विश्व भाषा अकादमी की बड़ी पहल, सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में हिन्दी भाषा के प्रयोग’ पर की चर्चा

हैदराबाद (सरिता सुराणाकी रिपोर्ट) : विश्व भाषा अकादमी, भारत की तेलंगाना इकाई द्वारा गत दिनों हिन्दी पखवाड़ा के अन्तर्गत एक परिचर्चा गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इसका विषय था- ‘सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में हिन्दी भाषा का प्रयोग’। चेन्नई निवासी जाने-माने शिक्षाविद और सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापक बीएल आच्छा जी ने इस परिचर्चा गोष्ठी की अध्यक्षता की। इकाई अध्यक्ष सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सदस्यों का हार्दिक स्वागत किया और अकादमी के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। ज्योति नारायण की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी भाषा को राजभाषा घोषित किया गया

तत्पश्चात् प्रदत्त विषय के बारे में प्रारम्भिक जानकारी देते हुए संयोजिका ने कहा कि संविधान निर्माताओं के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि आजादी के बाद राजकाज की भाषा किसे बनाया जाए? बहुत सोच-विचार कर अंग्रेजी और हिन्दी दोनों ही भाषाओं को राजकीय कार्यों की भाषा बनाया गया। 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी भाषा को राजभाषा घोषित किया गया और अगले 15 वर्षों तक अंग्रेजी को भी साथ में रखा गया। लेकिन 15 वर्षों के बाद भी सरकारी कार्यालयों में कामकाज में हिन्दी का प्रयोग नहीं के बराबर था। तब सन् 1963 में राजभाषा अधिनियम लागू किया गया।

समस्त कार्य अंग्रेजी भाषा में ही होते

इस अधिनियम की धारा 3(3) में यह निर्दिष्ट किया गया कि सर्वसाधारण को लक्ष्य करके तैयार किए जाने वाले सभी सरकारी दस्तावेज, ज्ञापन, सूचना, परिपत्र, अधिसूचना, विज्ञापन, संविदा, निविदा, अनुज्ञप्ति और संसद के दोनों सदनों में पेश किए जाने वाले प्रशासनिक और अन्य प्रतिवेदन अंग्रेजी के साथ-साथ अनिवार्य रूप से हिन्दी भाषा में भी जारी किए जाएं और ऐसा न होने पर इन दस्तावेजों पर अन्तिम रूप से हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके बावजूद सरकारी कार्यालयों में आज भी समस्त कार्य अंग्रेजी भाषा में ही होते हैं। राजभाषा अधिकारी द्वारा उनका हिन्दी अनुवाद उपलब्ध करवाया जाता है।

हिन्दी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया

कटक (उड़ीसा) से विशेष आमंत्रित वक्ता के रूप में गोष्ठी में सम्मिलित होने वाली शिक्षिका और कवयित्री श्रीमती रिमझिम झा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हिन्दी भाषा सभी भाषाओं को समाहित करने वाली है। इसकी पाचन शक्ति अच्छी है। दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया है। अंग्रेजी भाषी लोगों की सभा में जब वे हिन्दी भाषा में अपनी बात कहती हैं तो अनायास सबकी निगाहें उन पर टिक जाती हैं। लेकिन वे अपनी बात कहना जारी रखती हैं।

समस्त कार्य हिन्दी भाषा में करते

विशेष आमंत्रित वक्ता भारतीय रेलवे में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी और कवि अजय पाण्डे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजनीति में लोग सिर्फ बोलते हैं, करते कुछ नहीं हैं। वे अपना समस्त कार्य हिन्दी भाषा में करते हैं। उन्हें अंग्रेजी भाषा का भी अच्छा ज्ञान है। उन्हें हिन्दी भाषा में काम करने पर गर्व महसूस होता है। हमारे देश में हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान की बात करने वाले को तुरन्त साम्प्रदायिक करार दे दिया जाता है। जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक हिन्दी को वह सम्मान नहीं मिलेगा, जो उसे मिलना चाहिए।

शिक्षा जगत में व्यापक सुधार की आवश्यकता

गोष्ठी में आमंत्रित विशेष वक्ता गुरुग्राम इकाई की अध्यक्ष डॉ बीना राघव ने कहा कि हमारे समक्ष ज्वलन्त प्रश्न यह है कि हिन्दी भाषा का प्रयोग कितना किया जा रहा है? हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए इसका बीज वपन हमें घर और विद्यालयों से करना होगा। इस दृष्टि से शिक्षा जगत में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने विष्णु शर्मा के पंचतंत्र की कहानियों का उदाहरण देते हुए अपनी भाषा का महत्व और उपयोगिता बताई। साथ ही कहा कि हमें अपने स्तर पर और अधिक प्रयास करने होंगे।

हिन्दी भाषा के विकास को लेकर चिन्तित होने की जरूरत नहीं

खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार में सुपरिटेंडेंट और कवि श्री प्रदीप देवीशरण भट्ट ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें हिन्दी भाषा के विकास को लेकर चिन्तित होने की जरूरत नहीं है। सन् 2040 तक हिन्दी लिंग्वा-फ्रैंका भाषा बनने वाली है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें सिर्फ सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए अपितु अपने ढंग से प्रयास करने चाहिए। तुर्की का उदाहरण देते हुए उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट किया।

हिन्दी भाषा हमारे मन, प्राण और आत्मा की भाषा है

साधु वासवानी हाई स्कूल, हैदराबाद की पूर्व प्राचार्या और हिन्दी साहित्य साधिका श्रीमती सुनीता लुल्ला ने अपने सम्बोधन में कहा कि हिन्दी भाषा हमारे मन, प्राण और आत्मा की भाषा है। हमें अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होने पर ही वे मनोविज्ञान और दर्शन शास्त्र की अच्छी पुस्तकों का अध्ययन कर पाईं। हमें सरकार पर निर्भर न रहकर अपनी तरफ से प्रयास करने चाहिए।

हम हिन्दी भाषी हैं

ज्योति नारायण ने कहा कि हमें खुद पर गर्व करना चाहिए कि हम हिन्दी भाषी हैं। उन्होंने अपने पतिदेव का उदाहरण देते हुए कहा कि किस प्रकार दक्षिण भारत में स्थानीय भाषा का ज्ञान न होने पर भी उन्होंने हिन्दी भाषा के माध्यम से अपनी डूबती हुई कम्पनी को फिर से शिखर पर पहुंचाया। अगर इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो भाषा उसमें कभी बाधक नहीं बन सकती।

देश में 22 भाषाओं को संविधान में मान्यता प्राप्त है

गुजराती भाषी लेखिका भावना पुरोहित ने कहा कि उन्हें हिन्दी में कविताएं लिखना अच्छा लगता है। हिन्दी भाषा का अच्छा विकास हो रहा है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में बीएल आच्छा ने कहा कि यूरोप में लगभग 17 भाषाएं बोली जाती हैं। जबकि हमारे देश में 22 भाषाओं को संविधान में मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा भी बहुत-सी बोलियां बोली जाती हैं। सर विलियम जोन्स ने माना कि फ्रैंच, लैटिन, संस्कृत और फारसी भाषाएं एक ही परिवार की हैं।

ज्योति नारायण का धन्यवाद ज्ञापन

कीथ ने कालिदास कृत ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ की प्रशंसा की। डॉ रघुवीर ने संस्कृत भाषा का एक लाख शब्दों का शब्दकोष बनाया। आज 151 विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है। अंग्रेजी भाषा जरूर सीखें, किसी भी भाषा के प्रति पूर्वाग्रह न रखें। पहली भाषा प्यार की भाषा है। हिन्दी प्रेम, सामंजस्य और सहकार की भाषा है। हिन्दी को सृजन और गीतों की भाषा बनाइए। उसे पूजा से निकाल कर व्यावहारिक भाषा बनाइए, उसे बाजार से जोड़िए, फिर देखिए कि कैसे वह अपना रास्ता खुद बनाती है। अन्त में ज्योति नारायण के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।

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