हैदराबाद : सम्मक्का के पति पगिडिद्दराजू सोमवार को दुल्हा बनकर भद्राद्री कोत्तागुडेम जिले के वेपलगड्डा से मेडारम के लिए रवाना हो गये। महबूबाबाद जिले के गंगाराम मंडल के पूनुगोंड्ला को मंगलवार पहुंच गये। वहां पगिडिद्दराजू मंदिर में विशेष पूजा की गई। दलपति बुच्चिरामुलु के मकान से पानुपु (हल्दी और केसर) को विशेष भजन कार्यक्रम के साथ मंदिर में रहस्य तरीके से पूजा की जाएगी।
इस दौरान पगिडिद्दराजू को दुल्हे के रूप में बांस की छड़ी को विशेष रूप से सजाया गया। तत्पश्चात ‘शिवसत्तु’ पूजा के साथ भगवान की पहाड़ी पर पैदल निकल पड़े। पूनुगोंड्ला से कर्लपल्ली होते हुए पस्रा के पास लक्ष्मीपुरम में पेनुका वंशज (कबीला) के घर में रुकते और बुधवार शाम तक मेडारम पहुंचेंगे।
पगिडिद्दराजू पहंचने के बाद सम्मक्का के पूजारी की ओर से विशेष पूजा की जाएगी। इसके बाद ‘गद्दा’ पर बिठाने के साथ ही जातरा शुरू हो जाती है। फिर कोंडाई से गोविंदा राजू और कन्नेपल्ली से सारलम्मा आते हैं। इस बीच कोत्तागुडेम जिले के गुंडाला मंडल के वेपलगड्डा स्थित पगिडिद्दराजू मंदिर में विशेष पूजा करने के बाद सोमवार को अरेम वंशज विशेष पूजा करने के बाद पैदल ही मेडारम के लिए रवाना हो गये।
यह सब मंगलवार को मुलुगु जिले के लक्ष्मीपुरम पहुंचे और वहां से पूनुगोंड्ला रवाना हो गये। बुधवार की रात को पेनका वंशज के साथ मेडारम पहुंचेंगे। जातरा के समाप्ति के बाद अरेम वंशज पगिडिद्द राजू को ‘गुंडाला’ लेकर आएंगे और उन्हें गर्भगृह में रखा जाएगा। मेडारम जातरा समाप्त होने के 16 दिन बाद वेपलगड्डम में जातरा होती है।