हैदराबाद: डॉ बीआर अंबेडकर ओपन युनिवर्सिटी में विश्व महिला दिवस कार्यक्रम मनाया गया। विश्वविद्यालय की महिला विकास और विस्तार केंद्र की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में तेलंगाना महिला आयोग चेयरपर्सन श्रीमती वी सुनीता लक्ष्मा रेड्डी ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने “महिला शक्ति” विषय पर सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस समय समाज में सम्मानजनक भूमिका निभानी वाली आदर्श महिलाओं को फिल्म और धारावाहिकों में नीचा और खलनायक के रूप में दिखाया जा रहा है। इसके कारण महिलाओं की आत्मविश्वास को ठेस पहुंचने का खतरा उत्पन्न हो रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस पद्धति पर जल्द ही अंकुश लगाया नहीं गया तो महिला आयोग महिलाओं को नीचा और खलनायक के रूप में दिखाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में नहीं हिचकिचाएगी। जहां महिलाओं का सम्मान होता है, वहां भगवान वास करते हैं। महिलाएं अपनी खुशी और आजादी को बाजू में रखकर परिवार की जरूरतों को पूरा करती है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को बिना लिंगभेद के समान रूप से पालन-पोषण करने की जरूरत है। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि कम उम्र से ही बच्चों में पारिवारिक परंपराओं और मूल्यों के साथ जीवन जीने की सीख दें।
उन्होंने याद दिलाया कि महिलाओं को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि इन दिनों ऑनलाइन में महिलाओं के साथ उत्पीड़न घटनाओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने अंबेडकर विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें उच्च शिक्षित बनाने के लिए किए जा रहे प्रयास प्रशंसनीय है। परिवार और आसपास के लोगों की ओर से बोली जाने वाली भाषा से महिलाओं की आजादी को ठेस पहुंचाई जा रही है। फिर भी वे उसका डटकर मुकाबला कर रहे है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के सीतारामा राव ने कहा कि इस दुनिया में महिला से बढ़कर कोई महाशक्ति नहीं है। कि नारी के बिना सृष्टि की रचना नहीं है। महिला सशक्तिकरण, उन्नति और भेदभाव के उन्मूलन पर विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम मौजूद है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के संकाय निदेशक प्रो ई सुधारानी और कुलसचिव डॉ जी लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि वित्तीय समस्याओं के कारण पढ़ाई छोड़ चुके लाखों गृहिणियों को विश्वविद्यालय शिक्षित कर रही है।
विश्वविद्यालय महिला विकास केंद्र प्रभारी डॉ एन रजनी ने कार्यक्रम प्रबंधन, विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की महिला कर्मचारी, निदेशक, डीन, विभाग प्रमुख और विभिन्न विभागों के संघ नेताओं ने भाग लिया।