वृक्षों रक्षति रक्षितः विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है भारतीय संस्कृति

हमारी संस्कृति में वृक्षों को बहुत ही पूजनीय माना जाता है। सनातन धर्म में ऐसा माना गया है कि पेड़ पौधों में ईश्वर का वास होता है। इसीलिए हिंदू धर्म में वृक्षों की पूजा जाती है। वृक्ष धरती पर ईश्वर के ही प्रतिनिधि हैं ।

भारतीय संस्कृति में जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों की देखभाल करते हैं उसी प्रकार पेड़ पौधों की भी देखभाल की जाती है। वैसे तो हर व्यक्ति ही अपनी दिनचर्या की शुरुआत पौधों को जल देकर करता है। विशेष रूप से तुलसी मैया में जल चढ़ाकर पूजा करने का विधान हैं। पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व है ।

“मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।”

जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देवादि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर सभी देवताओं का वास है। ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को नमस्कार है।

भारतीय स्त्रियां पौधों को जल अर्पित करती हैं। उनकी पूजा करती है। परिक्रमा करती हैं और अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करती हैं। अपने जीवन में वृक्षों को ईश्वर तुल्य महत्व देती है। तुलसी, पीपल, बरगद, शमी, बेलपत,आंवला, केला आदि अनेक पौधों के पूजा की जाती है। अशोक के वृक्ष की तो माता सीता ने भी पूजा करते हुए प्रार्थना की थी।

“तरु अशोक मम करहुं अशोका”

वृक्षों से हमें अनेक लाभ है। सबसे प्रमुख तो यह है कि वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। वृक्ष हमारे वातावरण को शुद्ध करते हैं। वृक्ष पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं। वृक्षों से ही तापमान नियंत्रित होता है। वृक्ष वर्षा करने में भी सहायक सिद्ध होते हैं। वृक्ष हमें फल फूल और छाया देते हैं। पशुओं के जीवन निर्वाहन में सहयोग देते हैं। पक्षियों का तो वृक्षों पर ही बसेरा होता है।

वृक्ष हमें अनेक प्रकार के रोगों से भी दूर रखते हैं। वृक्षों के हमें अनेक प्रकार की औषधियां प्राप्त होती हैं। तुलसी, नीम, गिलोय, हल्दी एलोवेरा,आंवला ब्राह्मी जैसे अनेक पेड़ पौधे है जो औषधि के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं।

वृक्षों से हमें परोपकार की शिक्षा मिलती है। वृक्ष सदा दूसरों के लिए ही जीवन धरते है। वृक्ष सदा सबको प्रेरणा देते ही रहते हैं। वृक्ष धन्य है। वह अपने याचकों को कभी निराश नहीं लौटाते।

कहा भी गया है-

वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचय नीर।
परमार्थ के कारने साधुन धरा शरीर।।

वृक्ष हमारे निराशा भरे जीवन में आशा की किरण जगाते हैं। क्योंकि वृक्षों को काटने के बाद भी वृक्ष हरा भरा हो जाता है। हम सभी को वृक्षारोपण और वृक्ष संरक्षण करना चाहिए। हमें आज की पीढ़ी को अधिक से अधिक पेड़ लगाने और पेड़ों की रक्षा करने के लिए के लिए जागरूक करना चाहिए क्योंकि वृक्ष हमारे जीवन रक्षक हैं। सभी जीवों पर दया करने वाले वृक्षों का जीवन सर्वश्रेष्ठ है।

लेखिका तृप्ति मिश्रा, हैदराबाद

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