युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच दिल्ली: अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव एवं सम्मान समारोह संपन्न

हैदराबाद : युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (दिल्ली) द्वारा आयोजित सप्तम अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव एवं सम्मान समारोह-2020 ऑनलाइन सम्पन्न हुआ। डॉ रमा द्विवेदी (अध्यक्ष युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना शाखा) ने विज्ञप्ति में बताया कि ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ख्यातिप्राप्त साहित्यकार रामदेव धुरंधर (मॉरीशस) ने की।

मुख्य अतिथि व्यंग्य की श्रेष्ठ पत्रिका `अट्टहास’ के प्रमुख संपादक एवं प्रख्यात साहित्यकार अनूप श्रीवास्तव (लखनऊ) रहे हैं। देश के प्रख्यात व्यंग्यकार एवं कथा/उपन्यासकार सुभाष चंदर (गाजियाबाद) प्रमुख अतिथि रहे। विदुषी साहित्यकार डॉ आभा सिंह हिन्दी विभाग प्रमुख (वीएमवी कॉलेज नागपुर) ने अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में मंच की गरिमा बढ़ाई।
मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय, महासचिव ओम प्रकाश शुक्ल मंच के संरक्षक और समस्त राज्यों के पदाधिकारी एवं सदस्य गण भी इस अवसर पर उपस्थित हुए।

प्रगति की रिपोर्ट

कार्यक्रम का शुभारंभ सुश्री मंजु वशिष्ठ के सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात अतिथियों का परिचय एवं स्वागत भाषण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने दिया तथा राष्ट्रीय महासचिव ओमप्रकाश शुक्ल ने साल- 2020 की वार्षिक प्रगति की रिपोर्ट पेश किया| जिसका अनुमोदन सदन ने करतल ध्वनि से किया।

पुस्तकों का लोकार्पण

इस अवसर पर पाँच पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। इनमें जीतेंद्र निर्मोही की सफर-दर-सफर' (संस्मरण ), मार्कन्डेय शारदेय कीरामकहानी’, विश्वामित्र दाधीच की मंच का मिजाज', डॉ संजीव चौधरी कीछंद विधान’ और कमलेश शुक्ल की `गहरा सागर-ऊँची लहरें’ गीत संग्रह शामिल हैं।

सम्मान समारोह

तत्पश्चात हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अखिल भारतीय स्तर का सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। जिसमें देश-विदेश के अनेक हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकारों को उनकी उत्कृष्ट हिन्दी साहित्य सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया गया। इनमें भारतेन्दु हरिश्चंद्र शीर्षस्थ सम्मान- श्रीयुत जितेंद्र निर्मोही (कोटा राजस्थान), महादेवी वर्मा शीर्षस्थ सम्मान (महिला वर्ग) डॉ पुष्पा जोशी (नोएडा उत्तर प्रदेश), अमीर खुसरो शीर्षस्थ सम्मान (युवा वर्ग) श्रीयुत भाऊराव महंत (बालाघाट मध्य प्रदेश), त्रिभवन कौल स्मृति सम्मान श्री अवधेश कुमार सिन्हा, (नोएडा, उत्तर प्रदेश) मुंशी प्रेमचंद कथा सम्मान श्रीयुत आलोक यात्री, (गाजियाबाद उत्तर प्रदेश) हरिशंकर परसाई व्यंग्यकार सम्मान श्रीयुत बुलाकी शर्मा, (राजस्थान), गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता सम्मान श्रीयुत राजीव उपाध्याय (सहारनपुर उत्त प्रदेश) पुरस्कार राशि 2100 रूपये, विष्णु पराडकर गैर हिन्दी साहित्यकार सम्मान श्रीमती दीपा कृष्णदीप (हैदराबाद तेलंगाना), श्रीमती कमलेश प्रशांत स्मृति सम्मान श्रीयुत राजेश कुमार सिंह (लखनऊ उत्तर प्रदेश) शामिल हैं।

अध्यक्षीय वक्तव्य

मॉरीशस के मूर्धन्य साहित्यकार रामदेव धुरंधर ने इस सम्मेलन में अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मॉरीशस और भारत का संबंध अनेक संदर्भों में बहुत गहरा है और वे सिर्फ हिन्दी के संदर्भ में बात करेंगे। दो सौ वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज रामचरित मानस और हनुमान चालीसा लेकर आए थे। आर्य समाज के प्रचार-प्रसार के समय सत्यार्थ प्रकाश मॉरीशस में आये। रामचरित मानस और हनुमान चालीसा के साथ-साथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ ने मॉरीशस में हिन्दी के विकास के लिए बहुत काम किया है। लेकिन लोक कृतियाँ मॉरीशस में साहित्य सृजन की भरपाई नही कर पाई। तभी मॉरीशस में हिन्दी प्रचारिणी सभा की नींव पड़ी। उन्हें भी हिन्दी प्रचारिणी सभा से हिन्दी सीखने का अवसर मिला। आधुनिक काल में राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की कवि-कृति ‘भारत भारती’ का हिन्दी के विकास में बड़ा महत्व है। मॉरीशस के एक व्यक्ति ‘भारत भारती’ पढ़कर ही कवि बन गए उनका नाम है- मधुकर भगत। मॉरीशस में वहीं से कविता लेखन की नींव पड़ी। कवि नागार्जुन के महत्व को रेखांकित करते हुये उन्होने अफसोस जाहिर किया कि यदि उनके देश में नागार्जुन की कवितायेँ पढ़ने को मिलती तो मॉरीशस की कविता कुछ और धारदार होती। प्रेमचंद को पढ़कर मॉरीशस में गद्य साहित्य का सृजन आरंभ हुआ। उन्होंने यह स्वीकार किया कि लेखक के रूप में वे प्रेमचंद की उपज है।

हिन्दी का दमदार वटवृक्ष

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय के इस मंच के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि पचास वर्ष पूर्व मॉरीशस के साहित्यकार सोमदत्त बखौरी ने भी ऐसा ही अभियान चलाया था। सोमदत्त बखौरी ने 18 परिषदों की स्थापना की। वे साहित्य के लिए झोली लेकर निकल पड़े थे। वो जगह-जगह जाकर युवा साहित्यकारों से दो बातें पूछते थे कि मैंने क्या लिखा और मैंने क्या पढ़ा है। यही दो बातें लेखन की प्राण है। उस समय अभिमन्यु अनत हिन्दी में लिख रहे थे और वे हिन्दी लेखन में प्रवृत्त हो रहे थे। मॉरीशस में हिन्दी के पांच स्तम्भ हैं- दानिश्वर श्याम, अभिमन्यु अनत, वेणी माधव रामखेलावन, पूजानन्द नेमा, इंद्रानन्द भोला और रामदेव धुरंधर। इन्हीं लोगों ने वहां हिन्दी साहित्य के निर्माण को दिशा दी है। डॉ कर्ण सिंह के नेतृत्व में द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन सन 1976 के आयोजन को मील का पत्थर बताते हुये कहा कि तभी से मॉरीशस में हिन्दी का दमदार वटवृक्ष लगा।

हिन्दी साहित्य में क्रांति

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के हिन्दी साहित्य में अद्वितीय योगदान को याद करते हुये कहा कि वे इस सम्मेलन में वहां आये थे। उनके बोलने से पहले खड़े होकर स्वयं डॉ कर्ण सिंह ने उनके चरण स्पर्श किये। रामदेव धुरंधर ने भी वहीं उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया था। यशपाल के उपन्यास- झूठा सच को महत्वपूर्व उपन्यास बताते हुए कहा कि इसने ही यहां हिन्दी साहित्य में क्रांति का बीज बोया। मॉरीशस में हिन्दी बहुत गरीब है और धनी होना चाहती है। यहां इसकी अनेक संभावनाएं है। हमें उनका लाभ उठाना है। कहकर उन्होने मंच द्वारा इस सम्मेलन में अध्यक्ष का सम्मान प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अनूप श्रीवास्तव, प्रमुख अतिथि सुभाष चंदर और डॉ आभा सिंह ने भी विचार व्यक्त किये।

काव्यगोष्ठी का आयोजन और धन्यवाद ज्ञापन

इस कार्यक्रम में कोलकाता से सुधा मिश्रा, हैदराबाद से डॉ रमा द्विवेदी, अहमदाबाद से डॉ प्रणव भारती, वसुधा कनुप्रिया, कमलेश शुक्ल, कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, डॉ पवन विजय, डॉ रामकुमार चतुर्वेदी, अवधेश सिन्हा, दीपा कृष्णदीप, विवेक बादल, ओमप्रकाश शुक्ल, रतन राठौर और डॉ संजीव चौधरी (जयपुर ), विजय प्रशांत, ओम प्रकाश प्रजापति, मंजु वशिष्ठ, प्रमिला पांडे, रेखा जोशी, वंदना गोयल आदि ने उत्कृष्ट काव्यपाठ करके समां बांध दिया। महासचिव ओमप्रकाश शुक्ल के धन्यवाद ज्ञापन से आयोजन समाप्त हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X