चर्चा का विषय थाः ‘सनातनी त्योहारः सामाजिक संदर्भ के आईने में’। श्री चंद्रप्रकाश दायमा ने विषय प्रवेश करते हुए बताया कि किसी भी समाज की सभ्यता उसका बाहरी रख-रखाव है, उसका रहन-सहन खान-पान इत्यादि है। और उनकी संस्कृति, आंतरिक विश्वास, धर्म, मान्यताएँ इत्यादि है। हमारे त्योहार हमारे सामाजिक, आर्थिक विकास का माध्यम बनते हैं। और यही इनका हमारे सामाजिक जीवन में महत्व भी है।
प्रमुख प्रवक्ता जी परमेश्वर ने विषय को आगे बढ़ाया
समिति के वरिष्ठ साहित्यकार और आज के प्रमुख प्रवक्ता जी परमेश्वर ने विषय को आगे बढ़ाया। आपने बताया कि गणेश चतुर्थी का सामाजिक और धार्मिक महत्व है। इस त्योहार के आरंभ की अंतर्कथा में। हमें ज्ञान होता है कि किस प्रकार माता-पिता की परिक्रमा करके समस्त पृथ्वी की परिक्रमा करने जैसा मान कर समाज में एक प्रतिष्ठित संस्कृति की स्थापना की गई। आज जब हम गणेश चतुर्थी मनाते हैं तो उसके आर्थिक विकास और सामाजिक प्रभाव से भी जुड़ते हैं।
एकत्व का चरित्र निर्माण करती
समाज का हर तबका इससे जुड़ता है, मूर्तिकार, पंडाल बनाने वाले से आगे तक हर व्यक्ति जुड़ता है। हमारे स्वतंत्रता के संघर्ष के दिनों में भी यही त्योहार और सांस्कृतिक आयोजन थे जो लोगों को एक साथ जोड़ने में सफल हुए। इस प्रकार नवरात्रि, विजयादशमी और दीपावली के साथ जुड़ी सभी ऐतिहासिक घटनाएं हमारे एकत्व का चरित्र निर्माण करती हैं।
डॉ सुमन लता ने कहा…
डॉ सुमन लता ने विषय को अगले सोपान तक पहुँचाया। आपने बताया कि किस प्रकार तालाब से प्राप्त चिकनी मिट्टी से भगवान गणेश जी की मूर्ति का निर्माण किया जाता है और इसमें हल्दी और कुमकुम के रंगों का ही प्रयोग किया जाता है। कोई भी रासायनिक रंग नहीं मिलाये जाते हैं। यह परम्परा हमारे पर्यावरण की रक्षा का काम करती है। नवरात्रि इत्यादि त्योहार नारी की सामाजिक महत्ता का प्रतिपादन करते हैं।
कवि अभिजीत पाठक ने बताया
हमारे युवा पीढ़ी के कवि अभिजीत पाठक ने बताया कि हमारे सभी त्योहार न केवल सामाजिक जुड़ाव अपितु राष्ट्रीय एकता का भी सशक्तिकरण करते हैं। हमारी पहचान बनते हैं। विषय को आगे बढ़ाते हुए दर्शन सिंह, ज्योति नारायण, गीता अग्रवाल और अंत में सुनीता लुल्ला ने भी इन संदर्भों पर अपने विचार रखे।
कवियों ने काव्य पाठ किया
द्वितीय सत्र में सभी उपस्थित कवियों ने काव्य पाठ किया। इनमें आर्या झा, संतोष रज़ा गाजीपुरी, किरण सिंह, विनीता शर्मा, मोहिनी गुप्ता, अभिजीत पाठक, ज्योति नारायण, दर्शन सिंह, डॉ सुरभि दत्त, विनोद गिरि ‘अनोखा’, डॉ राजीव सिंह, गीता अग्रवाल, सुनीता लुल्ला और डॉ सुमन लता शामिल है।
धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम के अंत में विनोद गिरि ‘अनोखा’ ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सविस्तार धन्यवाद करते हुए सभी विषय प्रवक्ताओं का उल्लेख और सभी कवियों के नाम और कविताओं का भलीभाँति उल्लेख करते हुए अनोखा ने कार्यक्रम का शानदार समापन किया। इस प्रकार एक यादगार काव्य गोष्ठी समय काल में दर्ज की गई।