हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): दीपावली महापर्व के अवसर पर सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था भारत के तत्वावधान में संस्था के फेसबुक पेज पर गायन, वादन और नृत्य से सजी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में देश भर से विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों से जुड़ी हुई और कुशल गृहिणियों ने भाग लिया और अपनी कला के प्रदर्शन के माध्यम से कार्यक्रम को चार चांद लगाए।
कवयित्री डॉ राखी सिंह कटियार
वडोदरा के गुजरात की सुप्रसिद्ध लोकगीत कलाकार और आकाशवाणी उद्घोषिका व 25 वर्षों से हिन्दी शिक्षण कार्य में संलग्न कवयित्री डॉ राखी सिंह कटियार ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। संस्थापिका सरिता सुराणा ने मां सरस्वती का स्मरण करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया और उपस्थित सभी कलाकार गृहिणियों का शब्द-पुष्पों द्वारा अभिनन्दन किया। स्वर कोकिला हर्षलता जी दुधोड़िया ने सुमधुर स्वर में स्वरचित सरस्वती वन्दना- ओम् जय सरस्वती माता/ओ मैया जय सरस्वती माता (आरती) प्रस्तुत करके कार्यक्रम को प्रारम्भ में ही भक्तिभाव से ओत-प्रोत कर दिया।
रिमझिम झा
तत्पश्चात् संस्था अध्यक्ष ने संस्था के कार्यक्रमों के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। कटक, उड़ीसा से समागत कवयित्री एवं शिक्षिका सुश्री रिमझिम झा ने अपनी रचना- हम जलाएंगे दीप राम, लक्ष्मी के मंदिर में प्रस्तुत करके वातावरण को और भक्तिमय बना दिया। भागलपुर, बिहार से प्रसिद्ध कवयित्री एवं व्यवसायी सुश्री पिंकी मिश्रा ने- घर-घर में मन रही दीवाली/श्रीराम आ रहे हैं जैसा भावपूर्ण गीत प्रस्तुत कर सबको प्रसन्न कर दिया। युवा गिटार वादक सुश्री धृति सिंघी ने गिटार पर मारवाड़ी गीत- म्हांरै हिवड़ै म्हैं जागी धोकनी/रे चंदा मैं थांरी चांदनी/म्हारै दामन में बा दी खुशी/रे झूम झूम झूम, प्रस्तुत करते हुए सभी दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनकी लाजवाब प्रस्तुति से सब भावविभोर होकर वाह-वाह कर उठे और सबने धृति को बहुत-बहुत बधाई दी।
ज्योति नारायण
हैदराबाद की वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती ज्योति नारायण ने- दीप हमने है जलाया ओ सजन तेरे लिए/देहरी अंगना है सजाया ओ सजन तेरे लिए जैसा प्रेम गीत सस्वर प्रस्तुत करके वातावरण को प्रेममय बना दिया। कोलकाता, पश्चिम बंगाल से सुप्रसिद्ध कवयित्री एवं फैशन डिजाइनर रचना सरन ने अपने चिर-परिचित अन्दाज में- सुन मेरी सखी, सुन मेरी आली/मनाती हूं मैं हर रोज दीवाली जैसा गीत गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुश्री सन्निधि वर्मा, जो बाल कलाकार के रूप में मंच पर उपस्थित थीं, ने श्रीकृष्ण को समर्पित अपना भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत करते हुए सभी दर्शकों की वाहवाही बटोरी। उनके गीत के बोल थे- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा।
सुश्री कामना मिश्रा
दिल्ली से कार्यक्रम में जुड़ी प्रसिद्ध नृत्यांगना और व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षिका सुश्री कामना मिश्रा ने भी श्रीकृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत गीत पर अपना शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। उनके गीत के बोल थे- पीत बसन केसरिया के रंग, कर बंसी श्रीकृष्ण सुहाए/सांवरी सूरत मन ही लुभाए। सरिता सुराणा ने अपनी रचना- दीप जल, तम हर, प्रकाश कर/अपने अन्दर भी उजास भर/मौन और निशब्द रहकर/तिल-तिल, तिल-तिल, तिल-तिल जलकर/इस जग को तूं आलोकित कर, जैसी संदेशप्रद रचना प्रस्तुत की। हैदराबाद की युवा कवयित्री एवं आईटी प्रोफेशनल सुश्री सुदेशना समन्ता ने इस कार्यक्रम का बहुत ही कुशलतापूर्वक संचालन किया। बीच-बीच में वे अपनी चार-चार पंक्तियां भी अपने अन्दाज में प्रस्तुत कर रही थीं। उन्होंने अपनी रचना- माटी का दीपक, सूत की बाती/खुद जलकर देता जग को कान्ति/इस दीवाली कुछ नया करें हम/दीया सम त्याग की मिसाल बनें हम जैसी सार्थक और सारगर्भित रचना सुनाकर श्रोताओं को बांधे रखा।
डॉ राखी सिंह कटियार
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ राखी सिंह कटियार ने सभी सहभागियों की प्रस्तुतियों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और उन्हें आमंत्रित करने के लिए सूत्रधार संस्था अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपनी गज़ल कुछ इस अन्दाज में प्रस्तुत की- गुम हो जाता जमाना, जो न होती औरत/जहां में तुम नहीं दिखते, जो न खोती औरत। इसके साथ ही उन्होंने सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। दीपावली के अति व्यस्त समय में भी सभी गृहिणियों ने अपना अमूल्य समय प्रदान करके कार्यक्रम को सफल बनाया, इसके लिए संस्था अध्यक्ष ने सभी सहभागियों और संयोजिका सुश्री सुदेशना समन्ता के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की। सभी सहभागियों और श्रोताओं ने इस विशेष आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। रिमझिम झा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ इस सांस्कृतिक संध्या का समापन हुआ।