हैदराबाद : तेलंगाना कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और मल्काजगिरी सांसद रेवंत रेड्डी तथा तेलंगाना के श्रममंत्री मल्लारेड्डी के बीच बातों का युद्ध जारी है। इन नेताओं के गंभीर और निजी आरोप-प्रत्यारोप के चलते तेलंगाना में राजनीति का पारा काफी बढ़ गया है।
मुख्यमंत्री केसीआर के गोद लिये मुडुचिंतलपल्ली गांव के मंच से शुरू हुआ रेवंत रेड्डी और मल्लारेड्डी के आरोप-प्रत्यारोप से तेलंगाना की राजनिति में हड़कंप मच गया है। रेवंत रेड्डी ने मल्लारेड्डी को जोकर, ब्रोकर जैसे शब्दों से संबोधित किया तो मल्लारेड्डी ने भी रेवंत रेड्डी को ब्रोकर, ब्लाकमेलर जैसे शब्दों से पलटवार किया।
इन नेताओं के बयानबाजी से तेलंगाना की राजनीति गरमाती जा रही है। मल्लारेड्डी के समर्थकों ने रेवंत रेड्डी का पुतला जलाया है। उसी तरह रेवंत रेड्डी के समर्थक भी मौका मिलते ही मल्लारेड्डी की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। मजे की और सोचने की बात यह है दोनों नेता एक ही निर्वाचन क्षेत्र के हैं।
अब दोनों नेता एक दूसरे के इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं। कहा जाता है कि रेवंत रेड्डी और मल्लारेड्डी के बीच सात सालों से एक दूसरे के विरोधी है। शनिवार को मल्लारेड्डी ने प्रेस कांफ्रेंस में इस बात का खुलासा किया। साल 2014 में आम चुनाव में रेवंत रेड्डी ने टीडीपी की ओर से मल्काजगिरी सांसद सिट पर चुनाव लड़ना चाहा। मगर मल्लारेड्डी ने चंद्रबाबू को समझाकर टिकट हासिल कर लिया। तब से दोनों एक दूसरे के विरोधी हो गये।
इसके बाद राजनीतिक घटनाक्रम के चलते मल्लारेड्डी टीआरएस में शामिल हो गये और अब मंत्री है। जबकि रेवंत रेड्डी तेलंगाना कांग्रेस में शामिल हो गये और इस समय सांसद और अध्यक्ष है। साल 2019 में रेवंत रेड्डी ने मल्लारेड्डी के दामाद मर्रि राजशेखर रेड्डी को संसदीय चुनाव में हरा दिया।
मल्काजगिरी सांसद निर्वाचन क्षेत्र मेडचल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है। इसके चलते मौका मिलते ही दोनों एक-दूसरे पर बातों के तीर चला लेते है। इतना ही अब ये दोनों नेता व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप करने पर तुले है। इसके चलते दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच भी हमले कर ले रहे हैं। राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि दोनों के जुबान पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है। वर्ना आगे चलकर तेलंगाना में गाली-गलौज की राजनीति राज करेगी।