हैदराबाद : कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में मदन देवी क़ीमती सभागार रामकोट में क्लब की 369वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन प्रो ऋषभदेव शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डॉ अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्षा) एवं मीना मुथा (कार्यकारी संयोजिका ने आगे बताया कि अवसर पर प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि प्रो शुभदा वांजपे, क्लब अध्यक्षा डॉ अहिल्या मिश्र, मूल लेखक कर्नल वी आर के प्रसाद, हिन्दी अनुसृजनकर्ता गुडला परमेश्वर और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ ऋषभदेव शर्मा मंचासीन हुए। मंचासीन अतिथियों के कर कमलों से दीप प्रज्वलन किया गया। तत्पश्चात् शुभ्रा महंतो ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
उपस्थित साहित्य सृजन कर्ताओं का स्वागत करते हुए डॉ अहिल्या मिश्र ने कहा कि संस्था धीरे धीरे तीसरे दशक की ओर बढ़ रही है। और निरंतर अपनी निरन्तरता बनाए रखते हुए हिन्दी साहित्य सेवा में सभी के साथ को पाकर आगे बढ़ रही है। प्रथम सत्र में हम “जीवन एक पाठशाला है” का विमोचन और वयोवृद्धा मदनकान्ता मिश्र के काव्य संग्रह “लहरें” का विमोचन कादंबिनी क्लब के मंच से करने जा रहे हैं। सभी को बहुत बहुत बधाइयाँ। साथ ही डॉ प्रसाद और व श्रीमती कनक दुर्गा प्रसाद द्वारा मंचासीन अतिथियों का शॉल द्वारा सम्मान किया गया।
शिल्पी भटनागर ने डॉ प्रसाद की अंग्रेजी पुस्तक जिसका जी परमेश्वर ने हिन्दी में अनुसृजन किया है “जीवन एक पाठशाला है” का परिचय देते हुए कहा कि इस निबंध संग्रह में जीवन के विभिन्न पड़ावों का चित्रण करते हुए 60 वर्ष की आयु के बाद का भी जीवन वर्णित किया गया है। प्रसाद जी ने अपने जीवन के अनुभवों का निचोड़ ही इस पुस्तक में दे दिया है। मूलभाव को पाठक तक पहुंचाना अनुवादक की कसौटी है जहां परमेश्वर जी सफल हुए हैं।
डॉ संगीता शर्मा ने डॉ वी आर के प्रसाद का और भगवती अग्रवाल ने गुडला परमेश्वर का परिचय दिया। तत्पश्चात करतल ध्वनि के साथ “जीवन एक पाठशाला है” का विमोचन सम्पन्न हुआ। क्लब की ओर से डॉ प्रसाद एवं जी परमेश्वर का सम्मान किया गया।
अनुसृजनकर्ता जी परमेश्वर ने कहा कि अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद का कार्य प्रथम बार ही किया है। लेखक अपने अनुभवों का निचोड़ हमारे सामने रखते हैं। मुझे अनुवाद कि दृष्ठि से पुस्तक अच्छी लगी और लगातार एक वर्ष की अवधि के बाद यह कृति सामने आ पाई है।
डॉ प्रसाद ने कहा कि मेरा विद्यार्थियों के साथ करीबी संबंध रहा है। अध्ययन बहुत बड़ा क्षेत्र है। हर आदमी जीवन पर्यंत कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। आशा है पाठक वर्ग में इस अनुकृति का स्वागत होगा।
प्रो शुभदा वांजपे ने अपने वक्तव्य में कहा कि 156 पृष्ठों की यह किताब निश्चित ही युवा वर्ग के लिए उपयोगी है। इसमें जीवन के विभिन्न खंडों का वर्णन है। व्यक्तीत्व विकास की प्रक्रिया, शिक्षा प्राप्ति में आध्यात्मिकता का वर्णन के साथ पुराणों एवं विवाह आदि संस्कारों का भी परिचय दिया गया है। बाल्यावस्था से वाणप्रस्थाश्रम तक अपने कर्तव्यों के निर्वाह की बात की गई है। लेखक और अनुवादक बधाई के पात्र हैं। अवसर पर 83 वर्षीय मदनकान्ता मिश्र का सम्मान क्लब की ओर से किया गया।
डॉ ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि लहरें में लोकगीतों का तत्व है। प्रायः पुस्तकें उपदेशप्रक बन जाती है। डॉ प्रसाद की यह पुस्तक संदेशपरक है। पुस्तक संप्रेशणीय है और सीधे पाठक के मन मस्तिष्क तक पहुँचती है। कुछ काव्य अंशों का पाठ भी उन्होंने किया।
इस अवसर पर डॉ संगीता शर्मा, भगवती अग्रवाल, शिल्पी भटनागर, मोहिनी गुप्ता, शुभ्रा मोहंतों, मीन मुथा को डॉ प्रसाद की ओर से सम्मानित किया गया। क्लब सदस्य संतोष रजा के निधन पर क्लब की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
डॉ अहिल्या मिश्र को नई दिल्ली के कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति में गैर सरकारी सदस्य के रूप में मनोनीत होने पर क्लब की ओर से बधाई दी गई। प्रथम सत्र का सफल संचालन मोहिनी गुप्ता ने किया और आभार देवा प्रसाद मायला प्रदर्शित किया।
दूसरे सत्र में पुरुषोत्तम कड़ेल, श्रुतिकान्त भारती, प्रदीप देवीशरण भट्ट और अजय कुमार पांडे मंचासीन हुए। डॉ मिश्र ने कविगोष्ठी सत्र की अध्यक्षता की। वेदिका गुप्ता, मोहिनी गुप्ता, शिल्पी भटनागर, पुष्पा वर्मा, ममता जायसवाल, शिवकुमार तिवारी कोहीर, सीताराम माने, संध्या विरमानी, विभा भारती, भावना पुरोहित, चंद्रलेखा कोठारी, मदन कांता मिश्र, प्रवीण प्रणव, देवा प्रसाद मायला, पुरुषोत्तम कड़ेल, श्रुतिकान्त भारती, प्रदीप भट्ट, अजयकुमार पांडे, भगवती अग्रवाल, डॉ संगीता शर्मा, सुनीता लुल्ला, मीना मुथा ने काव्य पाठ किया।
डॉ मिश्र ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि sअध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि सभी ने विभिन्न रसों की रचनायें पढ़ी और बहुत ख़ुशी हुई है कि सभी कुछ न कुछ लेखन में व्यस्त हैं। जी साई कुमार, संजय मिश्रा, दयानंद अग्रवाल, रघुकुमार, जी श्रीलता, कनकदुर्गा प्रसाद की उपस्थिति रही। अल्पाहार की व्यवस्था डॉ प्रसाद व भावना मयूर पुरोहित की ओर से रखी गई थी। सत्र का संचालन मीना मुथा ने किया और आभार संगोष्ठी संयोजक प्रवीण प्रणव ने दिया।