जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी पर सूरज देवता का विशेष महत्व है। सूर्य देव का राशि परिवर्तन से पृथ्वी पर असर देखा जा सकता है। मलमास यानी खरमास 15 दिसंबर से प्रारंभ हो रहा है। इसमें सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं। और इस राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं। बृहस्पति सूर्य देव के गुरु हैं।
इस प्रकार सूर्य देव अब एक माह तक अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में लगे रहेंगे। सूर्य किसी भी राशि में एक माह तक रहते हैं। सूर्य के धनु और मीन राशि में स्थित होने से मलमास या खरमास माना जाता है। इस माह में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, जैसे- विवाह, सगाई गृह प्रवेश, व्रत उद्यापन आदि नहीं करने की पुराणों में जिक्र किया गया है। सूरज का धनु राशि में प्रवेश से ठंड का असर काफी बढ़ जाता है ठंड बहुत ज्यादा पड़ती है।
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अतः सर्दी से बचने के लिए तिल और गुड का सेवन भारी मात्रा में किया जाता है। गुड का सेवन शरीर को गर्मी प्रदान करता है। कहा गया है कि शुभ मुहूर्त में कोई कार्य किया जाए तो वह फलदाई होता है। इसलिए हमारे यहां परंपरा है कि कोई भी नया कार्य और शुभ कार्य शुभ मुहूर्त में करते हैं। खरमास 14 जनवरी 2024 तक रहेगा। उसके बाद मकर संक्रांति का शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएग।
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इस माह में स्नानादि के बाद सूर्य देव की पूजा करें और जल देते हुए ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें या फिर अपने इष्ट देव के मत्रों का जाप करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर, सुंदरकांड का पाठ करें, हनुमान चालीसा करके व कृष्ण भगवान की पूजा करके ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। अगर स्नान की व्यवस्था न हो सके तो घर में ही गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए।
इस माह में गौ सेवा करनी चाहिए। गौशाला में धन और हरी घास का दान करना चाहिए। इस समय में तुलसी की पूजा करना विशेष तौर पर बताया गया है, जिससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और सुख समृद्धि मिलती है। तुलसी के पौधे पर घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और शुभ फल प्राप्त होता है। वही सर्दी बहुत बढ़ जाती है। इसलिए जरूरतमंद व्यक्तियों को कंबल गुड तेल आदि का दान अति उत्तम माना गया है, जो अति फलदायक है पुण्य देने वाला है।
के पी अग्रवाल हैदराबाद