हैदराबाद: तेलंगाना में रहने वाले लोगों के लिए एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। शिकागो में एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा ‘एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स’ शीर्षक से प्रकाशित नवीनतम अध्ययन में तेलंगाना दक्षिण भारत में सबसे प्रदूषित राज्य है। इसमें कहा गया है कि राज्य में औसत व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा 3.2 साल कम हो रही है। पड़ोसी राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी की तुलना में तेलंगाना में प्रदूषण अधिक है।
खुलासा हुआ है कि यहां की हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-25) विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों से भी खतरनाक स्तर पर है। इसकी खुराक जो पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए वह तेलंगाना में सबसे ज्यादा 38.2 माइक्रोग्राम पाई गई है। ऐसा अनुमान है कि लगातार स्वास्थ्य समस्याओं के कारण व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा 3.2 वर्ष कम होती रही है। यह विश्लेषण राज्य के औसत प्रदूषण को देखते हुए किया गया। हालाँकि हैदराबाद शहर की स्थिति का अलग से उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन संभावना है कि शहरीकरण और निर्माण गतिविधियों के साथ और भी कुछ हो सकता है।
गौरतलब है कि प्रदूषण के मामले में तेलंगाना दक्षिण भारत में शीर्ष पर है। हालांकि तेलंगाना सरकार का कहना है कि उसने हरितहरम के नाम से राज्य में सबसे ज्यादा संख्या में (करीब 270 करोड़) पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बनाया है। हरिताहरम योजना के साथ, उद्देश्य बंदरों को वापस लाना, हरियाली बढ़ाना, जलवायु को ठंडा करना, बारिश कराना और स्वच्छ हवा प्राप्त करना था, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया। बंदर लौट आये और नगरों को उजाड़ दिया। मौसम ठंडा नहीं हुआ है और अभूतपूर्व गर्मी (आर्द्रता के कारण) से ग्रस्त है। शिकागो विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि स्वच्छ हवा के बावजूद राज्य में वायु प्रदूषण अधिक है।
हैदराबाद में निर्माण गतिविधियों ने पहले की तुलना में अधिक गति पकड़ ली है। कोरोना के दौरान मुख्यमंत्री केसीआर ने खुद इसका खुलासा किया। बताया जाता है कि इस क्षेत्र के भरोसे दूसरे राज्यों के करीब 14 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर भी तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में हुई विधानसभा बैठकों में नगरपालिका प्रशासन मंत्री केटीआर ने खुद इस बात का जिक्र किया था कि कोकापेट में प्रत्येक एकड़ 100 करोड़ में बेची जा रही है।
सरकार ने यह गर्व से घोषित किया कि यह न केवल एक महानगरीय शहर के रूप में विकसित हो रहा है बल्कि बहुमंजिला इमारतें भी विकसित हो रही हैं। इसे मजबूत करने के लिए विभाग के सचिव अरविंद कुमार ने हैदराबाद शहर की कुछ सबसे ऊंची इमारतों का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पुप्पलागुडा, कोकापेट, सेरिलिंगमपल्ली और अन्य क्षेत्रों में 59 मंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है और ये अगले कुछ वर्षों में पूरी तरह से उपलब्ध होंगी।
शहर में इतनी बड़ी निर्माण गतिविधियों के कारण वायु प्रदूषण और हवा में धूल के कण हर साल बढ़ रहे हैं। जिस तरह से ये सभी भविष्यवाणियाँ सच हैं, शिकागो विश्वविद्यालय के नवीनतम अध्ययन में तेलंगाना ‘दक्षिण भारत में सबसे प्रदूषित राज्य’ के रूप में उभरा है। गौरतलब है कि सरकार भले ही विकास की खूब बातें करती हो, लेकिन वायु प्रदूषण भी बढ़ा है और औसत जीवन प्रत्याशा तीन साल कम हो गई है।
शिकागो यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। इसमें बताया गया कि देश की औसत जीवन प्रत्याशा 5.3 साल कम हो रही है। दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताते हुए स्पष्ट किया है कि यहां के निवासियों की औसत जीवन प्रत्याशा 11.9 वर्ष कम हो रही है। तमिलनाडु में 2.3 साल, कर्नाटक में 2.4 साल, आंध्र प्रदेश में 2.6 साल, केरल में 1.3 साल और पुडुचेरी में 1.9 साल आयु कम हो रही है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि दिल्ली शहर के साथ-साथ निकटवर्ती राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश में प्रदूषण सबसे अधिक है।