निजाम शासनकाल में जब्त पुस्तक ‘ऋषि चरित्र प्रकाश’ का हुआ लोकार्पण, इन वक्ताओं ने इस पर डाला प्रकाश

हैदराबाद : स्वतंत्रता सेनानी पंडित गंगाराम स्मारक मंच के तत्वावधान में ‘ऋषि चरित्र प्रकाश’ का लोकार्पण सुलतान बाजार स्थित आर्य समाज में रविवार को किया गया। पुस्तक का लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होम्योपैथी चिकित्सक डॉ महेंद्र गौशाल के करकमलों से किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ विजयवीर विद्यालंकार, विशेष अतिथि डॉ विद्यानंद व भरत मुनि वानप्रस्थी (तेलुगु अनुवादक) ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन श्रुतिकांत भारती ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती सुधा ठाकुर ने दिया।

वक्ताओं ने गंगाराम वानप्रस्थी जी द्वारा लिखी गई इस प्रस्तक और उनकी जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी की जीवनी से प्रभावित होकर ही गंगाराम जी ने इस पुस्तक को लिखा है। मुख्य रूप से यह पुस्तक युवकों और छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का संदेश देती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ‘ऋषि चरित्र प्रकाश’ को छात्रों के बीच वितरित किया जाएगा। हर स्कूल और कॉलज में यह पुस्तक भेजी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस पुस्तक को 16 भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा। संभव हो पाया तो विदेशी भाषाओं में इसका अनुवाद किया जाएगा। इस समय इसका तेलुगु, मराठी, कन्नड़ और अंग्रेजी में अनुवाद का कार्य जारी है। जल्द ही अन्य भाषाओं में इसके अनुवाद का कार्य आरंभ किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में प्रदीप जाजू, डॉ प्रतापरूद्र, डॉ धर्मतेजा, सुधा ठाकुर, रामचंद्र राजू, धर्मेंद्र जिज्ञासु, अशोक श्रीवास्तव, नरसिम्हा आर्य, शिवाजी, अग्निमुनी वानप्रस्थी, ओमप्रकाश आर्य, के राजन्ना, प्रमोद गौशाल, राजेंद्र, प्रेमचंद मुनोत, भिक्षापति, मीरा, देवश्री, दिनेश सिंह, ऋषि राम, शोभा दुबे, मनोहर सिंह, विभा भारती, सुनील सिंह, रणधीर सिंह, ममता, धर्मपाल, सत्यपाल, रामना मूर्ति, शिवचंद, SVV आर्य, आत्माराम, विजय राम, मधुराम, विनोद चंद्र, सुचित्रा चंद्र, विजयवीर, कृष्णा रेड्डी, सतीश जाजू, अभिराम, आनंदिता, अमर आर्य, चंद्रडु, भक्त राम, पं प्रियदत्त शास्त्री, प्राचार्या अरुंधती कुलकर्णी, डैनी कुमार आजाद, डॉ प्रेमलता श्रीवास्तव, गार्गी, दक्ष राम और अन्य उपस्थित थे।

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गौरतलब है कि इस पुस्तक के लेखक आर्य समाज के सदस्य और समाजसेवी स्वर्गीय गंगाराम वानप्रस्थी है। इस पुस्तक को तत्कालीन निजाम सरकार ने जब्त किया था। जैसे ही यह पुस्तक मंच के अध्यक्ष भक्तराम जी के हाथ लगी, उन्होंने इसे समाज उपयोगी समझा और इसका प्रकाशन कर दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह पुस्तक समाज के लिए कितनी उपयोगी हो सकती है।

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