साहित्य सेवा समिति: कवि जगजीवन लाल अस्थाना ‘सहर’ को गोष्ठी समर्पित, नीरज बोले- परवान पर कैसी चढ़ती गई शायरी

హైదరాబాద్ (సునీత లుల్లా నివేదిక): హైదరాబాద్‌లోని ప్రముఖ సాహిత్య సంస్థ సాహిత్య సేవా సమితి 96వ ఆన్‌లైన్ సెమినార్ ముగిసింది. గత కొంత కాలంగా హైదరాబాద్ కు చెందిన ప్రముఖ కవుల శ్రేణిని నిర్వహిస్తున్నాం. నేడు మన కవి జగ్జీవన్ లాల్ ఆస్థానా ‘సహార్’ పైన ఉంది. అనారోగ్యంతో ఉన్నప్పటికీ ఆన్‌లైన్‌లో మాతో చేరిన వారు. కార్యక్రమం యొక్క సాంకేతిక నిర్వాహకులు మా బలమైన యువ కవులు శిల్పి భట్నాగర్ మరియు రేఖా అగర్వాల్. స్వర కోకిల వర్ష శర్మ గారి సరస్వతీ వందనంతో కార్యక్రమం ప్రారంభమైంది.

हैदराबाद (सुनीता लुल्ला की रिपोर्ट): हैदराबाद की सुप्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य सेवा समिति की 96 वीं आनलाइन गोष्ठी सम्पन्न हुई। पिछले कुछ समय से हम हैदराबाद के सुप्रतिष्ठित कवियों की श्रृंखला आयोजित कर रहे हैं। आज के हमारे कवि जगजीवन लाल अस्थाना ‘सहर’ जी रहे हैं। जो स्वयं अस्वस्थ रहते हुए भी हमसे आनलाइन जुड़े। कार्यक्रम की तकनीकी आयोजक हमारी सशक्त युवा कवियित्री शिल्पी भटनागर और रेखा अग्रवाल रही है। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वर कोकिला वर्षा शर्मा जी के सरस्वती वंदना से हुआ।

तत्पश्चात संचालिका शिल्पी ने समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार को आमंत्रित किया कि वह स्वागत् भाषण और आदरणीय जगजीवन लाल अस्थाना जी के बारे में कुछ बताएँ। नीरज कुमार ने बताया कि अस्थाना जी का जन्म हैदराबाद में ही हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा तेलुगू माध्यम से हुई। लेकिन बाद में आपने उर्दू और हिन्दी में भी महारत हासिल की। आपके पिता जी भी उस समय उर्दू के स्थापित शायरों में प्रथम पंक्ति के शायर रहे।

इस प्रकार अस्थाना जी को शायरी का उपयुक्त वातावरण मिलता रहा। बचपन से ही आप पिता के साथ मुशायरों में जाते रहे और जाने अनजाने आपके मन में शायरी पनपती रही। उम्र के साथ अस्थाना जी ने स्नातकी पास की और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत हुए। लेकिन शायरी लगातार साथ रही। बड़ी जल्दी ही आपने स्थानीय शायरों की दुनिया में अपनी अच्छी खासी पैठ बना ली।

साथ ही कहा कि कोई भी हुनर किसी गुरू के बगैर पनप नहीं सकता। अपनी नौकरी के सिलसिले में जब आपको महबूबनगर जाना पड़ा। वहाँ आपकी मुलाकात अली अहमद जलीली साहब से हो गई। उनके साथ बाकायदा शायरी सीखी और वो भी ऐसी कि किसी नुक्ते की भी गलती नहीं छोड़ते थे। आपकी शायरी परवान चढ़ती गई। और राष्ट्रीय स्तर ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आपकी तारीफ होने लगी।

आपकी शायरी का पाठ रेडियो और दूरदर्शन पर भी हुआ। विश्व भर में आपको ‘इनाम-ओ-इकराम’ से नवाजा गया। अमेरिका में एक समारोह में आपको Life Time Achievement Award से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपकी ग़ज़लों को कई प्रसिद्ध गायकों ने भी रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। आपकी अब तक तीन उर्दू और तीन हिन्दी ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

समिति की महामंत्री सुनीता लुल्ला ने बताया कि किस प्रकार उन्हें कई बार अस्थाना जी को रूबरू सुनने, समझने का अवसर मिला। जब वह समिति की गोष्ठियों में शामिल होते थे तब केवल शायरी नहीं बल्कि नये शायरों का मार्ग दर्शन भी करते रहे। एक बार मेरे जिज्ञासा करने पर आपने कत्तआ और रुबाई के अंतर को समझाया। उनका सहज सरल व्यक्तित्त्व निश्चित रूप से अनुकरणीय है। अस्वस्थ होते हुए भी आप आज समिति की गोष्ठी में आनलाइन जुड़े और अपनी ग़ज़ल सुनाई। साहित्य सेवा समिति आपका सदा ऋणी रहेगा।

इसके बाद प्रथम सत्र का समापन घोषित किया गया और द्वितीय सत्र का आरम्भ हुआ। इस सत्र में नगर द्वय के सभी उपस्थित कविगण ने कविता पाठ किया। काव्य पाठ करने वाले कवि हैं- अजय कुमार पांडेय, गीता अग्रवाल, वर्षा शर्मा, दर्शन सिंह, विनोद गिरि अनोखा, अभिजीत पाठक, शिल्पी भटनागर, आर्या झा, किरण सिंह, प्रदीप भट्ट, विनीता शर्मा, संतोष रज़ा गाजीपुरी, चंद्रप्रकाश दायमा, डाॅ राजीव सिंह, डाॅ अर्चना पांडेय, रेखा अग्रवाल, सुनीता लुल्ला और आज के विशेष अतिथि जगजीवन लाल अस्थाना ‘सहर’ जी। इस भव्य काव्य पाठ के बाद शिल्पी भटनागर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ एक अविस्मरणीय गोष्ठी का समापन हुआ। कुछ कवि, लेखक और साहित्यकार दर्शक के रूप में उपस्थिति दर्ज की।

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