आज मानवता फिर शर्मसार हुई।
नारी फिर सरेआम नीलाम हुई।।
क्यों? क्यों स्त्री को ही हमेशा भुगतना पड़ता है? सदियों से क्यों स्त्री ही लांछित होती आई है और आज भी हो रही है? स्त्री ने कभी कोई युद्ध शुरू नहीं किया। पर इतिहास साक्षी है युद्ध से स्त्री ही सबसे अधिक प्रभावित हुई है। महाभारत में भरी सभा में द्रोपदी का चिरहरण हुआ था। आज भरे समाज में मणिपुर में दो स्त्रियों को निर्वस्त्र करने की घटना सामने आई है। स्त्री किसी भी समुदाय की होने से पहले एक स्त्री है। किसी भी स्त्री के साथ किया गया अपमान स्त्री जाति का अपमान है। स्त्री पर किया गया अत्याचार, स्त्री जाति पर अत्याचार है। मणिपुर में जो हुआ और जैसा हुआ वह नींदनीय है। सम्पूर्ण मानवता के लिए कलंक है।
3 मई, 2023 से भड़की साम्प्रदायिक हिंसा या अघोषित युद्ध तीन महीने होने को है। इस संघर्ष में मानवता बार-बार तार–तार हुई है। बदमाश पुरुषों के समूह द्वारा दो स्त्रियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हुए दिल दहला देने वाला एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो ने मन पर जो प्रभाव डाला है, उसे बयाँ करने के लिए शब्द नहीं है। इसे देख आज पूरा देश दुःखी है। इस अपराध में शामिल सभी अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। किसी को भी बक्शा नहीं जाना चाहिए। इन लोगों के लिए मौत की सजा भी बहुत कम है।
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अभी एक वीडियो सामने आया है। कितनी ही घटनाएँ अभी अंधेरे में हैं, उन घटनाओं का सामने आना बाकी है। चुड़ाचाँदपुर जो इस हिंसा का एपिसेंटर है, यहाँ के पुलिस स्टेशन में इस हिंसा से संबंधित एक हजार से भी अधिक केस दर्ज हुए हैं। विष्णुपुर जिले के कुम्बी क्षेत्र में एक मैतै लड़की और उसकी दादी के साथ किए गए अत्याचार की खबर स्थानीय अखबार में छपी थी। मोरे में एक उम्रदराज बुढ़िया को जिंदा जला दिया गया था। हाल ही में इम्फाल से विष्णुपुर गई हुई एक लड़की के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या की खबर आ रही है। लड़की अभी तक लापता है। सुनने में यह भी आया था कि 3 मई को चुड़ाचाँदपुर के जिला अस्पताल में कार्यरत महिला डॉक्टर तथा चुड़ाचाँदपुर मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों और कुछ स्टाफ को बंधक बनाकर उनके साथ बलात्कार किया गया । पहाड़ की तलहटी में बसे मैतै गाँवों की स्त्रियों के साथ दुष्कर्म किए जाने की बात भी फैली थी। इस तरह के दंगों में अफवाहें भी बहुत फैलती हैं, इसलिए इनकी जाँच भी जरूरी है। और अगर ये सारी बातें सच है तो अभी बहुत कुछ बाहर आना बाकी है।
वायरल वीडियो की घटना 4 मई की बताई जा रही है। करीब एक महीने बाद जून में इस केस को दर्ज किया गया। इस पर देश भर से प्रतिक्रिया के बाद चार लोग पकड़े जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने वीडियो की सत्यता की जाँच का आदेश दे दिया है। थोड़ी राहत की बात है कि प्रधानमंत्री यह कह चुके हैं कि इस निंदनीय अपराध में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। छोड़ा भी नहीं जाना चाहिए। लेकिन इस घटना के कारणों को भी खोजे जाने की जरूरत है। ऐसी घटना क्यों घटी? अगर स्थिति इतनी बिगड़ी है तो क्यों बिगड़ी है? मणिपुर पहले कभी ऐसा नहीं था। स्त्रियाँ यहाँ हमेशा से सुरक्षित और सशक्त रही हैं। अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में मणिपुर की स्त्रियाँ कभी पीछे नहीं रहीं। शक्तिशाली अग्रेजी साम्राज्य की अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ एक बार नहीं दो-दो बार स्त्रियाँ ही उठ खड़ी हुई थीं।
विश्व प्रसिद्ध स्त्री संघर्ष नुपी लान मणिपुर में ही घटी थी। विश्व भर में प्रसिद्ध नुपी कैथेल मणिपुरी समाज में स्त्रियों की सशक्त स्थिति का प्रमाण है। यहीं जब इस तरह की घटना सामने आती है,तो बहुत कष्ट होता है। पर दुःख मनाने भर से समस्या खत्म नहीं हो जाएगी। ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं तो उनकी उत्पत्ति के कारणों को समझना भी जरूरी है। देश में एक कानून व्यवस्था के होते हुए यदि आम लोगों पर अत्याचार होते हैं तो अत्याचारियों को बक्शा नहीं जाना चाहिए। उन्हें अहसास होना चाहिए कि कानून की दृष्टि में सब बराबर हैं। जो कानून तोड़ेगा,उसे सजा मिलेगी। इस संबंध में थोड़ी सी राहत का विषय यह है कि देर से ही सही हमारे परम आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सख्त से सख्त सजा देने की बात की है। उन दरिन्दों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए, कि कोई भी स्त्री की तरफ गलत नजर से देखने की हिम्मत तक न करें।
इसके साथ ही निर्दोषों पर गोली चलाने वालों को भी नहीं बक्शा जाना चाहिए। कुकी मिलेटेन्स सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के नियम तोड़कर हाथ में बन्दूक लिए जो आतंकवादियों की तरह काम कर रहे हैं, उनको भी सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए। मणिपुर के राज्यपाल अनुसुइया उइके जी म्यांमार से लोगों के आने और कुकी मिलेटेन्स के साथ मिलकर आम लोगों पर आक्रमण करने की बात कह चुकी हैं। उन्होंने यह विचार भी व्यक्त किया है कि स्याँमार से आने वालों को काबू में नहीं किया जाएगा तब तक शांति नहीं आएगी। और चुड़ाचाँदपुर जिले के एस.पी द्वारा चान्देल जिले के एस.पी. को भेजी गई सूची में चुड़ाचाँदपुर अस्पताल में किए जा रहे इलाज में दस से भी अधिक म्याँमारी लोगों के होने की बात की पुष्टि हो चुकी है।
चीफ सेक्रेटरी विनीत जोशी ने असम राइफल्स से पूछ चुके हैं कि असम राइफल्स के तैनात होते हुए इतनी संख्या में म्याँमार से लोग गैरकानूनी ढ़ंग से मणिपुर में कैसे प्रवेश कर रहे हैं? उन विदेशी लोगों पर भी सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्हें भी कानून के अनुसार दण्डित किया जाना चाहिए। मोदी जी बोले हैं तो हमें आशा जगी है कि समस्या की उत्पत्ति के कारणों की जाँच होगी और सभी अपराधियों को सख्त से सख्त सजा सुनाई जाएगी और मणिपुर फिर से खुशहाली की ओर बढ़ेगा। यहाँ यह कहने से बच नहीं पायी कि अगर मणिपुर में हो रहे नरमेध के अपराधियों को पहले ही दिन सख्त से सख्त सजा दी जाती, तो यह नौबत ही क्यों आती!
Dr Elangbam Vijay Lakshmi (9856138333)
Associate Professor
Department of Hindi
Manipur University