हैदराबाद: वरिष्ठ साहित्यकार प्रदीप देवीशरण भट्ट के प्रथम कहानी संग्रह “काला हंस” का लोकार्पण हाल ही में कर्नाटक के ऐतिहासिक नगर मैसूरु के होट्ल रॉयल इन में सम्पन्न हुआ। साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के 18वें राष्ट्रीय अधिवेशन में पद्मभूषण डॉक्टर संतोशिवरा लिंगन्नैया, पंडित सुरेश नीरव, डॉक्टर ज्ञान चंद मर्मज्ञ के कर कमलों से किया गया। इस अवसर पर भाजपा नेता व समाज सेवक श्री मित्तल, श्रीलाल जोशी व डॉक्टर राखी सिंह कटियार भी मंच पर उपस्थि थे। इस अवसर पर अन्य साहित्यकारों की पुस्तकों के अतिरिक्त संस्था की प्रथम बहुराष्ट्रीय पत्रिका ‘प्रज्ञान विश्वम’ का लोकापर्ण भी किया गया।
तीन दिवसीय अधिवेशन का आगाज़ फेसबुक लाइव के माध्यम से एक अंतर्राष्टीय कवि सम्मेलन के आयोजन से हुआ। अधिवेशन का शुभारम्भ डॉक्टर राखी सिंह कटियार द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना हुआ। कन्नड लोक संस्कृति पर आधारित लोक नृत्य का प्रस्तुति करण एक छोटी बच्ची द्वारा किया गया।
पहले सत्र में पृथ्वी सरंक्षण और विश्व बंधुत्व के ज्वलंत संदर्भ पर आलेख वाचन हुआ वहीं एक पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इसी अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से पधारे प्रतिनिधी साहित्यकारों को संस्था की ओर से साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए पारम्परिक कर्नाटक शैली में सम्मानित किया गया। हैदराबाद के वरिष्ठ साहित्य्कार प्रदीप देवीशरण भट्ट को इस अवसर पर संस्था की ओर से ‘साहित्य श्री’ की उपाधि प्रदान की गई।
दूसरे सत्र में पण्डित सुरेश नीरव की अध्यक्षता में बहुराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें नीरव जी के अतिरिक्त बंगालूरु से डॉक्टर ज्ञान चंद मर्मज्ञ, हैदराबाद से प्रदीप देवीशरण भट्ट, इंदौर से कवि दिनेश दवे एवं दिल्ली से सविता चड्ढा ने मंच की शोभा बढाई। इनके अलावा् नोएडा से मधु मिश्रा, विजय प्रशांत, दिल्ली से उमंग सरीन, गाज़ियाबाद से डॉक्टर वीणा मित्तल, गुरुग्राम से राजेंद्र निगम, इंदु निगम, वीणा अग्रवाल, सवाई माधोपुर (राजस्थान) से डॉक्टरमधु मुकुल चतुर्वेदी एवम इंद्रा चतुर्वेदी, छत्तरपुर मध्यप्रदेश से ममता सिंह प्रतापगढ (उप्र) से डॉक्टर एल बी तिवारी ‘अक्स’, वडोदरा गुजरात से डॉक्टर राखी सिंह कटियार, कविता सिंह प्रभा, दर्शन बेज़ार, सुधा अह्लूवालिया, श्रीलाल जोशी, रचना उनियाल, राही राज, उत्तराखण्ड से सुभाष सैनी व सुमन सैनी ने अपनी अपनी कविताओं का पाठ किया।
मुम्बई महाराष्ट्र से प्रसिद्ध संगीतकार दम्पती शिव राजौरिया व डॉक्टर ज्योत्सना राजौरिया ने अपने गायन से उपस्थित जन समूह को आनंदित किया। इस अवसर पर प्रदीप देवीशरण भट्ट द्वारा आजकल के प्रेम पर कटाक्ष करते हुए अपनी गज़ल “मुहब्बत की निशानी मकबरा तो हो नहीं सकता/ चलो ऐसा करो सेतु सुगम तैय्यार कर देखो” पढकर उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया। 21 जून को शैक्षिक पर्यटन के साथ ही अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति का18 वां राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ।