कामरेड निखिलेश्वर को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान: बोले- “कवि और लेखक नहीं है आजाद”

नई दिल्ली/हैदराबाद: प्रमुख तेलुगु लेखक निखिलेश्वर ने कहा है कि कवि और लेखक वर्तमान समाज में स्वतंत्रत नहीं है। लेखक को जेल जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। दोनों तेलुगु राज्यों में लेखक अपना कर्तव्य को भूलकर पदों के लिए भटक रहे हैं। इसके लिए वो सत्ता पक्ष का गुणगान (भजन) कर रहे हैं।

शनिवार शाम को दिल्ली में वर्ष 2020 के लिए 24 भाषाओं में लेखकों को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किये गये। इनमें प्रमुख तेलुगु कवि और लेखक निखिलेश्वर को “अग्निश्वास” लेखन के लिए पुरस्कार मिला है। निखिलेश्वर ने न केवल तेलुगु में बल्कि हिंदी और अंग्रेजी में भी लेखन किया है। ज्वालामुखी, नग्नमुनि, चेरबंडराजू, महास्वप्न, भैरवय्य जैसे दिगंबर कवियों में निखिलेश्वर एक है। उनका असली नाम के यादव रेड्डी है।

इस अवसर पर निखिलेश्वर ने कहा कि किसी भी समय मेरी श्वास… मेरी अग्निश्वास… प्रजा संघर्ष ही मेरा लक्ष्य है… लेखक या कवि अपनी लेखन से लेखक समाज में प्रवेश करता है। जाति और धर्म के टकराव के इस समाज में लेखकों को बड़ी जिम्मेदारी के साथ निर्देशन करना पड़ता है। वर्तमान में लेखक और कविय को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।

कवि निखिलेश्वर ने आगे कहा कि सरकार और शासक लेखक और कवि की आजादी से वंचित करने की कोशिश कर रहे हैं। इनके विरोध में लिखा जाता है तो क्रोधित हो रहे हैं। लेखन के जरिए उनकी गलती की ओर इशारा करे तो सरकार और शासक बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है। लेखक को जेल भेजने में भी संकोच नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से समाज में जाति और धर्म बने है, उसी तरह लेखकों को भी वर्गीकृत किया गया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली को भी केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली को उनकी कविता बाहुबली अहिंसा दिग्विजयम के लिए केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।

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