गणतंत्र दिवस विशेष: आने वाली पीढ़ी को देना है नया संदेश

तेलंगाना में इस समय क्या हो रहा है? यह सवाल आज आम नागरिक मन में हैं और कर रहे है। क्योंकि पृथक तेलंगाना गठन के बाद अनेक समस्याओं ने जन्म लिया और ले रहा है। वैसे तो तेलंगाना गठन के इन सात साल के बाद लोगों की समस्याओं का अब तक समाधान हो जाना चाहिए था। समस्याओं का समाधान न होते देख हर वर्ग के अब लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं। लोगों की सवालों के जवाब और समाधान करने के बजाये नये-नये मुद्दे सामने ले आकर विवाद खड़े किये जा रहे हैं।

मारे गये छात्रों के लिए जिम्मेदार कौन?

मुख्य रूप से सरकारी कार्यालयों में अनेक पद खाली है। मगर उन पदों की भर्ती नहीं किया जा रहा है। युवक नौकरी नहीं मिलने से आत्महत्या कर रहे हैं। इन युवकों की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार कौन? किसानों की अनाज खरीदी करने की समस्या जैसे की वैसे ही है। इसका हल ढूंढ निकालने के बजाये केंद्र राज्य पर और राज्य सरकार केंद्र पर थोप रही हैं। इसी बीच अनेक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। अब जाकर मृतक परिवार को छह-छह लाख रुपये मुआवजा दिया जा रहा है। इन किसानों की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार कौन? इंटर छात्र रिजल्ट के बाद चार छात्रों ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद आंदोलन के सामने सरकार को झूकना पड़ा। परिणामस्वरूप सब को पास किया गया। फिर मारे गये छात्रों के लिए जिम्मेदार कौन?

शिक्षकों का आंदोलन

अब जीओ 317 को लेकर कर्मचारी और शिक्षकों का आंदोलन जारी है। इस मुद्दे पर बीजेपी, टीआरएस , कांगेर्स और अन्य दलों के बीच घामासान जारी है। इस तरह शिक्षकों और छात्रों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सुखमय संसार में जहर घोला जा रहा है। इस जीओ के चलते अब तक अनेक शिक्षकों ने आत्महत्या कर ली है। हर दिन शिक्षकों के आंखों से आंसू बह रहा है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इसके लिए तेलंगाना सरकार जिम्मेदार है। शिक्षक केवल यह मांग कर रहे है कि जीओ 317 में संसोधन किया जाये। इस जीओ के लेकर बीजेपी, कांग्रेस, टीआरएस अन्य पार्टियों राजनीति कर रहे है। शिक्षक देश का भविष्य संवारते हैं। ऐसे शिक्षक चिंतित होना और आंदोलन पर उतर आना कहां का न्याय है।

कोरोना के नाम पर सियासी खेल

अब सत्तारूढ़ टीआरएस पार्टी कोरोना के नाम पर सियासी खेल खेल रही है। विपक्ष को दबाने के लिए अपनी जरूरत के हिसाब से कोविड नियम पर प्रतिबंधों में बदलाव कर रही है। इसके अनेक उदाहरण हमें देखने को मिलते है। हाल ही में तेलंगाना के मंत्री और विधायक सैकड़ों लोगों के साथ बिना मास्क लगाये ही रैली निकाली है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तक नहीं किया। इसके चलते विपक्षी दलों का आरोप है कि तेलंगाना सरकार ने पहले और दूसरे सेकंड लहर के दौरान लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है। अब कोरोना के नियमों के नाम पर राजनीति कर रही है। टीआरएस के सभी कार्यक्रमों को पुलिस अपना समझकर कर रही हैं। पीसीसी प्रमुख रेवंत रेड्डी ने ‘यासांगी’ मौसम में मुख्यमंत्री केसीआर की ओर से धान की खेती करने और किसानों को धान की खेती नहीं करने के सवाल पर गजवेल में रच्चबंडा कार्यक्रम का आह्वान किया था। पुलिस ने प्रतिबंधों के नाम पर उसे घर से बाहर निकले नहीं दिया।

धरपकड़

तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष बंडी संजय ने कर्मचारी और शिक्षकों के स्थानीयता के लिए जारी जीओ 317 में संसोधन करने की मांग के समर्थन नें पार्टी के सांसदयीय कैंप कार्यालय में जागरण दीक्षा करने के लिए बैठ गये। पुलिस कार्यालय के दरवाजे तोड़ दिया। इसके बाद संजय को गिरफ्तार किया। अगले दिन कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला के आत्महत्या कर चुके किसान और छात्रों के परिवार के लिए सांत्वना यात्रा करने की भी अनुमति नहीं दी गई। इससे पहले तेलंगाना जन समिति पार्टी के अध्यक्ष प्रोफेसर कोदंडराम के मकान के मकान का दरवाजा तोड़कर गिरफ्तार किया।

इसी बीच तेलंगाना सरकार ने अनेक कार्यक्रम किये। इस कार्यक्रमों में अधिकर नेता बिना मास्क के दिखाई दिये। आम जनता सवाल कर रही है कि क्या कोरोना नियम सत्तापक्ष के नेताओं को लागू नहीं होता है? क्या विपक्ष नेताओं के कार्यक्रमों से कोरोना फैलता है? सत्तापक्ष के नेताओं को कोरोना नहीं होता है? क्या कोरोना उनका मेहमान है? क्या कोरोना कार में आकर बैठ गया? देश में नये वेरिएंट के प्रवेश के चलते केंद्र सरकार ने नवंबर में ही सभी राज्य सरकारों को अलर्ट जारी किया था। कोरोना नियमों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का सुझाव भी दिया। हालात को देखकर रात के समय कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया। मगर तेलंगाना सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया। तेलंगाना में ओमिक्रॉन और कोरोना के मामले बढ़ते देखकर भी अनजान रही। केवल मास्क जरूरी किया।

कोरोना के नियम के नाम पर प्रतिबंध

तेलंगाना सरकार ने 2 दिसंबर को आदेश जारी किया कि केवल मास्क जरूरी है, जो मास्क नहीं पहनते है उसके लिए एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जैसे ही विपक्ष ने सार्वजनिक मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन किया को प्रतिबंधों को लागू कर दिया गया। सरकार एक-एक करके कोरोना के नाम पर नियम लागू कर रही है। विपक्षों की कार्यक्रमों को नाकाम करने के लिए जीओ जारी कर रही है। इसे लेकर सवाल कर रहे हैं। भाजपा ने घोषणा की कि वह 27 दिसंबर को बेरोजगारी दीक्षा करेगी। यह देख सरकार ने 26 जनवरी को कोरोना के नाम पर प्रतिबंध लगाते हुए जीओ जारी किया। 2 जनवरी तक सार्वजनिक सभाओं और रैलियों पर रोक लगा दी। इसके चलते बीजेपी ने इंदिरा पार्क के पास किये जाने वाले अनशन को तेलंगाना कार्यालय में करने का फैसल लिया। मगर सरकार ने नये साल के जश्न के लिए यानी 31 दिसंबर को वाइन और बार को आधी रात तक खुले रखने की अनुमति दी। पबों को जश्न के लिए खुला छोड़ दिया। अर्थात 31 दिसंबर और एक जनवरी को कोरोना के नियम में छूट दी। इसके बाद फिर से कोरोना के नियम के नाम पर प्रतिबंध लागू किया।

नया संदेश देना है

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस है। आजादी के इतने सालों से हमने क्या पाया और क्या खोया है? इससे हमें सबक और शपथ लेना है। क्योंकि आने वाली पीढ़ी को हमें नया संदेश देना है। व्यक्ति वो ही महान होता है जो लोगों की भलाई के बारे में सोचता और करता है। तेलंगाना के लोग त्यागी हैं। अधिकार के लिए मर मिटने का जज्बा रखते है। यह पृथक तेलंगाना में आंदोलन में हम देख चुके हैं। सत्ता में आने के लिए आश्वासन देते है। बाद में संविधान की शपथ लेते हैं। क्या यह सही हो रहा है? सही हो रहा तो यह आंदोलन और असंतोष क्यों है। सही नहीं हो रहा है तो इसके जिम्मेदार कौन है? नव गठिक तेलंगाना में ऐसे अनेक सवालों के जवाब ढूंढकर भविष्य को देना है।

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