हैदराबाद: पिछले साल में दुनिया भर में कोविड-19 (Covid-19) ने काफी तबाही मचाई। ओमिक्रॉन (Omicron) की वजह से कई लोगों की जान गई। इस साल कोरोना के मामलों में काफी इजाफा हुआ। ओमिक्रॉन और संक्रामक स्ट्रेन ने एक बड़ी आबादी पर असर डाला। ओमिक्रॉन लगातार म्यूटेट हो रहा है। इसके नए स्ट्रेन सामने आ रहे हैं। यह हमारी इम्यूनिटी का खासा असर डाल सकते हैं।
इसे देखते हुए वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि फिलहाल कोरोना का खतरा कम नहीं हुआ है। मिनेसोटा विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिजीज रिसर्च एंड पॉलिसी के एक महामारी विज्ञानी और निदेशक माइकल ओस्टरहोम ने मीडिया से कहा कि चुनौती यह है कि हम अभी तक इस वायरस को पूरी तरह समझ नहीं पाये हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हाल के सप्ताहों में वैश्विक कोविड-19 के स्तर में गिरावट आई है। मामलों में 11 फीसदी की कमी देखी गई है। मरने वालों में 18 फीसदी की गिरावट आई है। लेकिन कुछ परेशान करने वाले संकेत हैं कि संक्रमण की दर जल्द ही बढ़ सकती है। इंग्लैंड में अचानक कोरोना के मामलों में उछाल आया है। अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ी है।
डब्ल्यूएचओ ने आगे कहा कि ओमिक्रॉन सबवेरिएंट अब वैश्विक स्तर पर 99.9 फीसदी अनुक्रमित मामलों का जिम्मेदार है। बीए.5 के साथ 81 फीसदी, बीए.4 8.1 फीसदी, बीए.2.75 2.9 फीसदी, जबकि अन्य ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट 7.8 फीसदी मामलों का जिम्मेदार है। द लैंसेट में प्रकाशित एक नए कनाडाई अध्ययन ने टीकाकरण और पूर्व संक्रमण दोनों से सुरक्षा का विश्लेषण किया। जिसमें पाया गया कि लाइब्रिड इम्यूनिटी वाले लोग भविष्य में कोविड-19 संक्रमणों से बेहतर तरीके से लड़ सकते हैं। (एजेंसियां)