हैदराबाद: ‘यासंगी’ मौसम के धान को केंद्र सरकार ही खरीदने की मांग को लेकर धरना चौक (इंदिरा पार्क) के पास सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक किया गया टीआरएस का महाधरना समाप्त हुआ। महाधरना में टीआरएस के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री केसीआर के अलावा मंत्री, सांसद, विधायक, एमएलसी और अन्य नेताओं ने भाग लिया। इसके बाद एक प्रतिनिधि मंडल राजभवन गये और राज्यपाल को किसानों की समस्याओं की मांगों का एक ज्ञापन सौंपा।
तेलंगाना संघर्ष और क्रांतियों की धरती है
अवसर पर केसीआर ने कहा, “हमने बड़ा संघर्ष करके तेलंगाना हासिल किया। इस संदर्भ में आज तेलंगाना के किसानों की फसल खरीदने और किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह युद्ध शुरू किया है। हैदराबाद शहर से शुरू हुआ यह आंदोलन यहीं पर नहीं रुकेगा। जरूरत पड़ने पर दिल्ली तक आंदोलन को लेकर जाएंगे। हम कहीं पर भी जाने को तैयार है। हर हाल में लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी। तेलंगाना संघर्ष की भूमि है। क्रांतियों की धरती है। अपनी रक्षा कैसी करनी है, अच्छी तरह से जानते हैं। प्राचीन शासकों के जहरीले आलिंगन से निकलकर तेलंगाना के लोग मुक्त हवा में सांस लेकर अद्भुत तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार के फैसले किसानों के लिए अभिशाप बनते जा रहे हैं। हम उनका सामना करने और केंद्र की आंखें खोलने के लिए लड़ाई को शुरू किया हैं।”
मोदी ने ऐसी स्थिति उत्पन्न की है
मुख्यमंत्री केसीआर ने आगे कहा, “इस देश को चलाने वाले नेता अनेक मौकों पर बेकार तर्क दिये हैं। हाल ही में निर्वाचन क्षेत्रों में किये गये धरना कार्यक्रमों में मंत्री और विधायक बैठे हैं। इस बार भी सवाल किया गया कि क्या सरकार धरने पर बैठ सकती है? 2006 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने में 51 घंटे तक धरने पर बैठे थे। पीएम बनने के बाद मोदी ने ही देश में धरना आंदोलन की थिति उत्पन्न की है। मोदी की नीतियों के कारण मुख्यमंत्री और मंत्रियों को धरने पर बैठना पड़ रहा है। केंद्र सरकार समस्याओं का समाधान किया तो धरने की नौबत नहीं पड़ेगी। यह संघर्ष भविष्य में भी जारी रहेगा।”
महाधरना आरंभ मात्र है
मुख्यमंत्री केसीआर ने महाधरना को संबोधित करते हुए आगे कहा कि महाधरना आरंभ मात्र है। भविष्य में किसानों की समस्याओं को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से मांग की कि धान फसल खरीदी को लेकर अपनी राय स्पष्ट करें। यह लड़ाई एक दिन में खत्म होने वाली नहीं है। यह आरंभ मात्र है। धान खरीदी को लेकर केंद्र सरकार दोहरी नीति अपना रही है।
इसीलिए महाधरना करना पड़ रहा है। किसानों के प्रति केंद्र सरकार का रवैया गलत है। मोदी सरकार किसान विरोधी कानून लेकर आई है। हम किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली में जारी किसानों की आंदोलन से प्रेरणा लेकर तेलंगाना में भी बड़े पैमाने पर आंदोलन किये जाने की आवश्यकता है। केंद्र की नीति किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले है। केंद्र सरकार जब तक किसानों की समस्याओं का हल नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
केसीआर ने कहा, “केवल एक बात… देश में यह क्या हो रहा है? यह कैसी गड़बड़ी है? यह हंगामा क्या है? हमारा स्पष्ट एक सवाल है। क्या आप तेलंगाना के किसानों की धान खरीदते हैं या नहीं? क्या हमने मराठी में पूछे हैं? या उर्दू में पूछे हैं? क्या अस्पष्ट भाषा में पूछा है? बीजेपी के नेता भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे हैं। यह परेशानी एक तेलंगाना की नहीं है। पूरे देश की है। दिल्ली की सीमा पर हजारों किसान एक साल से अधिक समय से भूख हड़ताल कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इन किसानों में फसल पैदावर की शक्ति नहीं है। केंद्र द्वारा लाये गये काले कानूनों के कारण समस्याएं उत्पन्न हो गई है। इसीलिए किसान केंद्र के कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसान समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार अपनी नीतियों में बदलाव किये बिना ही जो मन आये वो बोलते जा रही है। इस देश को चलाने में सभी दलों की सरकारें पुरी तरह सेे विफल रही हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “आप फसल खरीदने से डर रहे हैं। आपको किसानों की अच्छी फसल देखकर तकलीफ हो रही हैं। जो मन में आया वो बोलते जा रहे हैं। ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ में भारत 101 वें स्थान पर है। इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है? देश में 12 करोड़ किसान हैं। 40 करोड़ एकड़ कृषि भूमि है। अद्भुत नदिया हैं। सुनहरी फसल उगाने के अवसर हैं। देश के आधे लोग कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं। हमने संघर्ष करके तेलंगाना हासिल किया। तालाबों की मरम्मत की। चेक डैम बनाये। बिजली देकर किसानों की दुखों को दूर किया है। हमने फसल पैदा की है। अब फसल (अनाज) को खरीदने की जिम्मेदारी केंद्र की है। लेकिन केंद्र सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है। आज किसानों को बचाने की जरूरत है। हंगर इंडेक्स में भारत भूखा देश लगता है। यदि देश के किसी भी कोने में अनाज की कमी है तो समन्वित करने की आवश्यकता है। यदि आवश्यकता पड़े तो पैसा खर्च करके लोगों को अनाज उपलब्ध कराया जाना चाहिए। समस्याओं की जड़ तो केंद्र सरकार है। केंद्र सरकार के खिलाफ युद्ध आरंभ हुआ है।”
केसीआ ने कहा, ” उत्तर भारत के किसान केंद्र का विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार किसानों का जिंदगी से खेल रही हैं। किसानों को कारों से रौंद कर हत्या कर रही है। भाजपा नेता आज तेलंगाना के किसानों पर आंख लाल किये हैं। धान खरीदी केंद्रों में कहर बरपा रहा है। क्या आप किसानों को जीने देते है या नहीं? केंद्र सरकार की विकृत नीतियों के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है। भाजपा नेता कह रहे हैं कि धान की पैदावर करें। हम खरीदने के लिए दबाव डालेंगे। देश पर राज करने वाली बीजेपी झूठ बोल रही है। फेसबुक और व्हाट्सएप पर बिना तर्क के बयान प्रकाशित किये जा रहे हैं।”
शक्ति प्रदर्शन नहीं है महाधरना : टीआरएस
टीआरएस नेताओं ने महाधरना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन किया जा रहा है। महाधरना का मतलब शक्ति प्रदर्श नहीं है। नेताओं ने कहा, “टीआरएस चाहे सत्ता में रहे या विपक्ष में रहे हमेशा लोगों के साथ रहेगी। 2014 में खम्मम के सात मंडलों को आंध्र प्रदेश में मिला दिया गया था, तब भी हमने तेलंगाना बंद किया था। उसी तरह अब किसानों के लिए महाधरना कर रहे हैं।
नेताओं ने कहा कि केंद्र में सत्ता में रही सभी सरकारों ने धान खरीदा था। मगर अब केंद्र की मोदी सरकार उस जिम्मेदारियों से भाग रही है।” इस दौरान नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की कि पंजाब की तरह तेलंगाना में भी अनाज की खरीदी की जाये।